तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवाक-9: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{तैत्तिरीयोपनिषद}}")
Line 17: Line 17:
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:उपनिषद]]  
[[Category:उपनिषद]][[Category:संस्कृत साहित्य]]  


__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 13:44, 13 October 2011

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • इस अनुवाक में ब्रह्मा का बोध कर लेने वाले साधक को पाप-पुण्य के भय से दूर बताया गया है।
  • जिस 'ब्रह्म' की अनुभूति मन के साथ होती है और जिसे वाणी द्वारा अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता, उसे जब कोई साधक अपनी साधना से जान लेता है, तब उसे किसी बात की भी चिन्ता अथवा भय नहीं सताता।
  • जो विद्वान पाप-पुण्य के कर्मों को समान भाव से जानता है, वह पापों से अपनी रक्षा करने में पूरी तरह समर्थ होता है।
  • जो विद्वान पाप-पुण्य, दोनों ही कर्मों के बन्धन को जान लेता है, वह दोनों में आसक्त न होकर अपनी रक्षा करने में समर्थ होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9

तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10

तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 | अनुवाक-11 | अनुवाक-12