रजरप्पा: Difference between revisions
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*मुख्य मन्दिर के चारों तरफ़ महाविद्या के मन्दिर बनाए हैं यथा–तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, बागला, कमला, मातंगी, धूमावती। | *मुख्य मन्दिर के चारों तरफ़ महाविद्या के मन्दिर बनाए हैं यथा–तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, बागला, कमला, मातंगी, धूमावती। | ||
*भौगालिक दृष्टि से दामोदर नदी द्वारा नदीय अपरदन से निर्मित पॉट होल भी पर्यटकों एवं भूगोलवेत्ताओं के लिए दर्शनीय है। | *भौगालिक दृष्टि से [[दामोदर नदी]] द्वारा नदीय अपरदन से निर्मित पॉट होल भी पर्यटकों एवं भूगोलवेत्ताओं के लिए दर्शनीय है। | ||
*यहाँ की पहाड़ियों में भ्रंश दरार की अनेक रेखाएँ देखी जा सकती हैं। | *यहाँ की पहाड़ियों में भ्रंश दरार की अनेक रेखाएँ देखी जा सकती हैं। | ||
*मुख्यतः इस स्थान का सर्वाधिक आकर्षण, धार्मिक व्यक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण छिन्नमस्तिका का मन्दिर है। | *मुख्यतः इस स्थान का सर्वाधिक आकर्षण, धार्मिक व्यक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण छिन्नमस्तिका का मन्दिर है। |
Revision as of 11:45, 7 September 2011
- झारखंड के शहर हज़ारीबाग़ में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है।
- यह राँची-बोकारो मार्ग पर राँची से लगभग 68 किमी0 की दूरी पर स्थित है।
- यहाँ माँ छिन्नमस्तिका का मन्दिर है।
- इस स्थान की प्रसिद्धि विद्यापीठ के रूप में है।
- राजरप्पा स्थित सिद्धपीठ देश की 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक है।
- यह स्थान दामोदर और भैरवी नदी के संगम स्थल पर स्थित है।
- इस स्थल पर भैरवी नदी (भेड़ा नदी) 7 मीटर (23 फ़ीट) का प्रपात बनाती है।
- मुख्य मन्दिर के चारों तरफ़ महाविद्या के मन्दिर बनाए हैं यथा–तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, बागला, कमला, मातंगी, धूमावती।
- भौगालिक दृष्टि से दामोदर नदी द्वारा नदीय अपरदन से निर्मित पॉट होल भी पर्यटकों एवं भूगोलवेत्ताओं के लिए दर्शनीय है।
- यहाँ की पहाड़ियों में भ्रंश दरार की अनेक रेखाएँ देखी जा सकती हैं।
- मुख्यतः इस स्थान का सर्वाधिक आकर्षण, धार्मिक व्यक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण छिन्नमस्तिका का मन्दिर है।
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