बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-4 ब्राह्मण-2: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{बृहदारण्यकोपनिषद}}")
Line 20: Line 20:
[[Category:बृहदारण्यकोपनिषद]]
[[Category:बृहदारण्यकोपनिषद]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:उपनिषद]]  
[[Category:उपनिषद]][[Category:संस्कृत साहित्य]]  


__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 13:45, 13 October 2011

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • इस ब्राह्मण में विदेहराज जनक याज्ञवल्क्य के पास जाकर उपदेश की कामना करते हैं।
  • याज्ञवल्क्य पहले राजा से उसका गन्तव्य पूछते हैं, पर जब राजा अपने गन्तव्य के विषय में न जानने की बात कहता है, तो वे गूढ अर्थ में योगिक क्रियाओं द्वारा उसे 'ब्रह्मरन्ध्र' में पहुंचने के लिए कहते हैं।
  • उनका भाव यही है कि दोनों आंखों के बीच में 'आज्ञाचक्र' का स्थान है।
  • उसका ध्यान करने से रोम-रोम में व्याप्त 'प्राण' की वास्तविक अनुभूति होने लगती है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • 'ब्रह्मरन्ध्र' में काशी का वास बताया गया है।
  • इसी मार्ग से आत्मा शरीर में प्रवेश करती है और इस मार्ग से प्राण छोड़ने पर सीधे मोक्ष प्राप्त होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-1

ब्राह्मण-1 | ब्राह्मण-2 | ब्राह्मण-3 | ब्राह्मण-4 | ब्राह्मण-5 | ब्राह्मण-6

बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-2

ब्राह्मण-1 | ब्राह्मण-2 | ब्राह्मण-3 | ब्राह्मण-4 | ब्राह्मण-5 | ब्राह्मण-6

बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-3

ब्राह्मण-1 | ब्राह्मण-2 | ब्राह्मण-3 | ब्राह्मण-4 | ब्राह्मण-5 | ब्राह्मण-6 | ब्राह्मण-7 | ब्राह्मण-8 | ब्राह्मण-9

बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-4

ब्राह्मण-1 | ब्राह्मण-2 | ब्राह्मण-3 | ब्राह्मण-4 | ब्राह्मण-5 | ब्राह्मण-6

बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5

ब्राह्मण-1 | ब्राह्मण-2 | ब्राह्मण-3 से 4 | ब्राह्मण-5 से 12 | ब्राह्मण-13 | ब्राह्मण-14 | ब्राह्मण-15

बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-6

ब्राह्मण-1 | ब्राह्मण-2 | ब्राह्मण-3 | ब्राह्मण-4 | ब्राह्मण-5