पहेली 1 नवंबर 2013: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) ('{| class="bharattable-green" width="100%" |- | right|120px <quiz display=simple> {[[रामाय...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 7: | Line 7: | ||
+प्रमदावन | +प्रमदावन | ||
-कदलीवन | -कदलीवन | ||
-मधुवन | -[[मधुवन]] | ||
-[[वृन्दावन]] | -[[वृन्दावन]] | ||
||'अशोक वाटिका' प्राचीन राजाओं के भवन के समीप की विशेष वाटिका कहलाती थी। [[वाल्मीकि रामायण]] के अनुसार [[अशोक वाटिका]] [[लंका]] में स्थित एक सुंदर उद्यान था, जिसमें [[रावण]] ने [[सीता]] को बंदी बनाकर रखा था। इसका एक दूसरा नाम 'प्रमदावन' भी था। '[[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्य काण्ड]]' से ज्ञात होता है कि रावण पहले सीता को अपने राज प्रासाद में लाया था और वहीं रखना चाहता था, किंतु सीता की अडिगता तथा अपने प्रति उसका तिरस्कार भाव देखकर उसने सीता को धीरे-धीरे मना लेने के लिए प्रासाद से कुछ दूर अशोक वाटिका में कैद कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक वाटिका]] | ||'अशोक वाटिका' प्राचीन राजाओं के भवन के समीप की विशेष वाटिका कहलाती थी। [[वाल्मीकि रामायण]] के अनुसार [[अशोक वाटिका]] [[लंका]] में स्थित एक सुंदर उद्यान था, जिसमें [[रावण]] ने [[सीता]] को बंदी बनाकर रखा था। इसका एक दूसरा नाम 'प्रमदावन' भी था। '[[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्य काण्ड]]' से ज्ञात होता है कि रावण पहले सीता को अपने राज प्रासाद में लाया था और वहीं रखना चाहता था, किंतु सीता की अडिगता तथा अपने प्रति उसका तिरस्कार भाव देखकर उसने सीता को धीरे-धीरे मना लेने के लिए प्रासाद से कुछ दूर अशोक वाटिका में कैद कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक वाटिका]] |