प्रक्षेपास्त्र: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " करीब" to " क़रीब") |
||
Line 5: | Line 5: | ||
[[चित्र:Interceptor missile.jpg|250px|thumb|'इंटरसेप्टर' मिसाइल]] | [[चित्र:Interceptor missile.jpg|250px|thumb|'इंटरसेप्टर' मिसाइल]] | ||
;रविवार, 27 अप्रॅल, 2014 | ;रविवार, 27 अप्रॅल, 2014 | ||
[[भारत]] ने [[रविवार]], [[27 अप्रॅल]], [[2014]] को अधिक ऊंचाई से अपनी ओर दागी गयी लंबी दूरी की मिसाइल को नष्ट करने करने में सक्षम नए इंटरसेप्टर मिसाइल का [[ओडिशा]] के तट से सफल परीक्षण किया। इंटरसेप्टर को व्हिलर द्वीप के समन्वित परीक्षण स्थल स्थित प्रेक्षपण पैड संख्या 4 से सुबह | [[भारत]] ने [[रविवार]], [[27 अप्रॅल]], [[2014]] को अधिक ऊंचाई से अपनी ओर दागी गयी लंबी दूरी की मिसाइल को नष्ट करने करने में सक्षम नए इंटरसेप्टर मिसाइल का [[ओडिशा]] के तट से सफल परीक्षण किया। इंटरसेप्टर को व्हिलर द्वीप के समन्वित परीक्षण स्थल स्थित प्रेक्षपण पैड संख्या 4 से सुबह क़रीब नौ बजकर 10 मिनट पर अपने लक्ष्य पर निशाना लगाने के लिए प्रक्षेपित किया गया। दुश्मन की ओर से आने वाले मिसाइल के रूप में पेश लक्ष्य को [[नौसेना]] के जहाज से सुबह नौ बजककर 6 मिनट पर दागा गया था और रडार से संकेत मिलने के बाद इस इंटरसेप्टर मिसाइल को सक्रिय किया गया। डीआरडीओ के प्रवक्ता रवि कुमार गुप्ता ने कहा, 'यह परीक्षण सफल रहा और मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा कर लिया गया।’ अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न रडारों और दूरमापी स्टेशनों से प्राप्त सभी आंकड़ों को जुटाने के बाद इंटरसेप्टर मिसाइल की मारक क्षमता का विश्लेषण किया गया। इससे पहले, [[रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन]] (डीआरडीओ) अपनी ओर से तैयार छह इंटरसेप्टर मिसाइलों का सफल परीक्षण कर चुका है, जो [[समुद्र]] तल से 30 किलोमीटर के भीतर और 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अधिक के लक्ष्य पर किया गया। [[पृथ्वी-2 मिसाइल|पृथ्वी]] वायु प्रतिरक्षा इंटरसेप्टर मिसाइल पहले ही 50 किलोमीटर और 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन कर चुकी है। वहीं अत्याधुनिक वायु प्रतिरक्षा इंटरसेप्टर मिसाइल 15 किलोमीटर से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लक्ष्य पर निशाना साध चुका है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि अब 100 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर लम्बी दूरी के मिसाइल के संबंध में इंटरसेप्टर मिसाइल से जुड़े लक्ष्य को हासिल करना है। यह मिसाइल इंडो एटमसफ्यूरिक हालात के लिए बनाई गई है। यह 7 मीटर लंबे राकेट से चलने वाली मिसाइल है। इसमें इन सीरियल टीवी नेशनल सिस्टम, हाईटेक कंप्यूटर व इलेक्ट्रो मैकेनिकल रिएक्टर लगा हुआ है। इस मिसाइल के परीक्षण से भारत के मिसाइल भंडार में एक नई ताकत शामिल हो गई है। इंटरसेप्टर मिसाइलों के पास अपना मोबाइल लांचर होता है। इसके अलावा इंटरसेप्शन के लिए सुरक्षित डेटालिंक जैसी सहूलियत मौजूद है। मिसाइल के परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ व आइटीआर के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक और अधिकारियों का दल मौके पर मौजूद था। | ||
;समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें | ;समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें | ||
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/03/110306_missile_test_pn.shtml बीबीसी हिंदी] | *[http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2011/03/110306_missile_test_pn.shtml बीबीसी हिंदी] |
Revision as of 14:10, 16 November 2014
प्रक्षेपास्त्र अथवा मिसाइल प्रक्षेपित कर उपयोग में लाया जाने वाला अस्त्र होता है। इसका प्रयोग दूर स्थित लक्ष्य को बेधने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से विस्फोटकों को हज़ारों किलोमीटर दूर के लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार दूर स्थित दुश्मन के ठिकाने भी कुछ ही समय में नष्ट किए जा सकते हैं। प्रक्षेपास्त्र रासायनिक विस्फोटकों से लेकर परमाणु बम तक का वहन और प्रयोग कर सकता है।
क्रम | प्रक्षेपास्त्र | प्रकार | मारक क्षमता | आयुध वजन क्षमता | प्रथम परीक्षण | लागत | विकास स्थिति |
---|
समाचार
नए इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण
250px|thumb|'इंटरसेप्टर' मिसाइल
- रविवार, 27 अप्रॅल, 2014
भारत ने रविवार, 27 अप्रॅल, 2014 को अधिक ऊंचाई से अपनी ओर दागी गयी लंबी दूरी की मिसाइल को नष्ट करने करने में सक्षम नए इंटरसेप्टर मिसाइल का ओडिशा के तट से सफल परीक्षण किया। इंटरसेप्टर को व्हिलर द्वीप के समन्वित परीक्षण स्थल स्थित प्रेक्षपण पैड संख्या 4 से सुबह क़रीब नौ बजकर 10 मिनट पर अपने लक्ष्य पर निशाना लगाने के लिए प्रक्षेपित किया गया। दुश्मन की ओर से आने वाले मिसाइल के रूप में पेश लक्ष्य को नौसेना के जहाज से सुबह नौ बजककर 6 मिनट पर दागा गया था और रडार से संकेत मिलने के बाद इस इंटरसेप्टर मिसाइल को सक्रिय किया गया। डीआरडीओ के प्रवक्ता रवि कुमार गुप्ता ने कहा, 'यह परीक्षण सफल रहा और मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा कर लिया गया।’ अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न रडारों और दूरमापी स्टेशनों से प्राप्त सभी आंकड़ों को जुटाने के बाद इंटरसेप्टर मिसाइल की मारक क्षमता का विश्लेषण किया गया। इससे पहले, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अपनी ओर से तैयार छह इंटरसेप्टर मिसाइलों का सफल परीक्षण कर चुका है, जो समुद्र तल से 30 किलोमीटर के भीतर और 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अधिक के लक्ष्य पर किया गया। पृथ्वी वायु प्रतिरक्षा इंटरसेप्टर मिसाइल पहले ही 50 किलोमीटर और 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन कर चुकी है। वहीं अत्याधुनिक वायु प्रतिरक्षा इंटरसेप्टर मिसाइल 15 किलोमीटर से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लक्ष्य पर निशाना साध चुका है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि अब 100 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर लम्बी दूरी के मिसाइल के संबंध में इंटरसेप्टर मिसाइल से जुड़े लक्ष्य को हासिल करना है। यह मिसाइल इंडो एटमसफ्यूरिक हालात के लिए बनाई गई है। यह 7 मीटर लंबे राकेट से चलने वाली मिसाइल है। इसमें इन सीरियल टीवी नेशनल सिस्टम, हाईटेक कंप्यूटर व इलेक्ट्रो मैकेनिकल रिएक्टर लगा हुआ है। इस मिसाइल के परीक्षण से भारत के मिसाइल भंडार में एक नई ताकत शामिल हो गई है। इंटरसेप्टर मिसाइलों के पास अपना मोबाइल लांचर होता है। इसके अलावा इंटरसेप्शन के लिए सुरक्षित डेटालिंक जैसी सहूलियत मौजूद है। मिसाइल के परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ व आइटीआर के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक और अधिकारियों का दल मौके पर मौजूद था।
- समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें
पृथ्वी-2 और धनुष मिसाइलों का सफल परीक्षण
- शुक्रवार, 11 मार्च, 2011
thumb|220px|धनुष प्रक्षेपास्त्र भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों ने 11 मार्च, 2011 (शुक्रवार) को उड़ीसा के समुद्र तट पर 350 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली धनुष और पृथ्वी मिसाइलों का सफल परीक्षण किया। धनुष मिसाइल किसी युद्धपोत पर तैनात करने के लिए विकसित की गई है, जो समुद्र तटीय ठिकाने पर हमला कर सकती है। डीआरडीओ के प्रवक्ता ने बताया कि धनुष मिसाइल को नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सुवर्ण से छोड़ा गया। इसके एक घंटे बाद ही पृथ्वी मिसाइल को भी छोड़ा गया। धनुष मिसाइल पृथ्वी मिसाइल की नौसैनिक किस्म है। धनुष और पृथ्वी मिसाइलों को तीनों सेनाओं की साझा सामरिक बल कमांड (एसएफसी) के सैनिकों द्वारा अभ्यास के लिए छोड़ा गया था। प्रवक्ता ने बताया कि ये मिसाइलें भारतीय सैनिकों की ट्रेनिंग के तहत छोड़ी गईं। इन मिसाइलों को सैनिकों ने खुद डिपो से निकाला और इन्हें चला कर देखा। उल्लेखनीय है कि पांच दिनों पहले ही डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने वाली एंटी मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। प्रवक्ता ने कहा कि इन मिसाइलों के सफल परीक्षणों से वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ा है। दोनों मिसाइल परीक्षणों को रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी.के. सारस्वत और अन्य वैज्ञानिकों ने देखा।
- समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें
|
|
|
|
|
टीका-टिप्पणी और सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख