दिया जलता रहा -गोपालदास नीरज: Difference between revisions
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धूल का आधार हर उपवन लिये, | धूल का आधार हर उपवन लिये, | ||
मृत्यु से | मृत्यु से श्रृंगार हर जीवन किये, | ||
जो अमर है वह न धरती पर रहा, | जो अमर है वह न धरती पर रहा, | ||
मर्त्य का ही भार मिट्टी ने सहा, | मर्त्य का ही भार मिट्टी ने सहा, |
Latest revision as of 08:52, 17 July 2017
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जी उठे शायद शलभ इस आस में |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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