अलका सरावगी: Difference between revisions

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'''अलका सरावगी''' (जन्म- [[1960]], [[कोलकाता]]) को [[हिन्दी साहित्य]] जगत् में एक विशिष्ट पहचान प्राप्त है। कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) में जन्मी अलका सरावगी ने हिन्दी साहित्य में एम.ए. और 'रघुवीर सहाय के कृतित्व' विषय पर पीएच.डी की उपाधि हासिल की है।
==लेखन कार्य==
==लेखन कार्य==
अलका जी का पहला कहानी संग्रह वर्ष [[1996]] में 'कहानियों की तलाश में' आया। इसके दो साल बाद ही उनका पहला उपन्यास 'काली कथा, वाया बायपास' शीर्षक से प्रकाशित हुआ। 'काली कथा, वाया बायपास' में नायक किशोर बाबू और उनके परिवार की चार पीढिय़ों की सुदूर रेगिस्तानी प्रदेश [[राजस्थान]] से पूर्वी प्रदेश [[बंगाल]] की ओर पलायन, उससे जुड़ी उम्मीद एवं पीड़ा की कहानी बयाँ की गई है।
अलका जी का पहला कहानी संग्रह वर्ष [[1996]] में 'कहानियों की तलाश में' आया। इसके दो साल बाद ही उनका पहला उपन्यास 'काली कथा, वाया बायपास' शीर्षक से प्रकाशित हुआ। 'काली कथा, वाया बायपास' में नायक किशोर बाबू और उनके परिवार की चार पीढिय़ों की सुदूर रेगिस्तानी प्रदेश [[राजस्थान]] से पूर्वी प्रदेश [[बंगाल]] की ओर पलायन, उससे जुड़ी उम्मीद एवं पीड़ा की कहानी बयाँ की गई है।

Latest revision as of 13:49, 30 June 2017

अलका सरावगी
पूरा नाम अलका सरावगी
जन्म 1960
जन्म भूमि कोलकाता
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र कहानीकार, उपन्यासकार
मुख्य रचनाएँ 'कहानियों की तलाश में', 'काली कथा, वाया बायपास' आदि।
शिक्षा एम.ए. (हिन्दी साहित्य), पीएच.डी.
पुरस्कार-उपाधि 'साहित्य कला अकादमी पुरस्कार' (2001), 'श्रीकांत वर्मा पुरस्कार'
नागरिकता भारतीय
अद्यतन‎ 23 दिसम्बर, 2012, 11:28 (IST)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

अलका सरावगी (जन्म- 1960, कोलकाता) को हिन्दी साहित्य जगत् में एक विशिष्ट पहचान प्राप्त है। कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता) में जन्मी अलका सरावगी ने हिन्दी साहित्य में एम.ए. और 'रघुवीर सहाय के कृतित्व' विषय पर पीएच.डी की उपाधि हासिल की है।

लेखन कार्य

अलका जी का पहला कहानी संग्रह वर्ष 1996 में 'कहानियों की तलाश में' आया। इसके दो साल बाद ही उनका पहला उपन्यास 'काली कथा, वाया बायपास' शीर्षक से प्रकाशित हुआ। 'काली कथा, वाया बायपास' में नायक किशोर बाबू और उनके परिवार की चार पीढिय़ों की सुदूर रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान से पूर्वी प्रदेश बंगाल की ओर पलायन, उससे जुड़ी उम्मीद एवं पीड़ा की कहानी बयाँ की गई है।

वर्ष 2000 में उनके दूसरे कहानी संग्रह 'दूसरी कहानी' के बाद उनके कई उपन्यास प्रकाशित हुए। पहले 'शेष कादंबरी' फिर 'कोई बात नहीं' और उसके बाद 'एक ब्रेक के बाद'।

पुरस्कार व सम्मान

अपने पहले उपन्यास के लिए ही अलका सरावगी को वर्ष 2001 में 'साहित्य कला अकादमी पुरस्कार' और 'श्रीकांत वर्मा पुरस्कार' से नवाजा गया था। यही नहीं, इनके उपन्यासों को देश की सभी आधिकारिक भाषाओं में अनुदित करने की अनुशंसा भी की गई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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