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भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलंबो न्यूसिपेरा गार्टन) है। यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचीन [[भारत|भारतीय]] | *भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलंबो न्यूसिपेरा गार्टन) है। | ||
*यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचीन [[भारत|भारतीय]] काल और [[पुराण|पुराणों]] में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। | |||
कमल वनस्पति जगत का एक पौधा है जिसमें बड़े और ख़ूबसूरत फूल खिलते हैं। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। | *प्राचीनकाल से ही इसे भारतीय संस्कृति में शुभ प्रतीक माना जाता है। | ||
==जलीय वनस्पति== | |||
भारत पेड़ पौधों से भरा है। वर्तमान में उपलब्ध डाटा वनस्पति विविधता में इसका विश्व में दसवां और एशिया में चौथा स्थान है। अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है। | कमल वनस्पति जगत का एक पौधा है, जिसमें बड़े और ख़ूबसूरत फूल खिलते हैं। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। यह दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती, और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग सदैव गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल 'कमल जल-पद्म होते हैं, जिन्हें कमलिनी कहा जाता हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। जड़ के कार्य रिजोम्स द्वारा किए जाते हैं जो पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं। कमल के फूल अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। कमल से भरे हुए ताल को देखना काफी मनोहारी होता है क्योंकि ये तालाब की ऊपरी सतह पर खिलते हैं। | ||
==भारत और वनस्पति विविधता== | |||
भारत पेड़ पौधों से भरा देश है। वर्तमान में उपलब्ध डाटा वनस्पति विविधता में इसका विश्व में दसवां और एशिया में चौथा स्थान है। अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है। | |||
==कुमुद / वाटर लिलि== | ==कुमुद / वाटर लिलि== | ||
कमल के समान ही दूसरी प्रजाति का पुष्प है कुमुद। इसके पत्ते भी आकार में 15 से 30 सेमी तक हो सकते हैं। इसके पुष्प नीले, गुलाबी और सफेद होते हैं। नीले रंग के पुष्प मन मोह लेते हैं। | *कमल के समान ही दूसरी प्रजाति का पुष्प है कुमुद। | ||
*इसके पत्ते भी आकार में 15 से 30 सेमी तक हो सकते हैं। | |||
*इसके पुष्प नीले, गुलाबी और सफेद होते हैं। नीले रंग के पुष्प मन मोह लेते हैं। | |||
==रात में खिलना== | |||
*कुमुद की कुछ प्रजातियां रात में खिलती हैं। | |||
*काले रंग के फूल सुबह तक आपका स्वागत करते हैं। | |||
*नीला रंग दिन में खिलकर शाम तक बगीचे की शान बढ़ाता है। | |||
*वाटर लिलि की प्रजातियां जैसे-निम्पफिया, नौचाली, निम्मफिया स्टेलालाटा [[जयपुर]] की अच्छी नर्सरियों में उपलब्ध है। | |||
==कमल का महत्व== | ==कमल का महत्व== | ||
जलीय पौधों में पहला नाम कमल का आता है। इसे राष्ट्रीय फूल का दर्जा प्राप्त है। सुंदर पंखुडियों को कमल नेत्र कहा जाता है। लक्ष्मी का वास कहे जाने वाले इस पुष्प का पूजा अर्चना में विशेष महत्व है। | *जलीय पौधों में पहला नाम कमल का आता है। | ||
*इसे राष्ट्रीय फूल का दर्जा प्राप्त है। | |||
ऎसी विशेषता वाले फूल को हमारे घर आंगन में स्थान मिलना ही चाहिए। अनेक रंगों वाला कमल सूर्य के प्रकाश में खिलता है। वसंत, गर्मी, वर्षा ऋतु व सर्दी के आगमन तक इसमें फूल आते हैं। | *सुंदर पंखुडियों को कमल नेत्र कहा जाता है। | ||
*[[महालक्ष्मी देवी|लक्ष्मी]] का वास कहे जाने वाले इस पुष्प का पूजा अर्चना में विशेष महत्व है। | |||
*ऎसी विशेषता वाले फूल को हमारे घर आंगन में स्थान मिलना ही चाहिए। | |||
