सेल्‍यूलर जेल: Difference between revisions

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Revision as of 09:45, 24 December 2011

सेल्यूलर जेल या काला पानी अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित एक कारागार है।

  • इस जेल की अंदरूनी बनावट सेल (कोठरी) जैसी है, इसलिए इसे सेल्यूलर जेल कहा गया है।
  • ब्रिटिश शासन द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर होने वाले अत्याचारों की मूक गवाह इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी।
  • सेल्यूलर जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों को आपसी मेलजोल से रोकना था।
  • ऑक्टोपस की भांति सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं।
  • कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहाँ एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों को रखा गया है जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।
  • सेल्यूलर जेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद में रखने के लिए बनाई गई थी, जो मुख्य भारत भूमि से हज़ारों किलोमीटर दूर स्थित है और समुद्र द्वारा बहुत ही दुर्गम मार्ग था।
  • संरचना की दृष्टि से देखा जाए तो इस जेल के बीच में एक टावर बना है, जिससे सात भुजाएँ निकली हैं जो टावर से गलियारे के माध्यम से जुड़ी है। यहाँ से कैदियों पर सख्त निगरानी रखी जाती थी।
  • इसमें देश के विभिन्न भागों से लाए स्वतंत्रता सेनानियों को नजरबंद रखा जाता था। उन्हें यहाँ कठोर दिल दहला देने वाली यातनाएँ दी जाती थीं, जिनमें चक्की पीसना, कोल्हू पर तेल पिराई करना, पत्थर तोड़ना, लकड़ी काटना, एक हफ्ते तक हथकड़ियां बांधे खड़े रहना, तन्हाई के दिन बिताना, चार दिन तक भूखा रखना, दस दिनों तक क्रासवार की स्थिति में रहना आदि यातनाएं शामिल थीं।
  • सेल्यूलरजेल में स्थित ओपन थिएटर में बैठकर जब आप ध्वनि-प्रकाश की ऑडियो और प्रकाश साथ-साथ देखते हैं तो हृदय और धमनियाँ रोमांचित हो उठती हैं तो कभी अमानवीय कृत्यों की अनवरत दास्तान सुनते-सुनते हृदय सिसकियाँ भरने लगता है। ध्वनि-प्रकाश का ऐसा प्रभावशाली संयोजन और कहीं देखने को नहीं मिलता।


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