विश्व कप फ़ुटबॉल 2010: Difference between revisions
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विश्व कप फ़ुटबॉल 2010
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विवरण | 'फ़ीफ़ा विश्व कप' का आयोजन 'फ़ीफ़ा' (फ़ेडरेशन ऑफ़ इंटरनेशनल फ़ुटबॉल एसोसिएशन) द्वारा कराया जाता है। उन्नीसवाँ विश्व कप फ़ुटबॉल वर्ष 2010 में खेला गया था, जिसकी मेज़बानी दक्षिण अफ्रीका ने की थी। |
आयोजन स्थल | दक्षिण अफ्रीका |
वर्ष | 2010 |
तिथि | 11 जून से 11 जुलाई |
कुल देश | 32 |
फ़ाइनल | स्पेन तथा नीदरलैंड्स |
कुल मैच | 64 |
कुल गोल | 145 |
दर्शक | 3,178,856 |
अन्य जानकारी | 11 जुलाई 2010 को हुए इस मुक़ाबले को इतिहास इसलिए भी याद रखेगा क्योंकि फ़ुटबॉल विश्व कप के इतिहास में ये पहला मौक़ा था, जब फ़ाइनल मुक़ाबले से ब्राज़ील, जर्मनी, इटली या अर्जेंटीना नदारद थे। |
अद्यतन | 15:57, 9 अगस्त 2016 (IST)
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विश्व कप फ़ुटबॉल 2010 अथवा फ़ीफ़ा विश्व कप 2010 (अंग्रेज़ी: FIFA World Cup 2010) वर्ष 2010 में विश्व कप फ़ुटबॉल की मेज़बानी दक्षिण अफ्रीका ने की थी, जिसमें 32 देशों की टीमें शामिल थी। इस फ़ुटबाल कप का आयोजन 11 जून से 11 जुलाई तक हुआ था, जिसमें स्पेन ने नीदलैंड्स को हराकर पहली बार विश्व कप जीता था। ये वो समय था जब ऐसा माना जा रहा था कि फ़ुटबॉल की दुनिया पर दक्षिण अमरीकी और यूरोपीय देशों के बाद अफ़्रीकी देश अपना दबदबा क़ायम करेंगे क्योंकि ये वो समय था जब ब्राज़ील के पास रोनाल्डो, रिवाल्डो और रोबर्टो कार्लोस की तिकड़ी का जादू नहीं था और ये वो समय था जब फ्रांस के पास ज़िदान नहीं थे और जर्मनी के पास ओलिवर कान नहीं थे। इटली की टीमज़रूर इस ख़िताब की सबसे मज़बूत दावेदार थी लेकिन ये साल फ़ुटबॉल विश्व कप के इतिहास में कई उलटफेरों के नाम रहा।[1]
ग्रुप विभाजन
2010 में फ़ीफ़ा ने 19वें फ़ुटबॉल विश्व कप की मेज़बानी सिर्फ़ अफ़्रीकी देशों के लिए आरक्षित की थी और इस मेज़बानी का अवसर दक्षिण अफ़्रीका को मिला। मेज़बानी के मामले में भले ही दक्षिण अफ़्रीका ख़ुशक़िस्मत रहा लेकिन वो फ़ुटबॉल विश्व कप के इतिहास में पहला मेज़बान देश भी बना जो टूर्नामेंट के पहले राउंड में ही बाहर हो गया। विश्व कप के पहले राउंड में इसमें हिस्सा ले रही सभी 32 टीमों को आठ ग्रुप में बाँटा गया, जहाँ सभी टीमों को अपने ग्रुप में तीन राउंड रॉबिन मुक़ाबले खेलने थे।
मेज़बान दक्षिण अफ़्रीका, गत विजेता इटली, उपविजेता रही फ़्रांस और कैमरून जैसी टीमें इसी दौर में बाहर हो गईं। इटली और फ़्रांस की टीमें तो अपने ग्रुप में सबसे नीचे रहीं। पहले दौर में सबसे रोचक रही न्यूज़ीलैंड की टीम की राह। न्यूज़ीलैंड की टीम इस टूर्नामेंट में अविजित रही, लेकिन फिर भी वो पहले दौर से आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि उनके सारे मुक़ाबले ड्रॉ पर ख़त्म हुए थे। वहीं उन्हीं के ग्रुप में मौजूद स्लोवाकिया ने अपना एक मुक़ाबला जीत कर न्यूज़ीलैंड से एक अंक ज़्यादा हासिल कर लिया था। ब्राज़ील, जर्मनी, इंग्लैंड, अर्जेंटीना और पुर्तगाल समेत 16 टीमें नॉकआउट मुक़ाबलों के अगले दौर में प्रविष्ट हो गईं। नॉकआउट दौर में ग्रुप स्टेज में टॉप पर रही टीम को दूसरे नंबर पर रही टीम से भिड़ना था। इस तरह की व्यवस्था से जहाँ कुछ टीमों के लिए ये दौर आसान हो गया वहीं कुछ टीमों के लिए मुक़ाबला कड़ा था। इस दौर में ग़ौर करने लायक़ मुक़ाबले रहे - ब्राज़ील और चिली (ब्राज़ील), स्पेन और पुर्तगाल (स्पेन) और जर्मनी और इंग्लैंड (जर्मनी)।
