भारतीय स्टेट बैंक: Difference between revisions
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[[2 जून]], 1806 को [[कलकत्ता]] में बैंक ऑफ़ कलकत्ता की स्थापना हुई थी, जिसे तीन वर्षों के पश्चात चार्टर मिला तथा [[2 जनवरी]], 1809 को इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ़ बंगाल के रूप में हुआ। यह बैंक अनोखा था क्योकि यह बैंक ब्रिटिश इंडिया तथा बंगाल सरकार द्वारा साझा स्टॉक पर चलाया जाता था। उसके बाद बैंक ऑफ़ बॉम्बे तथा बैंक ऑफ़ मद्रास की शुरुआत हुई। ये तीनों बैंक आधुनिक भारत के प्रमुख बैंक तब तक बने रहे जब तक कि इनका विलय''' इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया''' में नहीं कर दिया गया। [[27 जनवरी]], [[1921]] में इन तीन '''प्रेसिडेंसी बैंकों (बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ बम्बई, बैंक ऑफ़ मद्रास)''' को मिलाकर इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया (भारतीय शाही बैंक) की स्थापना की गयी। | [[2 जून]], 1806 को [[कलकत्ता]] में बैंक ऑफ़ कलकत्ता की स्थापना हुई थी, जिसे तीन वर्षों के पश्चात चार्टर मिला तथा [[2 जनवरी]], 1809 को इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ़ बंगाल के रूप में हुआ। यह बैंक अनोखा था क्योकि यह बैंक ब्रिटिश इंडिया तथा बंगाल सरकार द्वारा साझा स्टॉक पर चलाया जाता था। उसके बाद बैंक ऑफ़ बॉम्बे तथा बैंक ऑफ़ मद्रास की शुरुआत हुई। ये तीनों बैंक आधुनिक भारत के प्रमुख बैंक तब तक बने रहे जब तक कि इनका विलय''' इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया''' में नहीं कर दिया गया। [[27 जनवरी]], [[1921]] में इन तीन '''प्रेसिडेंसी बैंकों (बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ बम्बई, बैंक ऑफ़ मद्रास)''' को मिलाकर इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया (भारतीय शाही बैंक) की स्थापना की गयी। सन् [[1951]] में पहली पंचवर्षीय योजना की नींव डाली गई जिसमें गांवों के विकास पर ज़ोर डाला गया था। इस समय तक इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया का कारोबार सिर्फ़ शहरों तक सीमित था। अतः ग्रामीण विकास के मद्देनज़र एक ऐसे बैंक की कल्पना की गई जिसकी पहुंच गांवों तक हो तथा ग्रामीण जनता को जिसका लाभ हो सके। इसके फलस्वरूप [[1 जुलाई]] 1955 को भारत सरकार ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का अधिग्रहण (नाम बदलकर) कर इसका नामकरण '''भारतीय स्टेट बैंक''' रख दिया। अपने स्थापना काल में भारतीय स्टेट बैंक के कुल 480 कार्यालय थे जिसमें शाखाएँ, उप शाखाएँ तथा तीन स्थानीय मुख्यालय शामिल थे, जो इम्पीरियल बैंकों के मुख्यालयों को बनाया गया था। | ||
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भारतीय स्टेट बैंक के राष्ट्रीयकरण के समय भारतीय स्टेट बैंक साथ [[संसद]] में वर्ष 1959 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (सब्सिडियरी बैंक) अधिनियम पारित कर एसबीआई को 8 पूर्व सहयोगी बैकों (वर्तमान में केवल 7) के अधिग्रहण का अधिकार दिया गया, जिससे ये बैंक एसबीआई के '''सहायक बैंक''' बन गये और इसे स्टेट बैंक समूह का नाम दिया गया। | भारतीय स्टेट बैंक के राष्ट्रीयकरण के समय भारतीय स्टेट बैंक साथ [[संसद]] में वर्ष 1959 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (सब्सिडियरी बैंक) अधिनियम पारित कर एसबीआई को 8 पूर्व सहयोगी बैकों (वर्तमान में केवल 7) के अधिग्रहण का अधिकार दिया गया, जिससे ये बैंक एसबीआई के '''सहायक बैंक''' बन गये और इसे स्टेट बैंक समूह का नाम दिया गया। |
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thumb|300px|भारतीय स्टेट बैंक का प्रतीक चिह्न
Logo of State Bank of India (SBI)
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) / State Bank of India (SBI)
- भारतीय स्टेट बैंक भारत देश का सबसे बड़ा वाणिज्यिक और सबसे पुराना बैंक है। यह एक अनुसूचित बैंक भी कहते हैं।
