खीरा को सिर काटिकै -रहीम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('<div class="bgrahimdv"> खीरा को सिर काटिकै, मलियत लौन लगाय।<br /> ‘रहि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 6: Line 6:
चलन है कि खीरे का ऊपरी सिरा काट कर उस पर [[नमक]] मल दिया जाता है। कड़ुवे वचन बोलने वाले की यही सजा है।
चलन है कि खीरे का ऊपरी सिरा काट कर उस पर [[नमक]] मल दिया जाता है। कड़ुवे वचन बोलने वाले की यही सजा है।


{{लेख क्रम3| पिछला=सब कोऊ सबसों करें -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=जो रहीम ओछो बढ़ै -रहीम}}
{{लेख क्रम3| पिछला=सब कोऊ सबसों करें -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन नीचन संग बसि -रहीम}}
</div>
</div>



Latest revision as of 11:48, 10 February 2016

खीरा को सिर काटिकै, मलियत लौन लगाय।
‘रहिमन’ करुवे मुखन की, चहिए यही सजाय॥

अर्थ

चलन है कि खीरे का ऊपरी सिरा काट कर उस पर नमक मल दिया जाता है। कड़ुवे वचन बोलने वाले की यही सजा है।


left|50px|link=सब कोऊ सबसों करें -रहीम|पीछे जाएँ रहीम के दोहे right|50px|link=रहिमन नीचन संग बसि -रहीम|आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख