मुहम्मद बिन क़ासिम: Difference between revisions

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मुहम्मद बिन क़ासिम एक नवयुवक अरब सेनापति था। जिसे [[ईराक़]] के प्रान्तपति [[अल हज्जाज]] ने, जो उसका चाचा और श्वसुर भी था, [[सिन्ध]] के शासक [[दाहिर]] को दण्ड देने के लिए भेजा था। मुहम्मद बिन क़ासिम ने देबल को ध्वस्त करके [[नेरुन]] पर अधिकार कर लिया और [[सिन्धु नदी]] पार करके दाहिर को 712 ई॰ में राओर के युद्ध में पराजित कर मार डाला। उपरान्त उसने राओर के दुर्ग को ध्वस्त करके राजधानी [[आलोर]] तथा [[मुल्तान]] पर भी अधिकार कर लिया। उसने सिन्धु घाटी के सम्पूर्ण निचले काँठें में अरब शासन स्थापित कर दिया। शासक के रूप में भी उसने यथेष्ट कुशलता का परिचय दिया और समस्त नव विजित प्रदेशों में एक ऐसी शासन व्यवस्था स्थापित की, जिससे राज्य में शान्ति रहे। किन्तु खलीफ़ा [[सुलेमान]] ने असंतुष्ट होकर उसे शासक पद से हटा दिया और विरोधियों के हाथों उसका वध करा दिया।  
मुहम्मद बिन क़ासिम एक नवयुवक अरब सेनापति था। जिसे [[ईराक़]] के प्रान्तपति [[अल हज्जाज]] ने, जो उसका चाचा और श्वसुर भी था, [[सिन्ध]] के शासक [[दाहिर]] को दण्ड देने के लिए भेजा था। मुहम्मद बिन क़ासिम ने देबल को ध्वस्त करके [[नेरुन]] पर अधिकार कर लिया और [[सिन्धु नदी]] पार करके दाहिर को 712 ई. में राओर के युद्ध में पराजित कर मार डाला। उपरान्त उसने राओर के दुर्ग को ध्वस्त करके राजधानी [[आलोर]] तथा [[मुल्तान]] पर भी अधिकार कर लिया। उसने सिन्धु घाटी के सम्पूर्ण निचले काँठें में अरब शासन स्थापित कर दिया। शासक के रूप में भी उसने यथेष्ट कुशलता का परिचय दिया और समस्त नव विजित प्रदेशों में एक ऐसी शासन व्यवस्था स्थापित की, जिससे राज्य में शान्ति रहे। किन्तु खलीफ़ा [[सुलेमान]] ने असंतुष्ट होकर उसे शासक पद से हटा दिया और विरोधियों के हाथों उसका वध करा दिया।  


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Revision as of 09:04, 25 August 2010

मुहम्मद बिन क़ासिम एक नवयुवक अरब सेनापति था। जिसे ईराक़ के प्रान्तपति अल हज्जाज ने, जो उसका चाचा और श्वसुर भी था, सिन्ध के शासक दाहिर को दण्ड देने के लिए भेजा था। मुहम्मद बिन क़ासिम ने देबल को ध्वस्त करके नेरुन पर अधिकार कर लिया और सिन्धु नदी पार करके दाहिर को 712 ई. में राओर के युद्ध में पराजित कर मार डाला। उपरान्त उसने राओर के दुर्ग को ध्वस्त करके राजधानी आलोर तथा मुल्तान पर भी अधिकार कर लिया। उसने सिन्धु घाटी के सम्पूर्ण निचले काँठें में अरब शासन स्थापित कर दिया। शासक के रूप में भी उसने यथेष्ट कुशलता का परिचय दिया और समस्त नव विजित प्रदेशों में एक ऐसी शासन व्यवस्था स्थापित की, जिससे राज्य में शान्ति रहे। किन्तु खलीफ़ा सुलेमान ने असंतुष्ट होकर उसे शासक पद से हटा दिया और विरोधियों के हाथों उसका वध करा दिया।


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