विट्ठल भाई पटेल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
*'''विट्ठलदास झवेरभाई पटेल''' (1873-1933 ई.) [[भारत]] के प्रमुख राष्ट्रीय नेता और [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] के बड़े भाई थे।
'''विट्ठलदास झवेरभाई पटेल''' (जन्म- [[27 सितम्बर]], [[1873]] ई.; मृत्यु- [[1933]] ई.) [[भारत]] के प्रमुख राष्ट्रीय नेता और [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] के बड़े भाई थे। अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही ये देश को आज़ादी दिलाने के कार्य में जुट गये। ब्रिटिश सरकार द्वारा जेल में नज़रबन्द कर दिये जाने के दौरान ही इनक स्वास्थ्य चौपट हो गया और 1933 ई. में वियना में इनकी मृत्यु हो गई।
*इनका जन्म 27 सितम्बर, 1873 ई. को नड़ियाद में और मृत्यु 22 अक्टूबर, 1933 ई. को वियना में हुई।
==परिचय==
*1905 ई. में झवेरभाई पटेल बैरिस्टर हुए और वक़ालत करने लगे, परन्तु शीघ्र ही भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में खिच आये।
झवेरभाई पटेल का जन्म 27 सितम्बर, 1873 ई. को नड़ियाद, [[गुजरात]] में हुआ था। 1905 ई. में इन्होंने अपनी बैरिस्टरी पूरी की और वक़ालत करने लगे, परन्तु शीघ्र ही [[भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन]] में खिच आये। इन्होंने [[रौलट एक्ट]] के विरुद्ध [[भारत]] में प्रबल जन आंदोलन चलाया। इन्हें केन्द्रीय असेम्बली का सदस्य भी चुना गया, किन्तु [[कांग्रेस]] की असहयोग की नीति के अनुसार सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। बाद में ये [[स्वराज्य पार्टी]] में सम्मिलित हो गये और केन्द्रीय असेम्बली के पहले ग़ैर सरकारी अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।
*उन्होंने [[रौलट एक्ट]] के विरुद्ध भारत में प्रबल जन आंदोलन चलाया था।
====जेल में नज़रबन्द====
*इन्हें केन्द्रीय असेम्बली का सदस्य भी चुना गया, किन्तु [[कांग्रेस]] की असहयोग की नीति के अनुसार सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
इन्होंने अपना निर्णायक मत डालकर सरकारी सार्वजनिक सुरक्षा बिल को अस्वीकृत करा दिया और अधिवेशन के दौरान पुलिस को केन्द्रीय असेम्बली हॉल में प्रवेश करने से रोक दिया। इन्होंने [[1930]] ई. में [[कांग्रेस]] नेताओं के नज़रबंद कर दिये जाने के विरोधस्वरूप केन्द्रीय असेम्बली के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया और इसके बाद ही स्वयं इनको भी नज़रबंद कर दिया गया। जेल में उनका स्वास्थ्य चौपट हो गया और वे स्वास्थ्य सुधार के लिए [[यूरोप]] चले गए।  
*बाद में ये स्वराज्य पार्टी में सम्मिलित हो गये। वे केन्द्रीय असेम्बली के पहले ग़ैर सरकारी अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।
==निधन==
*झवेरभाई पटेल ने अपना निर्णायक मत डालकर सरकारी सार्वजनिक सुरक्षा बिल को अस्वीकृत करा दिया था और अधिवेशन के दौरान पुलिस को केन्द्रीय असेम्बली हॉल में प्रवेश करने से रोक दिया।
वियना में उनकी भेंट नेताजी [[सुभाषचन्द्र बोस]] से हुई। नेताजी पर उनका पूरा विश्वास था और उन्होंने उनको अपनी इच्छानुसार राष्ट्रीय कार्यों में ख़र्च करने के लिए दो लाख रुपये की वसीयत कर दी। इसके बाद ही वियना में उनकी मृत्यु हो गई। 1933 ई. में उनकी मृत्यु पर छोटे भाई [[सरदार पटेल]] ने असहयोग के सिद्धान्तों में विश्वास करते हुए भी [[भारत]] में ब्रिटिश अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया और बड़े भाई की वसीयत रद्द करा दी। विट्ठलदास झवेरभाई पटेल महान देशभक्त थे और [[भारत]] के [[अंग्रेज़]] शासक भी उसने डरते थे।
*उन्होंने 1930 ई. में [[कांग्रेस]] नेताओं के नज़रबंद कर दिये जाने के विरोधस्वरूप केन्द्रीय असेम्बली के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया और इसके बाद ही स्वयं उनको भी नज़रबंद कर दिया गया।
*जेल में उनका स्वास्थ्य चौपट हो गया और वे स्वास्थ्य सुधार के लिए [[यूरोप]] चले गए।
*वियना में उनकी भेंट नेताजी [[सुभाषचन्द्र बोस]] से हुई थी।
*नेताजी पर उनका पूरा विश्वास था और उन्होंने उनको अपने इच्छानुसार राष्ट्रीय कार्यों में ख़र्च करने के लिए दो लाख रुपये की वसीयत कर दी।
*इसके बाद ही वियना में उनकी मृत्यु हो गई। 1933 ई. में उनकी मृत्यु पर छोटे भाई सरदार पटेल ने असहयोग के सिद्धान्तों में विश्वास करते हुए भी [[भारत]] में ब्रिटिश अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया और बड़े भाई की वसीयत रद्द करा दी।
*विट्ठलदास झवेरभाई पटेल महान देशभक्त थे और [[भारत]] के [[अंग्रेज़]] शासक भी उसने डरते थे।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 232| chapter =}}
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=232|url=}}
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
Line 27: Line 21:
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 13:22, 22 April 2012

