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{{सूचना बक्सा कलाकार
'''देवेन वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Deven Verma'', जन्म: [[23 अक्टूबर]], [[1937]], [[पुणे]]; मृत्यु: [[2 दिसम्बर]], [[2014]] हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे। यह लगभग 149 फिल्मों में काम कर चुके है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.starlive24.in/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%A8/%E0%A4%AC%E0%A5%89%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A5%81%E0%A4%A1/%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%9A-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE/183152.html |title=देवन वर्मा |accessmonthday=6 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.starlive24.in |language=हिंदी }}</ref>
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==परिचय==
|चित्र का नाम=राकेश बेदी
देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्टूबर, 1937 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। ये कच्छ के रहने वाले थे। उनके पिता का नाम बलदेव सिंह वर्मा था। वह चांदी का कारोबार करते थे। बड़ी बहन की पढ़ाई के लिए उनके माता-पिता पूना शिफ्ट हो गये थे। देवेन वर्मा की पत्नि रुपा गांगुली प्रसिद्ध अभिनेता अशोक कुमार की बेटी हैं।
|पूरा नाम=राकेश बेदी
|प्रसिद्ध नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=[[1 दिसम्बर]], [[1954]]
|जन्म भूमि=[[नई दिल्ली]]
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|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=गोपाल बेदी
|पति/पत्नी=आराधना बेदी
|संतान=रिधिमा राकेश बेदी
|कर्म भूमि=मुम्बई
|कर्म-क्षेत्र=[[अभिनेता]]
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य फ़िल्में=
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|अन्य जानकारी=राकेश बेदी इन दिनों सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक "शुभ विवाह" में व्यस्त हैं।
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'''राकेश बेदी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rakesh Bedi'', जन्म: [[1 दिसम्बर]], [[1954]], [[नई दिल्ली]]) भारतीय फ़िल्म अभिनेता, स्टेज कलाकर हैं। वह [[हिंदी]] फ़िल्मों में अपने कॉमिक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री में राकेश बेदी ने करीब 175 फ़िल्में (हिंदी, [[पंजाबी]] व अन्य भाषाओं में बनने वाली फ़िल्मों) में काम किया। 50 से अधिक टीवी शो में उन्होंने देश-विदेश में अपनी अदाकारी के बलबूते पर अपना जलवा बिखेरा। यही नहीं उन्होंने देश-विदेश में 200 से अधिक प्रसिद्ध नाटकों में अपनी एक्टिंग से जमकर तालियां बटोरीं। वर्तमान में वह अक्सर लोकप्रिय टेलिविज़न धारावाहिक 'भाभी जी घर पर है' में दिखाई देते हैं।
==जीवन परिचय==
राकेश बेदी का जन्म 1 दिसम्बर, 1954 को नई दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम गोपाल बेदी है, जोकि इंडियन एयरलाइन्स में कार्यरत थे। बेदी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से की है। उन्हें अभिनय करने का शौक बचपन से था। पढ़ाई खत्म होने के बाद वह थिएटर से जुड़ गए। उसके बाद उनके पिता ने अभिनय में उनकी रूचि देखते हुए उनका दाखिला फ़िल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीयूट ऑफ़ इंडिया, [[पुणे]] में करा दिया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.filmibeat.com/celebs/rakesh-bedi/biography.html |title=राकेश बेदी |accessmonthday=5 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.filmibeat.com |language=हिंदी }}</ref>
==कॅरियर==
==कॅरियर==
राकेश बेदी ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने हर फ़िल्म में अपनी छाप छोड़ी है। एशियन एकेडमी ऑफ़ फ़िल्म एंड टेलिविज़न से अभिनय में निपुण होने के बाद उनकी पहली फ़िल्म [[1979]] में 'हमारे-तुम्हारे' आई। उसके बाद 'चश्मे-बद्दूर' में राकेश बेदी अपनी एक्टिंग से फ़िल्मी जगत में छा गए। उसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। छोटे पर्दे पर 'श्रीमान-श्रीमति', 'यस बॉस', 'यह जो जिंदगी है' में जहां उन्होंने घर-घर पहुंच कर लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई, वहीं फ़िल्म 'दिलजले', 'विजेता', 'बेवफा सनम', 'दुलारा', 'हीरो नंबर वन', 'तिरंगा' जैसी तमाम फ़िल्मों में उन्होंने काम किया। छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे पर उन्होंने अपनी एक्टिंग से हमेशा तालियां बटोरीं।<ref>{{cite web |url=http://www.jagran.com/punjab/amritsar-10441603.html |title=
देवेन वर्मा को मिमिक्री का शौक था। पढ़ाई के सिलसिले में [[मुंबई]] आने के बाद वे जॉनी ह्विस्की के साथ स्टेज पर मिमिक्री किया करते थे। ऐसे ही एक शो में बीआर चोपड़ा ने उन्हें देखा था। उन्होंने देवेन वर्मा को [[1961]] में 'धर्मपुत्र' फिल्म के लिए साइन किया, जिसमें उन्हें 600 रूपए पारिश्रमिक में मिले। यह फिल्म नहीं चली थी। बीआर चोपड़ा की ही [[1963]] में आई 'गुमराह' से उन्हें पहचान मिली। इस फिल्म में वे [[अशोक कुमार]] के नौकर बने थे। बाद में रियल लाइफ में वे अशोक कुमार के दामाद बने।
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राकेश बेदी इन दिनों फ़िल्मों में कम दिखाई दे रहे हैं। हालांकि उनके पास फ़िल्में हैं लेकिन अब वो मारामारी नहीं है, जो कभी हुआ करती थी। हां टीवी कार्यक्रमों में वे जरूर नजर आ रहे हैं। इन दिनों वे सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक "शुभ विवाह" में व्यस्त हैं। इस धारावाहिक में वे केन्द्रीय भूमिका में हैं जहां उनकी पांच बेटियाँ हैं और वे उनके लिए वर तलाश कर रहे हैं। इस धारावाहिक में उनका गेटअप और पुराना स्कूटर दर्शाता है कि वे मध्यमवर्गीय परिवार के कर्ताधर्ता हैं। राकेश बेदी अभी सागर आर्ट्स की एक फ़िल्म "हाय रब्बा मैं क्या करूं" कर रहे है, जिसे "1971" के डायरेक्टर अमृत सागर बना रहे हैं और आकाश सागर इसके हीरो हैं। इसमें अरशद वारसी भी हैं।
1975 में आई 'चोरी मेरा काम' में उनका काम बेहद सराहा गया। इसके लिए उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। उन्हें 'अंगूर' के लिए भी फिल्म फेअर पुरस्कार मिला था। इस फिल्म में बहादुर के डबल रोल में उन्होंने संजीव कुमार का पूरा साथ दिया था। देवेन वर्मा की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्तद थी। चेहरे पर निर्विकार भाव लाकर चुटीली बातें करना उनकी खासियत थी। उन्होंने अपने समकालीन दूसरे कॉमेडियन की तरह फूहड़ता का सहारा नहीं लिया। उनके हास्यी-विनोद और हाव-भाव में शालीनता रहती थी।
 
;फ़िल्म निर्माण के रूप में
राकेश बेदी ने कभी फ़िल्म निर्देशक बनाने का विचार किया था लेकिन बदलते फ़िल्मी माहौल और बढ़ते बजट ने उनकी इस महत्त्वकांक्षा को कहीं दबा दिया है। उनके अनुशार आजकल वही व्यक्ति निर्देशक बन पाता है जो स्वयं एक सफल लेखक है। हालांकि राकेश बेदी स्वयं भी लेखक हैं लेकिन उन्होंने कभी किसी फ़िल्म को नहीं लिखा है। हां नाटक और धारावाहिकों को जरूर उन्होंने लिखा है। निर्देशक न बन पाने पर वे कहते हैं कि "काफी कुछ होता है जो नहीं हो पाता है। बहुत सारी चीजें हैं जिन्हें मैं करना चाहता हूं। कोशिशें जारी हैं और जब सही वक्त आएगा, वे हो भी जाएंगी।<ref>{{cite web |url=http://www.khaskhabar.com/hindi-news/Entertainment-rakesh-bedi-new-serial-shubh-vivah-2254934.html |title=राकेश बेदी |accessmonthday=5 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.khaskhabar.com |language=हिंदी }}</ref>
देवन वर्मा ने फिल्मों का निर्माण किया और एक फिल्म 'नादान' निर्देशित की। निर्माता और निर्देशक के तौर पर उन्हें अधिक कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने एक भोजपुरी फिल्म भी की थी। 'नैहर छूटल जाए' नाम की इस फिल्म में उनकी हीरोइन कुमकुम थीं। देवेन वर्मा अपने समकालीनों के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहे। [[शशि कपूर]] उनके खास दोस्त थे। उन्होंने [[अमिताभ बच्चन]] के साथ भी अनेक फिल्में कीं। उनके साथ वे स्टेज शो करते थे।
==मुख्य फ़िल्में==
राकेश बेदी की कुछ मुख्य फ़िल्में हैं, जो इस प्रकार है-
*चश्मे-बद्दूर
*दिलजले
*विजेता
*बेवफा सनम
*दुलारा
*हीरो नंबर वन
*तिरंगा
*बड़े मियां छोटे मियां
*हम आपके दिल में रहते हैं
*यश बोस
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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__NOTOC__

Revision as of 13:00, 6 July 2017

देवेन वर्मा (अंग्रेज़ी: Deven Verma, जन्म: 23 अक्टूबर, 1937, पुणे; मृत्यु: 2 दिसम्बर, 2014 हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता थे। यह लगभग 149 फिल्मों में काम कर चुके है।[1]

परिचय

देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्टूबर, 1937 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। ये कच्छ के रहने वाले थे। उनके पिता का नाम बलदेव सिंह वर्मा था। वह चांदी का कारोबार करते थे। बड़ी बहन की पढ़ाई के लिए उनके माता-पिता पूना शिफ्ट हो गये थे। देवेन वर्मा की पत्नि रुपा गांगुली प्रसिद्ध अभिनेता अशोक कुमार की बेटी हैं।

कॅरियर

देवेन वर्मा को मिमिक्री का शौक था। पढ़ाई के सिलसिले में मुंबई आने के बाद वे जॉनी ह्विस्की के साथ स्टेज पर मिमिक्री किया करते थे। ऐसे ही एक शो में बीआर चोपड़ा ने उन्हें देखा था। उन्होंने देवेन वर्मा को 1961 में 'धर्मपुत्र' फिल्म के लिए साइन किया, जिसमें उन्हें 600 रूपए पारिश्रमिक में मिले। यह फिल्म नहीं चली थी। बीआर चोपड़ा की ही 1963 में आई 'गुमराह' से उन्हें पहचान मिली। इस फिल्म में वे अशोक कुमार के नौकर बने थे। बाद में रियल लाइफ में वे अशोक कुमार के दामाद बने।

1975 में आई 'चोरी मेरा काम' में उनका काम बेहद सराहा गया। इसके लिए उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। उन्हें 'अंगूर' के लिए भी फिल्म फेअर पुरस्कार मिला था। इस फिल्म में बहादुर के डबल रोल में उन्होंने संजीव कुमार का पूरा साथ दिया था। देवेन वर्मा की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्तद थी। चेहरे पर निर्विकार भाव लाकर चुटीली बातें करना उनकी खासियत थी। उन्होंने अपने समकालीन दूसरे कॉमेडियन की तरह फूहड़ता का सहारा नहीं लिया। उनके हास्यी-विनोद और हाव-भाव में शालीनता रहती थी।

फ़िल्म निर्माण के रूप में

देवन वर्मा ने फिल्मों का निर्माण किया और एक फिल्म 'नादान' निर्देशित की। निर्माता और निर्देशक के तौर पर उन्हें अधिक कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने एक भोजपुरी फिल्म भी की थी। 'नैहर छूटल जाए' नाम की इस फिल्म में उनकी हीरोइन कुमकुम थीं। देवेन वर्मा अपने समकालीनों के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहे। शशि कपूर उनके खास दोस्त थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ भी अनेक फिल्में कीं। उनके साथ वे स्टेज शो करते थे।

  1. देवन वर्मा (हिंदी) hindi.starlive24.in। अभिगमन तिथि: 6 जुलाई, 2017।