अशाँत कस्बा -अनूप सेठी: Difference between revisions
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पहाड़ी कस्बा सोएगा रोज रात | पहाड़ी कस्बा सोएगा रोज रात | ||
सैलानी दो चार दिन रुकेंगे | सैलानी दो चार दिन रुकेंगे | ||
अलसाए | अलसाए बाज़ार में टहलती रहेगी जिंदगी | ||
सफेद फाहों में चाहे धसक जाए चाँद | सफेद फाहों में चाहे धसक जाए चाँद |
Revision as of 10:14, 14 May 2013
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