कौलवी: Difference between revisions

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*पहाड़ी पर जाने के लिए चट्टानें काटकर सीढ़ियाँ बनाई गई हैं।  
*पहाड़ी पर जाने के लिए चट्टानें काटकर सीढ़ियाँ बनाई गई हैं।  
*यहाँ पर एक दैत्याकार चट्टान को काटकर गुम्बद बनाया गया है, जिसके नीचे तराशी हुई प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है।  
*यहाँ पर एक दैत्याकार चट्टान को काटकर गुम्बद बनाया गया है, जिसके नीचे तराशी हुई प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है।  
*इस प्रतिमा का मस्तक नहीं हैं।  
*इस प्रतिमा का [[मस्तिष्क|मस्तक]] नहीं हैं।  
*पास में चट्टान काटकर ही दो स्तम्भों पर एक छोटा-सा मण्डप स्थापित किया गया है।  
*पास में चट्टान काटकर ही दो स्तम्भों पर एक छोटा-सा मण्डप स्थापित किया गया है।  
*द्वार से प्रविष्ट होते समय बायीं ओर लगभग छः फुट लम्बा, चार फुट ऊँचा, ढाई फुट चौड़ा दीवार से सटा हुआ एक चबूतरा बना हुआ है।  
*द्वार से प्रविष्ट होते समय बायीं ओर लगभग छः फुट लम्बा, चार फुट ऊँचा, ढाई फुट चौड़ा दीवार से सटा हुआ एक चबूतरा बना हुआ है।  

Revision as of 05:38, 10 April 2011

  • कौलवी राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के निकट एक ग्राम के रूप में विद्यमान है,जो बौद्ध विहार के लिए प्रसिद्ध है।
  • इन विहारों के निर्माण काल के बारे में मतैक्य नहीं है।
  • सम्भवतः इनका निर्माण काल विक्रम सम्वत 500 से 700 के मध्य माना गया है।
  • कौलवी की गुफ़ाएँ पहाड़ी पर स्थित हैं।
  • पहाड़ी पर जाने के लिए चट्टानें काटकर सीढ़ियाँ बनाई गई हैं।
  • यहाँ पर एक दैत्याकार चट्टान को काटकर गुम्बद बनाया गया है, जिसके नीचे तराशी हुई प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है।
  • इस प्रतिमा का मस्तक नहीं हैं।
  • पास में चट्टान काटकर ही दो स्तम्भों पर एक छोटा-सा मण्डप स्थापित किया गया है।
  • द्वार से प्रविष्ट होते समय बायीं ओर लगभग छः फुट लम्बा, चार फुट ऊँचा, ढाई फुट चौड़ा दीवार से सटा हुआ एक चबूतरा बना हुआ है।
  • यहाँ मिले मन्दिर के गर्भगृह में एक पद्मासन प्रतिमा उत्कीर्ण की गई है, जिसके मस्तक के अतिरिक्त मुँह, कान, नाक आदि का पता नहीं लगता।
  • मुद्रा से यह भगवान बुद्ध की प्रतिमा लगती है।
  • एक शिलाखण्ड को गुम्बदाकार मन्दिर की तरह तराशा गया है और उसमें एक बुद्ध प्रतिमा उत्कीर्ण की गई प्रतीत होती है, जो पद्मासीन है और अन्य प्रतिमाओं की भाँति अस्पष्ट है।
  • पास में एक अन्य शिलाखण्ड को काटकर 35-40 स्तम्भ तराशे गये हैं।
  • इस विहार के बारे में अभी यह निश्चित नहीं किया गया है कि इसका निर्माण किस धर्म के लोगों ने किया था।
  • कौलवी स्थान से अब तक प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इन्हें बौद्ध धर्म की तांत्रिक शाखा द्वारा निर्मित माना गया है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