प्लेट टेक्टोनिक्स: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{पुनरीक्षण}}
'''प्लेट टेक्टोनिक्स''' सिद्धांत के अनुसार स्थल मण्डल कई दृढ़ प्लेटों के रूप में विभाजित है। ये प्लेटें स्थल मण्डल के नीचे स्थित दुर्बलतामंडल के ऊपर तैर रही है।  
'''प्लेट टेक्टोनिक्स''' सिद्धांत के अनुसार स्थल मण्डल कई दृढ़ प्लेटों के रूप में विभाजित है। ये प्लेटें स्थल मण्डल के नीचे स्थित दुर्बलतामंडल के ऊपर तैर रही है। इस सिद्धांत के अनुसार भूगर्भ में उत्पन्न ऊष्मीय संवहनीय धाराओं के प्रभाव के अंतर्गत महाद्वीपीय और महासागरीय प्लेटें विभिन्न दिशाओं में विस्थापित होती रहती है।  
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right"
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right"
|+ प्रमुख प्लेटें
|+ प्रमुख प्लेटें
Line 19: Line 19:
|प्रशांत प्लेट || 103.3
|प्रशांत प्लेट || 103.3
|}
|}
*इस सिद्धांत के अनुसार भूगर्भ में उत्पन्न ऊष्मीय संवहनीय धाराओं के प्रभाव के अंतर्गत महाद्वीपीय और महासागरीय प्लेटें विभिन्न दिशाओं में विस्थापित होती रहती है।
 
*इन स्थलमंडलीय प्लेटों के इस संचलन को महाद्वीपों तथा महासागरों के वर्तमान वितरण के लिए उत्तरदायी माना जाता है। जहां दो प्लेटें वपरीत दिशाओं में अपसरित होती है उन किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारा या अपसारी सीमांत कहते हैं। जब दो प्लेटें आमने-सामने अभिसरित होती है तो इन्हें विनाशशील प्लेट किनारे अथवा अभिसारी सीमांत कहते हैं।
*इन स्थलमंडलीय प्लेटों के इस संचलन को महाद्वीपों तथा महासागरों के वर्तमान वितरण के लिए उत्तरदायी माना जाता है। जहां दो प्लेटें वपरीत दिशाओं में अपसरित होती है उन किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारा या अपसारी सीमांत कहते हैं। जब दो प्लेटें आमने-सामने अभिसरित होती है तो इन्हें विनाशशील प्लेट किनारे अथवा अभिसारी सीमांत कहते हैं।
*प्लेट टेक्टोनिक्स [[महाद्वीप|महाद्वीपों]] और महासागरों के वितरण को स्पष्ट करने के लिए यह सबसे नवीन सिद्धांत है।  
*प्लेट टेक्टोनिक्स [[महाद्वीप|महाद्वीपों]] और महासागरों के वितरण को स्पष्ट करने के लिए यह सबसे नवीन सिद्धांत है।  
Line 26: Line 26:
*अन्य प्रमुख प्लेटों में भारतीय प्लेट, अरब प्लेट, कैरेबियाई प्लेट, [[दक्षिणी अमेरिका]] के पश्चिमी तट पर स्थित नाज्का प्लेट और दक्षिणी अटलांटिक महासागर की स्कॉटिया प्लेट शामिल है। लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व [[भारत|भारतीय]] व [[ऑस्ट्रेलिया|ऑस्ट्रेलियाई]] प्लेटें एक थी।
*अन्य प्रमुख प्लेटों में भारतीय प्लेट, अरब प्लेट, कैरेबियाई प्लेट, [[दक्षिणी अमेरिका]] के पश्चिमी तट पर स्थित नाज्का प्लेट और दक्षिणी अटलांटिक महासागर की स्कॉटिया प्लेट शामिल है। लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व [[भारत|भारतीय]] व [[ऑस्ट्रेलिया|ऑस्ट्रेलियाई]] प्लेटें एक थी।