विट्ठलदास झवेरभाई पटेल (जन्म- 27 सितम्बर, 1873 ई.; मृत्यु- 1933 ई.) भारत के प्रमुख राष्ट्रीय नेता और सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई थे। अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही ये देश को आज़ादी दिलाने के कार्य में जुट गये। ब्रिटिश सरकार द्वारा जेल में नज़रबन्द कर दिये जाने के दौरान ही इनक स्वास्थ्य चौपट हो गया और 1933 ई. में वियना में इनकी मृत्यु हो गई।

परिचय

झवेरभाई पटेल का जन्म 27 सितम्बर, 1873 ई. को नड़ियाद, गुजरात में हुआ था। 1905 ई. में इन्होंने अपनी बैरिस्टरी पूरी की और वक़ालत करने लगे, परन्तु शीघ्र ही भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में खिच आये। इन्होंने रौलट एक्ट के विरुद्ध भारत में प्रबल जन आंदोलन चलाया। इन्हें केन्द्रीय असेम्बली का सदस्य भी चुना गया, किन्तु कांग्रेस की असहयोग की नीति के अनुसार सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। बाद में ये स्वराज्य पार्टी में सम्मिलित हो गये और केन्द्रीय असेम्बली के पहले ग़ैर सरकारी अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।

जेल में नज़रबन्द

इन्होंने अपना निर्णायक मत डालकर सरकारी सार्वजनिक सुरक्षा बिल को अस्वीकृत करा दिया और अधिवेशन के दौरान पुलिस को केन्द्रीय असेम्बली हॉल में प्रवेश करने से रोक दिया। इन्होंने 1930 ई. में कांग्रेस नेताओं के नज़रबंद कर दिये जाने के विरोधस्वरूप केन्द्रीय असेम्बली के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया और इसके बाद ही स्वयं इनको भी नज़रबंद कर दिया गया। जेल में उनका स्वास्थ्य चौपट हो गया और वे स्वास्थ्य सुधार के लिए यूरोप चले गए।

निधन

वियना में उनकी भेंट नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से हुई। नेताजी पर उनका पूरा विश्वास था और उन्होंने उनको अपनी इच्छानुसार राष्ट्रीय कार्यों में ख़र्च करने के लिए दो लाख रुपये की वसीयत कर दी। इसके बाद ही वियना में उनकी मृत्यु हो गई। 1933 ई. में उनकी मृत्यु पर छोटे भाई सरदार पटेल ने असहयोग के सिद्धान्तों में विश्वास करते हुए भी भारत में ब्रिटिश अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया और बड़े भाई की वसीयत रद्द करा दी। विट्ठलदास झवेरभाई पटेल महान देशभक्त थे और भारत के अंग्रेज़ शासक भी उसने डरते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 232 |


संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी