हिम्मत जौनपुरी -राही मासूम रज़ा: Difference between revisions
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Revision as of 08:16, 15 November 2011
हिम्मत जौनपुरी -राही मासूम रज़ा
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लेखक | राही मासूम रज़ा |
मूल शीर्षक | हिम्मत जौनपुरी |
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 1969 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 125 |
भाषा | हिंदी |
विषय | सामाजिक |
प्रकार | उपन्यास |
राही मासूम रज़ा का दूसरा उपन्यास 'हिम्मत जौनपुरी' था, जो मार्च 1969 में प्रकाशित हुआ। आधा गांव की अपेक्षा यह उपन्यास जीवन चरितात्मक है और बहुत ही छोटा है। हिम्मत जौनपुरी लेखक का बचपन का साथी था और उनका यह विचार है कि दोनों का जन्म एक ही दिन पहली सितंबर सन् सत्ताईस को हुआ था।
- कथानक
हिम्मत जौनपुरी एक ऐसे निहत्थे की कहानी है जो जीवन भर जीने का हक माँगता रहा, सपने बुनता रहा परन्तु आत्मा की तलाश और सपनों के संघर्ष में उलझ कर रह गया। यह बंबई के उस फिल्मी माहौल की कहानी भी है जिसकी भूल-भुलैया और चमक-दमक आदमी को भटका देती है और वह कहीं का नहीं रह जाता।
- शैली
राही मासूम रज़ा की चिर-परिचित शैली का ही कमाल है कि इसमें केवल सपने या भूल-भूलैया का तिलिस्मी यथार्थ नहीं बल्कि उस समाज की भी कहानी है, जिसमें जमुना जैसी पात्र चाहकर भी अपनी असली जिंदगी बसर नहीं कर सकती। एक तरफ इसमें व्यंगात्मक शैली में सामाजिक खोखलेपन को उजागर करता यथार्थ है तो दूसरी तरफ भावनाओं की उत्ताल लहरें हैं।
- विशेषता
राही मासूम रज़ा साहब ने 'हिम्मत जौनपुरी' को माध्यम बनाकर सामान्य व्यक्ति के अरमान के टूटने और बिखरने को जिस नये अंदाज और तेवर के साथ लिखा है वह उनके अन्य उपन्यासों से बिल्कुल अलग है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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