पुर्तगाल की टीम अपने कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो के दम पर ख़िताब अपने नाम करने की फ़िराक़ में थी लेकिन नॉकआउट मुक़ाबलों में स्पेन ने पुर्तगाल का ये सपना तोड़ दिया। कड़े मुक़ाबले में स्पेन के फ़ारवर्ड खिलाड़ी डेविड विया ने 63वें मिनट में गोल कर अपनी टीम को 1-0 से अपनी टीम को मैच जिता दिया। इस दौर का एक और बड़ा मुक़ाबला रहा जर्मनी और इंग्लैड के बीच जिसमें जर्मनी ने इंग्लैड को 4-1 से रौंद दिया। इंग्लैंड के लिए विश्व कप मुक़ाबलों में इतने बड़े अंतर से हार का ये पहला मौक़ा था। ये पहला मौक़ा था, जब जर्मनी और इंग्लैंड के बीच हुआ कोई विश्व कप मुक़ाबला 90 मिनट के निर्धारित समय में ही पूरा हो गया था।
क्वार्टर फ़ाइनल
ब्राज़ील, स्पेन और जर्मनी के अलावा घाना, उरुग्वे, नीदरलैंड्स, अर्जेंटीना और पराग्वे की टीमें क्वार्टर फ़ाइनल में प्रवेश कर गईं। आठ टीमों और उनके फ़ैन के जश्न मनाने के बाद वो दौर भी आया जब बड़े बड़े दिग्गज उलटफेर के शिकार हो गए। जहां ख़िताब की सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही ब्राज़ील की टीम को अंडरडॉग नीदरलैंड्स ने 2-1 से हरा दिया। ख़िताब की प्रबल दावेदार अर्जेंटीना और जर्मनी को इस दौर में एक दूसरे का सामना करना पड़ा और अर्जेंटीना जैसी मज़बूत टीम के विरुद्ध 4-0 से मैच जीत कर जर्मनी ने अपना लोहा मनवा लिया।
सेमी फ़ाइनल
पहले सेमी फ़ाइनल मुक़ाबले में जब उरुग्वे और नीदरलैंड्स की भिड़ंत हुई तो आश्चर्यजनक रुप से नीदरलैंड्स ने उरुग्वे की टीम को 3-2 से हरा दिया। ब्राज़ील को हराने के बाद ये जीत नीदरलैंड्स के लिए मुश्किल नहीं मानी जा रही थी लेकिन उरुग्वे के स्ट्राइकर डिएगो फ़ोरलैन अच्छी फ़ार्म में थे और उन्होंने गोल किया भी, लेकिन उनकी टीम दो ही गोल कर सकी। वहीं अर्जेंटीना (4-0) और इंग्लैंड (4-1) को हराने के बाद स्पेन जर्मनी के लिए सेमी फ़ाइनल में एक आसान शिकार माना जा रहा था लेकिन स्पेन ने 0-1 से ये मैच जीतकर जर्मनी का विजयरथ थाम लिया।
फ़ाइनल
अंडरडॉग मानी जा रही नीदरलैंड्स के लिए 1974 के बाद विश्व कप फ़ाइनल में पहुंचने का ये दूसरा मौक़ा था। वहीं स्पेन के लिए ये पहली बार था कि वो फ़ाइनल में खेल रहे थे। 11 जुलाई 2010 को हुए इस मुक़ाबले को इतिहास इसलिए भी याद रखेगा क्योंकि फ़ुटबॉल विश्व कप के इतिहास में ये पहला मौक़ा था, जब फ़ाइनल मुक़ाबले से ब्राज़ील, जर्मनी, इटली या अर्जेंटीना नदारद थे।
2010 का फ़ाइनल मुक़ाबला स्पेन ने जीता और अपना पहला विश्व कप भी। ये मुक़ाबला एक्सट्रा टाइम तक खिंचा और इस समय में स्पेन के खिलाड़ी आंद्रेस इनिएस्टा ने गोल कर स्पेन को उसका पहला विश्व कप दिलवा दिया। इस बार भी स्पेन इतिहास को दोहराने के इरादे से उतरेगा। इस विश्व कप का ख़ास आकर्षण रहा अफ़्रीकी वाद्ययंत्र वूवूज़ेला। इस वाद्य यंत्र की आवाज़ इतनी तेज़ थी की स्टेडियम में कोई और आवाज़ सुनाई नहीं देती थी।
अपनी टीम के ख़राब प्रदर्शन का ठीकरा लियोनेल मेसी ने इस यंत्र की आवाज़ पर फ़ोड़ा। उनका कहना था, "हम मैदान पर आपस में बात नहीं कर पाए। हमारा आपसी तालमेल नहीं बन पा रहा था।" शोर की शिकायतों के चलते वूवूज़ेला को बैन कर दिया गया था। वहीं विश्व कप के लिए बने थीम सांग 'वाका वाका' को ख़ासी लोकप्रियता मिली। इस गीत को मशहूर पॉप गायिका शकीरा ने गाया था और ये खेल प्रेमियों के साथ-साथ संगीत प्रेमियों को भी पसंद आया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विश्व कप फ़ुटबॉल (हिन्दी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 9 अगस्त, 2016।