*अनेक रंगों वाला कमल सूर्य के प्रकाश में खिलता है। | |||
*वसंत, गर्मी, वर्षा ऋतु व सर्दी के आगमन तक इसमें फूल आते हैं। | |||
==राजसी पौधा== | ==राजसी पौधा== | ||
कमल | कमल राजसी पौधों में से एक है। कमल को छोटे कंटेनर में लगाना चाहिए। बहुत आसानी से आप उन के विकास की बुनियादी बातें समझकर देखभाल कर सकते हैं। कमल मुख्य तालाब, एक अलग छोटे तालाब, सजावटी बर्तन या कंटेनर में उगाए जा सकते हैं। | ||
==मुक्ति का प्रतीक कमल== | |||
==मुक्ति का प्रतीक== | भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म व दर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र, पूजनीय, सुंदरता, सद्भावना, शांति, स्मृति व बुराइयों से मुक्ति का प्रतीक माना गया है। मां देवी [[दुर्गा]] की कमल पुष्प से पूजा की जाती है। संभवत: यही वजह है कि इसे पुष्पराज भी कहा जाता है। | ||
कमल पुष्प को [[महालक्ष्मी देवी|महालक्ष्मी]], [[ब्रह्मा]], [[सरस्वती देवी|सरस्वती]] आदि देवी-देवताओं ने अपना आसन बनाया है, साथ ही यह लक्ष्मी का प्रतीक भी है। इस फूल से कई देवी-देवताओं की पूजा कर उन्हें खुश किया जा सकता है। यज्ञ व अनुष्ठानों में कमल पुष्प को निश्चित संख्या में अर्पित करने का शास्त्रों में विधान है। कमल फूल की उत्पत्ति कीचड़ और जल में होता है, लेकिन इसके बावजूद वह हमें पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अवांछनीय तत्वों के परिमार्जन द्वारा श्रेष्ठता को प्राप्त किया जाता है। यही वजह है कि कमल का खिलना अत्यंत शुभ और मांगलिक माना जाता है। मंदिरों के शिखर बंद कमल के आकार के बनाए जाते है। पृथ्वी की आकृति भी कमल के समान बताई गई है। कंडलिनी जागरण के लिए योगी जिन आठ चक्रों को भेदते है उन्हे विभिन्न दलों के कमल कहते है, क्योंकि उन्हें भेद कर ही ब्रह्मा का ज्ञान व उनकी प्राप्ति का होना संभव है। मां देवी दुर्गा को लाल फूल पसंद है। | |||
==भारतीय संस्कृति में कमल== | ==भारतीय संस्कृति में कमल== | ||
भारत का | कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। कमल का फूल बहुत दिन नहीं चलता हैं। भारत के झील, तालाब, विविध प्रकार के कमल दल से आच्छादित रहते थे। सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् का रूपक रचता है, कमल पुष्प। कमल हस्त, चरण कमल, कमल सा खिला खुला दिल ये उसी परमात्मा के ही तो गुण धर्म है, आदि रूपक के रूप में कमल का प्रयोग किया जाता है। [[वेद|वेदों]] और [[पुराण]] में कमल का गायन है। भिन्न भिन्न कला रूपों में, वास्तुकला में कमल मुखरित है। [[दिल्ली]] और [[पुदुचेरी|पॉडिचेरी]] में [[लोटस टेम्पल]] भवन निर्माण के उदाहरण हैं। | ||
==पर्यायवाची शब्द== | |||
पद्मा, पंकज, नीरज, जलज, कमल, कमला, कमलाक्षी आदि नाम कमल के पर्यायवाची शब्द हैं। लक्ष्मी कमल पुष्प पर विराजमान है, उनके हाथ में भी कमल शोभा बढ़ाता है। सूर्योदय के साथ कमल खिलता है और सूर्य के अस्त होने पर पंखुडियां बंद हो जातीं हैं। ज्ञान का प्रकाश हिने पर ऐसे ही हमारा मन खिलता विस्तारित होता है, हीन भावना खुल जातीं हैं। मन की पवित्रता का प्रतीक है कमल। ज्ञानी पुरूष के तमाम कर्म उसी ईश्वर को समर्पित होतें हैं। योग विद्या के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के केन्द्र हैं, सभी का सम्बन्ध कमल से है। कमल जिसमे निश्चित संख्या में पिताल्स हैं। सहस्र चक्र में 1000 पितल्स हैं, यह योग साधना की वह अवस्था जिसमें योगी को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, ईश्वरत्व से संपन्न हो जाता है, वह पद्मासन की मुद्रा में बैठने का विधान है, साधकों को [[विष्णु]] की नाभि से निसृत कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा से सृष्ठी की उत्पात्ति हुई बतलाई जाती है, यानि सृष्टि करता से सीधा सम्बन्ध, संपर्क, कोन्नेक्टिविटी है ,कमल की हॉटलाइन है दोनों के बीच जाहिर है स्वयं ब्रह्मा का प्रतीक है कमल स्वस्तिक चिन्ह भी इसी कमल से उद्भूत हुआ माना जता है इसीलियें तो ये अजीम्तर पुष्प राष्ट्रीय है। | |||
