केरल की अर्थव्यवस्था: Difference between revisions
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भौगोलिक और भौगर्भिक कारक केरल की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। यहाँ की सघन आबादी के लिए उपलब्ध कृषि योग्य भूमि काफ़ी नहीं है। इस राज्य में जीवाश्म ईधनों और खनिजों के प्रमुख भंडारों की भी कमी है। यहाँ सिर्फ इल्मेनाइट (टाइटेनियम का प्रमुख अयस्क), रयूटाइल (टाइटेनियम ऑक्साइड), मोनाजाइट (सीरियम और थोरियम फास्फेट युक्त खनिज) हैं, जो समुद्र तट की रेत में पाए जाते हैं। केरल में जलविद्युत की काफ़ी संभावनाएँ हैं। इडुक्की कॉम्पलेक्स विशालतम विद्युत उत्पादन संयंत्र है।
कृषि
शिक्षा प्रणाली, उन्नत बैकिंग प्रणाली और बेहतरीन यातायात सुविधाएँ आर्थिक विकास को और बढ़ावा देने के लिए समुचित वातावरण प्रदान करती हैं। कृषि इस राज्य की मुख्य आर्थिक गतिविधि है। खेती योग्य कुल भूमि के आधे से भी कम हिस्से में स्थित वाणिज्यिक बागान काफ़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं, लेकिन साथ ही स्थानीय खपत के लिए खाद्य सामग्री के आयात की भी आवश्यकता पड़ती है। केरल की प्रमुख नकदी फसलों में बारहमासी सुपारी, इलायची, काजू, नारियल, कॉफी, अदरक, काली मिर्च, रबर और चाय हैं। वाणिज्यिक मुर्गीपालन सुविकसित है। यहाँ के जंगलों में आबनूस, रोजवुड और सागौन जैसी कीमती इमारती लकड़ियाँ और औद्योगिक कच्चा माल, जैसे बांस[1], लकड़ी की लुगदी, काष्ठ कोयला, गोंद और राल प्राप्त होता है। विदेशी ख़रीदार कोच्चि में होने वाले चाय और इमारती लकड़ियों की नीलामी में नियमित तौर पर हिस्सा लेते हैं। मछली उत्पादन में केरल भारतीय राज्यों में सर्वप्रथम है।
औद्योगिकीकरण
अधिकांश आबादी औद्योगिकीकरण से अप्रभावित है। बेरोज़गारी की समस्या गंभीर है और बेरोज़गार लोगों में शिक्षा का उच्च स्तर इस समस्या को और गंभीर बना देता है। अधिकांश श्रमिक पारंपरिक, कम मजदूरी वाले कुटीर उद्योगों, जैसे नारियल के रेशों और काजू प्रसंस्करण या बुनाई में संलग्न हैं। केरल के एक-चौथाई से अधिक श्रमिक सेवा-क्षेत्र में है। खाद्य प्रसंस्करण, औद्योगिक रोज़गार का सबसे बड़ा साधन है। अन्य उत्पादों में उर्वरक, रसायन, बिजली के उपकरण, टाइटेनियम, ऐलुमिनियम, प्लाइवुड, चीनी मिट्टी के बर्तन और कृत्रिम रेशे शामिल हैं।
परिवहन
केरल में सुविकसित सड़क और रेल प्रणालियाँ हैं। यह राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों से जुड़ा हुआ है। पूर्व की और पालाघाट दर्रें से होकर आने वाला रेलमार्ग राज्य में उत्तर से दक्षिण की ओर भारत के सुदूर दक्षिणी शहर कन्याकुमारी जाने वाले रेलमार्ग से मिलता है। यहाँ के तीन प्रमुख बंदरगाह-कोषिकोड, कोच्चि-एर्णाकुल और आलप्पुषा से तटीय और विदेशी जहाजों का आवागमन होता है। कोच्चि-एर्णाकुलम में एक प्रमुख पोतस्थल और तेलशोधन संयंत्र भी है और यह भारतीय तटरक्षक और नौसेना कमान का मुखयालय भी है। बंदरगाहों से भारी सामान लाने व ले जाने के लिए 1,770 किमी लंबे अंतर्देशीय जलमार्गों का इस्तेमाल होता है। तिरुवनंतपुरम में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और कोषिकोड और कोच्चि में घरेलू उड़ानों के लिए हवाई अड्डे हैं।
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