आस्रव: Difference between revisions

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|हिन्दी=स्रवण, इन्द्रियों में से प्रत्येक का द्वार, इन्द्रिय द्वार, कर्म-पुदगलों का जीव में योग के द्वारा प्रवेश जिससे जीव कर्म बन्धन में पड़ जाता है, <ref>जैन धर्म-दर्शन</ref> क्लेश।<ref>बौद्धधर्म-दर्शन</ref>, जल आदि का बहाव
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|उदाहरण=कर्मों के आगमन को '''आस्रव''' कहते हैं।  
|उदाहरण=कर्मों के आगमन को '''आस्रव''' कहते हैं।  

Revision as of 07:10, 20 May 2012

शब्द संदर्भ
हिन्दी जल आदि का बहाव, स्रवण, इन्द्रियों में से प्रत्येक का द्वार, इन्द्रिय द्वार, कर्म-पुदगलों का जीव में योग के द्वारा प्रवेश जिससे जीव कर्म बन्धन में पड़ जाता है, [1] क्लेश।[2], जल आदि का बहाव
-व्याकरण    धातु, पुल्लिंग
-उदाहरण   कर्मों के आगमन को आस्रव कहते हैं।
-विशेष    टीका में सोमदेव ने कर्मों के आस्रव, बंध, उदय और सत्वविषय का कथन किया है, जो सामान्य जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    स्त्राव, बहन, रिसाव, अफ़सोस, आफ़त, उत्ताप, कष्ट, कोफ़्त, क्लेश, खेद, ग़म, चोट, ताप, दर्द, दुख, दुखड़ा, दुख दर्द, पीड़ा, पीर, बिरोग, मर्ज़, मलाल, मसोस, रंज, रंजिश, रंजीदगी, व्यथा, शोक।
संस्कृत आस्रवः [आ+स्रु+अप्] पीड़ा, कष्ट, दुख, बहाव, स्रवण- मवाद आदि का निकलना, अपराध, अतिक्रमण, उबलते हुए चावलों का झाग
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जैन धर्म-दर्शन
  2. बौद्धधर्म-दर्शन