==पुराणों में कमल== | ==पुराणों में कमल== | ||
भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। [[हिन्दू]], [[बौद्ध]] और [[जैन]] धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है। | भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। [[हिन्दू]], [[बौद्ध]] और [[जैन]] धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है। |
Revision as of 11:35, 12 May 2010
कमल, राष्ट्रीय पुष्प / Lotus
- भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल (नेलंबो न्यूसिपेरा गार्टन) है।
- यह एक पवित्र पुष्प है तथा प्राचीन भारतीय काल और पुराणों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- प्राचीनकाल से ही इसे भारतीय संस्कृति में शुभ प्रतीक माना जाता है।
जलीय वनस्पति
कमल वनस्पति जगत का एक पौधा है, जिसमें बड़े और ख़ूबसूरत फूल खिलते हैं। कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। यह दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। इसमें और जलीय कुमुदिनियों में विशेष अंतर यह कि इसकी पत्तियों पर पानी की एक बूँद भी नहीं रुकती, और इसकी बड़ी पत्तियाँ पानी की सतह से ऊपर उठी रहती हैं। एशियाई कमल का रंग सदैव गुलाबी होता है। नीले, पीले, सफ़ेद और लाल 'कमल जल-पद्म होते हैं, जिन्हें कमलिनी कहा जाता हैं। बड़े आकर्षक फूलों में संतुलित रूप में अनेक पंखुड़ियाँ होती हैं। जड़ के कार्य रिजोम्स द्वारा किए जाते हैं जो पानी के नीचे कीचड़ में समानांतर फैली होती हैं। कमल के फूल अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते हैं। कमल से भरे हुए ताल को देखना काफी मनोहारी होता है क्योंकि ये तालाब की ऊपरी सतह पर खिलते हैं।
भारत और वनस्पति विविधता
भारत पेड़ पौधों से भरा देश है। वर्तमान में उपलब्ध डाटा वनस्पति विविधता में इसका विश्व में दसवां और एशिया में चौथा स्थान है। अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है।
कुमुद / वाटर लिलि
- कमल के समान ही दूसरी प्रजाति का पुष्प है कुमुद।
- इसके पत्ते भी आकार में 15 से 30 सेमी तक हो सकते हैं।
- इसके पुष्प नीले, गुलाबी और सफेद होते हैं। नीले रंग के पुष्प मन मोह लेते हैं।
रात में खिलना
- कुमुद की कुछ प्रजातियां रात में खिलती हैं।
- काले रंग के फूल सुबह तक आपका स्वागत करते हैं।
- नीला रंग दिन में खिलकर शाम तक बगीचे की शान बढ़ाता है।
- वाटर लिलि की प्रजातियां जैसे-निम्पफिया, नौचाली, निम्मफिया स्टेलालाटा जयपुर की अच्छी नर्सरियों में उपलब्ध है।
कमल का महत्व
- जलीय पौधों में पहला नाम कमल का आता है।
- इसे राष्ट्रीय फूल का दर्जा प्राप्त है।
- सुंदर पंखुडियों को कमल नेत्र कहा जाता है।
- लक्ष्मी का वास कहे जाने वाले इस पुष्प का पूजा अर्चना में विशेष महत्व है।
- ऎसी विशेषता वाले फूल को हमारे घर आंगन में स्थान मिलना ही चाहिए।
- अनेक रंगों वाला कमल सूर्य के प्रकाश में खिलता है।
- वसंत, गर्मी, वर्षा ऋतु व सर्दी के आगमन तक इसमें फूल आते हैं।
राजसी पौधा
कमल राजसी पौधों में से एक है। कमल को छोटे कंटेनर में लगाना चाहिए। बहुत आसानी से आप उन के विकास की बुनियादी बातें समझकर देखभाल कर सकते हैं। कमल मुख्य तालाब, एक अलग छोटे तालाब, सजावटी बर्तन या कंटेनर में उगाए जा सकते हैं।
मुक्ति का प्रतीक कमल
भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म व दर्शन में कमल के पुष्प को अत्यंत पवित्र, पूजनीय, सुंदरता, सद्भावना, शांति, स्मृति व बुराइयों से मुक्ति का प्रतीक माना गया है। मां देवी दुर्गा की कमल पुष्प से पूजा की जाती है। संभवत: यही वजह है कि इसे पुष्पराज भी कहा जाता है।
