सर्वास्तिवाद निकाय: Difference between revisions

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Revision as of 09:21, 21 August 2010

बौद्ध धर्म में सर्वास्तिवाद निकाय की परिभाषा:-
किसी समय (प्राचीन काल में) पश्चिमोत्तर भारत में विशेषत: मथुरा, कश्मीर और गान्धार आदि प्रदेशों में सर्वास्तिवादियों का बहुल प्रचार था। सर्वास्तिवादी सिद्धान्तों को मानने वाले बौद्ध आजकल विश्व में शायद ही कहीं हों। किन्तु भोटदेशीय भिक्षु-परम्परा सर्वास्तियावादी विनय का अवश्य अनुसरण करती है। कतिपय विशिष्ट सिद्धान्तों के आधार पर 'सर्वास्तिवाद' यह नामकरण हुआ है। इसमें प्रयुक्त 'सर्व' शब्द का तात्पर्य तीनों कालों अर्थात भूत, भविष्य और वर्तमान कालों से हैं। जो लोग वस्तुओं की तीनों कालों में सत्ता मानते हैं और जो तीनों का द्रव्यत: अस्तित्व स्वीकार करते हैं, वे 'सर्वास्तिवादी' कहलाते हैं।

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