दिनशा वाचा: Difference between revisions
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Revision as of 07:56, 11 December 2016
- दिनशा वाचा का जन्म 1844 ई. में हुआ था। अपने समय के आर्थिक विशेषज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से ही उससे संबद्ध तीन पारसी नेताओं में से एक दिनशाइउदजी वाचा थे, अन्य दो नेता थे- सर फीरोज शाह और दादाभाई नौरोजी।
- दिनशा वाचा आरंभ से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे थे।
- आप 30 वर्ष तक मुंबई कॉरपोरेशन के अध्यक्ष रहे।
- प्रारंभ से ही कांग्रेस से जुड़े हुए दिनशा 13 वर्ष तक इस संगठन के महामंत्री थे और 1901 ई. में कोलकाता कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
- मुंबई विधान परिषद और केन्द्रीय इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल के भी दीर्घकाल तक सदस्य रहे।
- ब्रिटिश शासन द्वारा आर्थिक शोषण के आप कुछ आलोचक थे।
- दादाभाई नौरोजी ने भी ब्रिटिश पार्लियामेंट में यह विषय उठाया।
- 1895 में इसके लिए सरकारी जांच कमीशन गठित किया गया था।
- इस कमीशन के सामने गवाही देने के लिए दिनशा वाचा और गोपालकृष्ण गोखले भारत की ओर से लंदन गए थे।
- इनका समय नरम विचारों की राजनीति का था।
- गांधी जी के आने के बाद जब कांग्रेस संघर्ष के रास्ते पर चलने लगी तो विचारभेद के कारण दिनशा वाचा कांग्रेस छोड़कर लिबरल दल के नेता बन गए। परंतु अपने समय में उन्होंने देश की जो सेवा की वह स्मरणीय है।
- 1936 में आपका निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 381।