तिमिर ढलेगा -गोपालदास नीरज: Difference between revisions
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सौ सौ बार मरण ने सीकर होंठ इसे चाहा चुप करना, | सौ सौ बार मरण ने सीकर होंठ इसे चाहा चुप करना, | ||
पर देखा हर बार बजाती यह बैठी कोई सितार है, | पर देखा हर बार बजाती यह बैठी कोई सितार है, | ||
स्वर मिटता है नहीं, सिर्फ उसकी | स्वर मिटता है नहीं, सिर्फ उसकी आवाज़ बदल जाती है। | ||
मेरे गीत उदास न हो, हर तार बजेगा, कंठ खुलेगा! | मेरे गीत उदास न हो, हर तार बजेगा, कंठ खुलेगा! | ||
मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! | मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! |
Revision as of 10:44, 3 June 2012
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मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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