कमल पुष्प को महालक्ष्मी, ब्रह्मा, सरस्वती आदि देवी-देवताओं ने अपना आसन बनाया है, साथ ही यह लक्ष्मी का प्रतीक भी है। इस फूल से कई देवी-देवताओं की पूजा कर उन्हें खुश किया जा सकता है। यज्ञ व अनुष्ठानों में कमल पुष्प को निश्चित संख्या में अर्पित करने का शास्त्रों में विधान है। कमल फूल की उत्पत्ति कीचड़ और जल में होता है, लेकिन इसके बावजूद वह हमें पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अवांछनीय तत्वों के परिमार्जन द्वारा श्रेष्ठता को प्राप्त किया जाता है। यही वजह है कि कमल का खिलना अत्यंत शुभ और मांगलिक माना जाता है। मंदिरों के शिखर बंद कमल के आकार के बनाए जाते है। पृथ्वी की आकृति भी कमल के समान बताई गई है। कंडलिनी जागरण के लिए योगी जिन आठ चक्रों को भेदते है उन्हे विभिन्न दलों के कमल कहते है, क्योंकि उन्हें भेद कर ही ब्रह्मा का ज्ञान व उनकी प्राप्ति का होना संभव है। मां देवी दुर्गा को लाल फूल पसंद है।
भारतीय संस्कृति में कमल
कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। कमल का फूल बहुत दिन नहीं चलता हैं। भारत के झील, तालाब, विविध प्रकार के कमल दल से आच्छादित रहते थे। सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् का रूपक रचता है, कमल पुष्प। कमल हस्त, चरण कमल, कमल सा खिला खुला दिल ये उसी परमात्मा के ही तो गुण धर्म है, आदि रूपक के रूप में कमल का प्रयोग किया जाता है। वेदों और पुराण में कमल का गायन है। भिन्न भिन्न कला रूपों में, वास्तुकला में कमल मुखरित है। दिल्ली और पॉडिचेरी में लोटस टेम्पल भवन निर्माण के उदाहरण हैं।
पर्यायवाची शब्द
पद्मा, पंकज, नीरज, जलज, कमल, कमला, कमलाक्षी आदि नाम कमल के पर्यायवाची शब्द हैं। लक्ष्मी कमल पुष्प पर विराजमान है, उनके हाथ में भी कमल शोभा बढ़ाता है। सूर्योदय के साथ कमल खिलता है और सूर्य के अस्त होने पर पंखुडियां बंद हो जातीं हैं। ज्ञान का प्रकाश हिने पर ऐसे ही हमारा मन खिलता विस्तारित होता है, हीन भावना खुल जातीं हैं। मन की पवित्रता का प्रतीक है कमल। ज्ञानी पुरूष के तमाम कर्म उसी ईश्वर को समर्पित होतें हैं। योग विद्या के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के केन्द्र हैं, सभी का सम्बन्ध कमल से है। कमल जिसमे निश्चित संख्या में पिताल्स हैं। सहस्र चक्र में 1000 पितल्स हैं, यह योग साधना की वह अवस्था जिसमें योगी को ज्ञान प्राप्त हो जाता है, ईश्वरत्व से संपन्न हो जाता है, वह पद्मासन की मुद्रा में बैठने का विधान है, साधकों को विष्णु की नाभि से निसृत कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा से सृष्ठी की उत्पात्ति हुई बतलाई जाती है, यानि सृष्टि करता से सीधा सम्बन्ध, संपर्क, कोन्नेक्टिविटी है ,कमल की हॉटलाइन है दोनों के बीच जाहिर है स्वयं ब्रह्मा का प्रतीक है कमल स्वस्तिक चिन्ह भी इसी कमल से उद्भूत हुआ माना जता है इसीलियें तो ये अजीम्तर पुष्प राष्ट्रीय है।
पुराणों में कमल
भारत में पवित्र कमल का पुराणों में भी उल्लेख है और इसके बारे में कई कहावतें और धार्मिक मान्यताएं भी हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में इसकी ख़ासी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता है। इसीलिए इसको भारत का राष्ट्रीय पुष्प होने का गौरव प्राप्त है। कमल एक जलीय पौधा है। यह जल में रहने के लिए अनुकूलित है। यह अपने शरीर में हुए रचनात्मक एंव क्रियात्मक परिवर्तनों के द्वारा जलीय वातावरण में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करता है तथा वंश-वृद्धि करता है। अनुकूलन द्वारा ही यह सजीव प्रतिकूल जलीय परिस्थितियों में भी अपने आपको जीवीत रख पाता है तथा इसके जाति के अस्तित्व की रक्षा हो पाती है।