- दस हज़ार शाखाओं और 8,500 एटीएम के नेटवर्क वाला भारतीय स्टेट बैंक सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों में सबसे बड़ा बैंक है।
स्थापना
2 जून, 1806 को कलकत्ता में बैंक ऑफ़ कलकत्ता की स्थापना हुई थी, जिसे तीन वर्षों के पश्चात चार्टर मिला तथा 2 जनवरी, 1809 को इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ़ बंगाल के रूप में हुआ। यह बैंक अनोखा था क्योकि यह बैंक ब्रिटिश इंडिया तथा बंगाल सरकार द्वारा साझा स्टॉक पर चलाया जाता था। उसके बाद बैंक ऑफ़ बॉम्बे तथा बैंक ऑफ़ मद्रास की शुरुआत हुई। ये तीनों बैंक आधुनिक भारत के प्रमुख बैंक तब तक बने रहे जब तक कि इनका विलय इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया में नहीं कर दिया गया। 27 जनवरी, 1921 में इन तीन प्रेसिडेंसी बैंकों (बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ बम्बई, बैंक ऑफ़ मद्रास) को मिलाकर इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया (भारतीय शाही बैंक) की स्थापना की गयी। सन् 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना की नींव डाली गई जिसमें गांवों के विकास पर ज़ोर डाला गया था। इस समय तक इंपिरियल बैंक ऑफ़ इंडिया का कारोबार सिर्फ़ शहरों तक सीमित था। अतः ग्रामीण विकास के मद्देनज़र एक ऐसे बैंक की कल्पना की गई जिसकी पहुंच गांवों तक हो तथा ग्रामीण जनता को जिसका लाभ हो सके। इसके फलस्वरूप 1 जुलाई 1955 को भारत सरकार ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का अधिग्रहण (नाम बदलकर) कर इसका नामकरण भारतीय स्टेट बैंक रख दिया। अपने स्थापना काल में भारतीय स्टेट बैंक के कुल 480 कार्यालय थे जिसमें शाखाएँ, उप शाखाएँ तथा तीन स्थानीय मुख्यालय शामिल थे, जो इम्पीरियल बैंकों के मुख्यालयों को बनाया गया था।
राष्ट्रीयकरण
भारतीय स्टेट बैंक के राष्ट्रीयकरण के समय भारतीय स्टेट बैंक साथ संसद में वर्ष 1959 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (सब्सिडियरी बैंक) अधिनियम पारित कर एसबीआई को 8 पूर्व सहयोगी बैकों (वर्तमान में केवल 7) के अधिग्रहण का अधिकार दिया गया, जिससे ये बैंक एसबीआई के सहायक बैंक बन गये और इसे स्टेट बैंक समूह का नाम दिया गया।
कारोबार (बिज़नेस)
कारोबारी साल 2008 - 09 में बैंक का शुद्ध लाभ 35.5% बढ़ कर 9,120.9 करोड़ रुपये रहा। इस दौरान इसकी ब्याज से होने वाली आय में 22.6 % की वृद्धि दर्ज की गयी और यह 20,873 करोड़ रुपये हो गयी। साल 2008 - 09 में एसबीआई के कुल कर्जों में 29.8% की बढ़त आयी, जबकि इसकी जमाराशियाँ 38% की दर से बढ़ीं।[1]भारतीय स्टेट बैंक को 2009 - 10 की दूसरी तिमाही में 2,490.04 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड भारतीय स्टेट बैंक की सब्सिडियरी है, जो इनवेस्टमेंट बैंकिंग का कारोबार देखती है। साथ ही बैंक ने साधारण बीमा के लिए इंश्योरेंस ऑस्ट्रेलिया ग्रुप के साथ करार किया है। इसके अलावा बैंक प्राइवेट इक्विटी, वेंचर कैपिटल, म्युचुअल फंड्स जैसे क्षेत्रों में भी कार्यरत है। एसबीआई ने अपने सभी सहयोगी बैंकों के अपने साथ विलय की योजना बनायी है। सात सहयोगी बैंकों में से स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में एसबीआई की 100 % हिस्सेदारी है। जबकि शेष चार बैंको - स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ ट्रैवेनकोर और स्टेट बैंक ऑफ इंदौर में इसकी 75 % से 98 % तक हिस्सेदारी है।[1]
- भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैंक
- स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर
- स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद
- स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर
- स्टेट बैंक ऑफ़ पटियाला
- स्टेट बैंक ऑफ़ त्रावणकोर
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) (हिन्दी) (पी.एच.पी.) शेयर मंथन। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2011।
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