यथार्थवाद: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:06, 8 July 2011
हिन्दी | आज-कल साहित्यिक क्षेत्र में, (आदर्शवाद से भिन्न) यह मत या सिद्धान्त कि प्रत्येक घटना या बात अपने यथार्थ रूप में अंकित या चित्रित की जानी चाहिए, वह स्वतंत्र सत्तावाली इकाई होती है। |
-व्याकरण | पुल्लिंग |
-उदाहरण | |
-विशेष | इसमें आदर्शों का ध्यान छोड़कर उसी रूप में कोई चीज़ या बात लोगों के सामने रखी जाती है, इसमें कर्ता न तो अपनी ओर से टीका-टिप्पणी करता है न अपना दृष्टिकोण बतलाता है और निष्कर्ष निकालने का काम दर्शकों या पाठकों पर छोड़ देता है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | अभावुकता, भावनाहीनता। |
संस्कृत | यथार्थ+वाद |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | यथार्थ |
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