कर्णसुवर्ण: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (श्रेणी:नया पन्ना (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{पुनरीक्षण}} | {{पुनरीक्षण}} | ||
कर्णसुवर्ण प्राचीन काल में [[बंगाल]] का यह भाग बंग<ref>[[गंगा]] की मुख्य धारा पद्मा के दक्षिण का भाग</ref> के पश्चिम में माना जाता था। कर्णसुवर्ण में वर्तमान वर्दवान, [[मुर्शिदाबाद]] और | '''कर्णसुवर्ण''' प्राचीन काल में [[बंगाल]] का एक महत्त्वपूर्ण भाग था। उस समय यह भाग 'बंग'<ref>[[गंगा]] की मुख्य धारा [[पद्मा नदी|पद्मा]] के दक्षिण का भाग</ref> के पश्चिम में स्थित माना जाता था। कर्णसुवर्ण में वर्तमान में वर्दवान, [[मुर्शिदाबाद]] और वीरभूम के ज़िले सम्मिलित हैं। | ||
*चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] के वर्णन से ज्ञात होता है कि [[हर्ष]] के राजत्वकाल में यह प्रदेश पर्याप्त धनी एवं उन्नतिशील था। | |||
*कर्णसुवर्ण की तत्कालीन राजधानी का अभिधान ठीक-ठीक निश्चित नहीं है। यह लगभग चार मील के घेरे में बसी हुई थी। | |||
*[[हर्षवर्धन]] के ज्येष्ठभ्राता [[राज्यवर्धन]] की हत्या करने वाला नरेश [[शशांक]] इसी प्रदेश का राजा था (619-637 ई.)। | |||
*इसके पश्चात [[कामरूप]] के नरेश भास्करवर्मन का आधिपत्य यहाँ स्थापित हो गया, जैसा कि विधानपुर ताम्रपट्ट लेखों से सूचित होता है। *मध्यकाल में [[सेन वंश|सेनवंशीय]] नरेशों ने कर्णसुवर्ण नगर में ही [[बंगाल]] की राजधानी बनाई थी। | |||
*नगर का तद्भव नाम 'कानसोना' था। आधुनिक [[मुर्शिदाबाद]] प्राचीन कर्णसुवर्ण के स्थान पर ही बसा है। | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान}} | {{पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान}} |
Revision as of 08:43, 23 April 2012
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
कर्णसुवर्ण प्राचीन काल में बंगाल का एक महत्त्वपूर्ण भाग था। उस समय यह भाग 'बंग'[1] के पश्चिम में स्थित माना जाता था। कर्णसुवर्ण में वर्तमान में वर्दवान, मुर्शिदाबाद और वीरभूम के ज़िले सम्मिलित हैं।
- चीनी यात्री युवानच्वांग के वर्णन से ज्ञात होता है कि हर्ष के राजत्वकाल में यह प्रदेश पर्याप्त धनी एवं उन्नतिशील था।
- कर्णसुवर्ण की तत्कालीन राजधानी का अभिधान ठीक-ठीक निश्चित नहीं है। यह लगभग चार मील के घेरे में बसी हुई थी।
- हर्षवर्धन के ज्येष्ठभ्राता राज्यवर्धन की हत्या करने वाला नरेश शशांक इसी प्रदेश का राजा था (619-637 ई.)।
- इसके पश्चात कामरूप के नरेश भास्करवर्मन का आधिपत्य यहाँ स्थापित हो गया, जैसा कि विधानपुर ताम्रपट्ट लेखों से सूचित होता है। *मध्यकाल में सेनवंशीय नरेशों ने कर्णसुवर्ण नगर में ही बंगाल की राजधानी बनाई थी।
- नगर का तद्भव नाम 'कानसोना' था। आधुनिक मुर्शिदाबाद प्राचीन कर्णसुवर्ण के स्थान पर ही बसा है।