==भारतीय प्लेट==
[[भारत]] पूरी तरह से भारतीय प्लेट पर स्थित है। यह एक प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट है जिसका निर्माण प्राचीन महाद्वीप गोंडवानालैंड के टूटने से हुआ है। लगभग 9 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तर क्रेटेशियस शक के दौरान भारतीय प्लेट ने उत्तर की ओर लगभग 15 सेमी प्रति [[वर्ष]] की दर से गति करना आरंभ कर दिया। सेनोजोइक कल्प के इयोसीन शक के दौरान लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व यह प्लेट एशिया से टकराई। [[2007]] में जर्मन भूगर्भशास्त्रियों ने बताया कि भारतीय प्लेट के इतने तेजी से गति करने का सबसे प्रमुख कारण इसका अन्य प्लेटों की अपेक्षा काफी पतला होना था। हाल में वर्षों में भारतीय प्लेट की गति लगभग 5 सेमी. प्रतिवर्ष है। इसकी तुलना में यूरेशियाई प्लेट की गति मात्र 2 सेमी. प्रतिवर्ष ही है। इसी वजह से भारत को ‘फास्टेस्ट कांटीनेंट’ की संज्ञा दी गई है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 40: Line 42:


__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 12:14, 24 April 2012

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत के अनुसार स्थल मण्डल कई दृढ़ प्लेटों के रूप में विभाजित है। ये प्लेटें स्थल मण्डल के नीचे स्थित दुर्बलतामंडल के ऊपर तैर रही है। इस सिद्धांत के अनुसार भूगर्भ में उत्पन्न ऊष्मीय संवहनीय धाराओं के प्रभाव के अंतर्गत महाद्वीपीय और महासागरीय प्लेटें विभिन्न दिशाओं में विस्थापित होती रहती है।

प्रमुख प्लेटें
प्लेट का नाम क्षेत्रफल (लाख किमी. में)
अफ्रीकी प्लेट 78.0
अंटार्कटिक प्लेट 60.9
इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट 47.2
यूरेशियाई प्लेट 67.8
उत्तरी अमेरिकी प्लेट 75.9
प्रशांत प्लेट 103.3
  • इन स्थलमंडलीय प्लेटों के इस संचलन को महाद्वीपों तथा महासागरों के वर्तमान वितरण के लिए उत्तरदायी माना जाता है। जहां दो प्लेटें वपरीत दिशाओं में अपसरित होती है उन किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारा या अपसारी सीमांत कहते हैं। जब दो प्लेटें आमने-सामने अभिसरित होती है तो इन्हें विनाशशील प्लेट किनारे अथवा अभिसारी सीमांत कहते हैं।
  • प्लेट टेक्टोनिक्स महाद्वीपों और महासागरों के वितरण को स्पष्ट करने के लिए यह सबसे नवीन सिद्धांत है।
  • सबसे पुरानी महासागरीय भूपर्पटी पश्चिमी प्रशांत में स्थित है।
  • इसकी अनुमानित आयु 20 करोड़ वर्ष है।
  • अन्य प्रमुख प्लेटों में भारतीय प्लेट, अरब प्लेट, कैरेबियाई प्लेट, दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित नाज्का प्लेट और दक्षिणी अटलांटिक महासागर की स्कॉटिया प्लेट शामिल है। लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व भारतीयऑस्ट्रेलियाई प्लेटें एक थी।

भारतीय प्लेट

भारत पूरी तरह से भारतीय प्लेट पर स्थित है। यह एक प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट है जिसका निर्माण प्राचीन महाद्वीप गोंडवानालैंड के टूटने से हुआ है। लगभग 9 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तर क्रेटेशियस शक के दौरान भारतीय प्लेट ने उत्तर की ओर लगभग 15 सेमी प्रति वर्ष की दर से गति करना आरंभ कर दिया। सेनोजोइक कल्प के इयोसीन शक के दौरान लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व यह प्लेट एशिया से टकराई। 2007 में जर्मन भूगर्भशास्त्रियों ने बताया कि भारतीय प्लेट के इतने तेजी से गति करने का सबसे प्रमुख कारण इसका अन्य प्लेटों की अपेक्षा काफी पतला होना था। हाल में वर्षों में भारतीय प्लेट की गति लगभग 5 सेमी. प्रतिवर्ष है। इसकी तुलना में यूरेशियाई प्लेट की गति मात्र 2 सेमी. प्रतिवर्ष ही है। इसी वजह से भारत को ‘फास्टेस्ट कांटीनेंट’ की संज्ञा दी गई है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

Template:साँचा:भूगोल शब्दावली