कचार: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:असम के नगर (को हटा दिया गया हैं।))
Line 15: Line 15:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{असम के नगर}}
{{असम के नगर}}
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:असम]]
[[Category:असम]]
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:इतिहास_कोश]]
Line 22: Line 21:
[[Category:ऐतिहासिक_स्थल]]
[[Category:ऐतिहासिक_स्थल]]
[[Category:ऐतिहासिक_स्थान_कोश]]
[[Category:ऐतिहासिक_स्थान_कोश]]
[[Category:असम के नगर]]


__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 07:59, 16 April 2011

कचार असम में स्थित पहाड़ों, जंगलों और मैदानों का अनोखा संगम है। यह बहुत ख़ूबसूरत पर्यटन स्‍थल है। कचार उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिशा में गुलाबी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके जंगल बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। इन जंगलों में पर्यटक वन्य जीवन के खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। कचार की बराक नदी बहुत ख़ूबसूरत है। इस नदी के दोनों किनारों पर छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं। इन पहाड़ियों पर पर्यटक रोमांचक यात्राओं का आनंद लेते हैं। कचार में अनेक गाँव भी हैं। इन गाँवों में घूमना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। यहाँ पर पर्यटक कचार की संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं। कचार में बाँस भी पाए जाते हैं। स्थानीय निवासी इन बाँसों से ख़ूबसूरत वस्तुएँ बनाते हैं।[1]

इतिहास

कचार का इतिहास पुराना है, जिसका पता अनेक शताब्दियों पूर्व से चलता है। यहाँ पर अनेक राजा ऐसे हो चुके हैं जो अपने को भीम, पाँच पाण्डवों में से द्वितीय के वंशज होने का दावा करते थे। ऐतिहासिक काल में यह अधिकतर अहोम राजाओं का अधीनस्थ एवं उनका संरक्षित राज्य रहा है। तत्कालीन शासक राजा गोविन्द चन्द्र की साठगाँठ से 1819 ई. में बर्मियों ने कचार को रौंद डाला था, लेकिन शीघ्र ही अंग्रेज़ों ने बर्मियों को कचार से बाहर निकाल दिया और उन्होंने बदरपुर (मार्च 1824 ई.) की संधि द्वारा गोविन्द चन्द्र को कचार के राजा के रूप में पुन: शासनारूढ़ कर दिया। इसके बदले में गोविन्द चन्द्र ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की सत्ता को स्वीकार कर लिया और दस हज़ार रुपये वार्षिक ख़िराज के रूप में देने को राज़ी हो गया। किन्तु गोविन्द चन्द्र प्रशासन की दुर्व्यवस्था के कारण स्थानीय विद्रोहियों को दबा सकने में विफल रहा और प्रजा को भारी करभार से पीड़ित करने लगा। फलत: 1830 ई. में उसकी हत्या कर दी गई। गोविन्द चन्द्र का कोई उत्तराधिकारी नहीं था, अत: अगस्त 1832 ई. में एक घोषणा के द्वारा कचार को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। तब से कचार निरन्तर भारत का एक भाग है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कचार (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 16 अप्रॅल, 2011
  2. पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-86

संबंधित लेख