अनसुनी करना: Difference between revisions
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'''अनसुनी करना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है। | '''अनसुनी करना''' एक प्रचलित [[कहावत लोकोक्ति मुहावरे|लोकोक्ति]] अथवा [[हिन्दी]] मुहावरा है। | ||
'''अर्थ'''- किसी की प्रार्थना, विनती, बात आदि पर ध्यान ही न देना फलत: उसे उपेक्ष्य समझना। | '''अर्थ'''- किसी की [[प्रार्थना]], विनती, बात आदि पर ध्यान ही न देना फलत: उसे उपेक्ष्य समझना। | ||
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#वह माँ की सुनता पत्नि की अनसुनी करता था। (राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह ) | #वह [[माँ]] की सुनता पत्नि की अनसुनी करता था। (राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह ) | ||
#शरीर भरा भरा था जो वयस के वार्धक्य से शिथिल होकर कहीं कहीं सामान्य परतों में झूलने भी लगा था, किंतु चेहरे की दीप्ति ने बढ़ती वयस की स्पष्ट पदचाप सुनकर भी अनसुनी कर दी थी। (शिवानी) | #[[ मानव शरीर|शरीर]] भरा भरा था जो वयस के वार्धक्य से शिथिल होकर कहीं कहीं सामान्य परतों में झूलने भी लगा था, किंतु चेहरे की दीप्ति ने बढ़ती वयस की स्पष्ट पदचाप सुनकर भी अनसुनी कर दी थी। ([[शिवानी]]) | ||
#वे सारी बातें रामपत के कानों में पड़ती तो वें अनसुनी कर जाते। (अजित पुष्कल) | #वे सारी बातें रामपत के कानों में पड़ती तो वें अनसुनी कर जाते। (अजित पुष्कल) | ||
Revision as of 10:49, 3 October 2015
अनसुनी करना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- किसी की प्रार्थना, विनती, बात आदि पर ध्यान ही न देना फलत: उसे उपेक्ष्य समझना।
प्रयोग-
- वह माँ की सुनता पत्नि की अनसुनी करता था। (राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह )
- शरीर भरा भरा था जो वयस के वार्धक्य से शिथिल होकर कहीं कहीं सामान्य परतों में झूलने भी लगा था, किंतु चेहरे की दीप्ति ने बढ़ती वयस की स्पष्ट पदचाप सुनकर भी अनसुनी कर दी थी। (शिवानी)
- वे सारी बातें रामपत के कानों में पड़ती तो वें अनसुनी कर जाते। (अजित पुष्कल)