पृथ्वी ग्रह: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{आधार}} *यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। *यह [[सौ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{आधार}}
{{आधार}}
*यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।
*यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा [[ग्रह]] है।
*यह [[सौरमण्डल]] का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है।
*यह [[सौरमण्डल]] का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है।
*इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी॰ और ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी॰ है।
*इसका विषुवतीय [[व्यास]] 12,756 किमी॰ और ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी॰ है।
*पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है।
*पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है।
*यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी॰ प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।  
*यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी॰ प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।  
*पृथ्वी को [[सूर्य]] की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, कलेण्डर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण फरवरी माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।  
*पृथ्वी को [[सूर्य]] की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, [[कलेण्डर]] वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण [[फरवरी]] माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।  
*पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।  
*पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।  
*आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी [[शुक्र]] के समान है।
*आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी [[शुक्र]] के समान है।
*[[जल]] की उपस्थिति के कारण इस नीला ग्रह भी कहा जाता है।  
*[[जल]] की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।  
*इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।  
*इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।  
*सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा [[प्रॉक्सीमा सेन्चुरी]] है, जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।  
*सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का [[तारा]] [[प्रॉक्सीमा सेन्चुरी]] है, जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।  
*पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह [[चन्द्रमा]] है।
*पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह [[चन्द्रमा]] है।
नोट—24 अगस्त, 2006 को अन्तर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ (आईएयू) की प्राग (चेक गणराजय) बैठक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया, क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरुण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है। नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटों को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है।
नोट—24 अगस्त, 2006 को अन्तर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ (आईएयू) की प्राग (चेक गणराजय) बैठक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया, क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरुण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है। नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटों को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है।

Revision as of 06:37, 27 July 2010

32px यह लेख की आधार अवस्था ही है, आप इसको तैयार करने में सहायता कर सकते हैं।
  • यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।
  • यह सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है।
  • इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी॰ और ध्रुवीय व्यास 12,714 किमी॰ है।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है।
  • यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किमी॰ प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं। इस गति से ही दिन व रात होते हैं।
  • पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है। सूर्य के चातुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है। प्रत्येक सौर वर्ष, कलेण्डर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है। जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीप वर्ष 366 दिन का होता है। जिसके कारण फरवरी माह में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन होते हैं।
  • पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।
  • आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है।
  • जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
  • इसका अक्ष इसकी कक्षा के सापेक्ष 66.5º का कोण बनाता है।
  • सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सीमा सेन्चुरी है, जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।
  • पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।

नोट—24 अगस्त, 2006 को अन्तर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ (आईएयू) की प्राग (चेक गणराजय) बैठक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया, क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरुण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है। नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटों को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है।