जूलियन कलॅण्डर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
ई. पू. 46 में जुलियस सीज़र ने एक संशोधित पंचांग निर्मित किया था जिसमें प्रति चौथे वर्ष 'लीप वर्ष की व्यवस्था थी। परन्तु उस पंचांग की गणनाएँ सही नहीं रहीं, क्योंकि सन 1582 में 'वासन्तिक विषुव' 21 मार्च को न होकर 10 मार्च को हुआ था। | |||
;जुलियस सीज़र का कलॅण्डर | |||
जूलियन और [[ग्रेगोरी कलॅण्डर]] महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जूलियन कलॅण्डर [[रोम]] के शासक 'जुलियस सीज़र' ने बनवाया। आगे चल कर 'पोप ग्रेगोरी तेरहवें' ने इसमें सुधार करके ग्रेगोरी कलॅण्डर शुरू किया। ईस्वी पूर्व 45 से पहले तक [[रोम]] साम्राज्य में [[रोमन कलॅण्डर]] प्रचलित था। | जूलियन और [[ग्रेगोरी कलॅण्डर]] महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जूलियन कलॅण्डर [[रोम]] के शासक 'जुलियस सीज़र' ने बनवाया। आगे चल कर 'पोप ग्रेगोरी तेरहवें' ने इसमें सुधार करके ग्रेगोरी कलॅण्डर शुरू किया। ईस्वी पूर्व 45 से पहले तक [[रोम]] साम्राज्य में [[रोमन कलॅण्डर]] प्रचलित था। | ||
;कमियाँ | ;कमियाँ |
Revision as of 14:40, 2 July 2011
ई. पू. 46 में जुलियस सीज़र ने एक संशोधित पंचांग निर्मित किया था जिसमें प्रति चौथे वर्ष 'लीप वर्ष की व्यवस्था थी। परन्तु उस पंचांग की गणनाएँ सही नहीं रहीं, क्योंकि सन 1582 में 'वासन्तिक विषुव' 21 मार्च को न होकर 10 मार्च को हुआ था।
- जुलियस सीज़र का कलॅण्डर
जूलियन और ग्रेगोरी कलॅण्डर महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जूलियन कलॅण्डर रोम के शासक 'जुलियस सीज़र' ने बनवाया। आगे चल कर 'पोप ग्रेगोरी तेरहवें' ने इसमें सुधार करके ग्रेगोरी कलॅण्डर शुरू किया। ईस्वी पूर्व 45 से पहले तक रोम साम्राज्य में रोमन कलॅण्डर प्रचलित था।
- कमियाँ
जूलियन कलैंडर के हिसाब से ईस्टर का त्यौहार और अन्य धार्मिक तिथियां संबंधित ऋतुओं में सही समय पर नहीं आती थीं। कलैंडर में अतिरिक्त दिन जमा हो गए थे। पोप ग्रेगोरी 1572 से 1585 तक तेरहवें पोप रहे। सन 1582 तक वसंत विषुव यानी वर्नल इक्विनॉक्स 10 दिन पिछड़ चुका था। पोप ग्रेगोरी तेरहवें ने जूलियन कलैंडर की 10 दिनों की त्रुटि को सुधारने के लिए उस वर्ष 5 अक्टूबर की तिथि को 15 अक्टूबर मानने का आदेश दिया। इस तरह जूलियन कलैंडर में से 10 दिन घटा दिए गए। लीप वर्ष शताब्दी के अंत में रखा गया बशर्ते वह 400 की संख्या से विभाजित होता हो। इसीलिए 1700, 1800 और 1900 लीप वर्ष नहीं थे जबकि वर्ष 2000 लीप वर्ष था। इस संशोधन से ग्रेगोरी कलॅण्डर की शुरूआत हुई जिसे आज विश्व के अधिकांश देशों में अपनाया जा रहा है।
- अन्य कलॅण्डर
इसके बावजूद विश्व के कई देश समय की गणना के लिए अभी भी अपने परंपरागत पंचांग या कलैंडर का उपयोग कर रहे हैं। चीनी, इस्लामी या हिजरी और यहूदी कलैंडर इसके उदाहरण हैं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कलैंडर का विज्ञान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 1जुलाई, 2011।