प्रामित्यक: Difference between revisions
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*किसी मित्र आदि से सहायता रूप में ऐसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए प्रामित्यक कहलाता है। | *किसी मित्र आदि से सहायता रूप में लिया गया ऐसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए प्रामित्यक कहलाता है। | ||
*प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे- | *प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे- | ||
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Revision as of 07:49, 3 July 2017
प्रामित्यक प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था में प्रचलित एक शब्द था, जिसका वर्णन कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है।
- किसी मित्र आदि से सहायता रूप में लिया गया ऐसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए प्रामित्यक कहलाता है।
- प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
कौटिलीय अर्थशास्त्रम् |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 158 |