नए फैशन के मकान -अनूप सेठी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Jagat_men_mela....' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 30: Line 30:
|}
|}
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
{{अनूप सेठी की रचनाएँ}}
{{जगत में मेला}}
{{जगत में मेला}}
</div></div>
</div></div>
Line 68: Line 67:




{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Revision as of 13:37, 7 January 2012

नए फैशन के मकान -अनूप सेठी
कवि अनूप सेठी
मूल शीर्षक जगत में मेला
प्रकाशक आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड,एस. सी. एफ. 267, सेक्‍टर 16,पंचकूला - 134113 (हरियाणा)
प्रकाशन तिथि 2002
देश भारत
पृष्ठ: 131
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अनूप सेठी की रचनाएँ

जब बन गया नए फैशन का मकान
पुराने घर को छोड़कर आ गए रहने लोग

पक्की गली बाजार तक जाती है
पिछवाड़े वही है पुराना मुहल्ला

सहमे हुए रहते हैं बच्चे
उड़धम मचाते हैं जब हों अकेले

बड़े लोगों ने सीख लिया
ओंठ सिल के व्यस्त बने रहना
अखबार खरीदना
टीवी देखना
कभी कभी आपस में
पँखे से सुर मिला कर
घुर-घुर बातें करना

रात को जब बिस्तर पर पड़ते हैं
नए फैशन के मकान में
पुराने शहर को छोड़ कर आए हुए लोग
कोलाहल उनके फेफड़ों से बाहर निकलता है

थोड़ा घर की दीवारों को खुरचता है
थोड़ा बाजार गली में टहलने निकल जाता है
थोड़ा पड़ोस में कानाफूसी करता है
थोड़ा खिड़की से हवा हो जाता है ।
                       (1989)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख