भोज: Difference between revisions

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#शासकीय पदवी के रूप में, जो दक्षिण के मूर्धाभिषिक्त राजाओं के लिए प्रयुक्त होती थी।
#शासकीय पदवी के रूप में, जो दक्षिण के मूर्धाभिषिक्त राजाओं के लिए प्रयुक्त होती थी।
#जनपद के रूप में, जैसा कि अशोक के शिलालेख संख्या 13 में प्रयुक्त हुआ है, जो कदाचित [[बरार]] में था।
#जनपद के रूप में, जैसा कि [[अशोक के शिलालेख]] संख्या 13 में प्रयुक्त हुआ है, जो कदाचित [[बरार]] में था।
#व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में, जैसा कि [[कन्नौज]] और [[मालवा]] के अनेक राजाओं का नाम था।
#व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में, जैसा कि [[कन्नौज]] और [[मालवा]] के अनेक राजाओं का नाम था।



Revision as of 09:36, 30 March 2015

भोज शब्द का प्रयोग प्राचीन साहित्य में तीन अर्थों में हुआ है[1]-

  1. शासकीय पदवी के रूप में, जो दक्षिण के मूर्धाभिषिक्त राजाओं के लिए प्रयुक्त होती थी।
  2. जनपद के रूप में, जैसा कि अशोक के शिलालेख संख्या 13 में प्रयुक्त हुआ है, जो कदाचित बरार में था।
  3. व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में, जैसा कि कन्नौज और मालवा के अनेक राजाओं का नाम था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 341 |

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