मत्तगयन्द सवैया: Difference between revisions
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Revision as of 06:06, 1 December 2011
मत्तगयन्द सवैया 23 वर्णों का छन्द है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है। नरोत्तमदास, तुलसी, केशव, भूषण, मतिराम, घनानन्द, भारतेन्दु, हितैषी, सनेही, अनूप आदि ने इसका प्रयोग किया है।
- "केसव गाधि के नन्द हमें वह ज्योति सो मूरतिवन्त दिखायी।[1]
- "कोदौ सवाँ जुरतो भरि पेट न चाहत हौ दधि दूध मठौती।"[2]
- "धूमि में लोटना था जिनको उनको सुख-सम्पत्ति लूटते देखा।"[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।
बाहरी कड़ियाँ
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