प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
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+मुनरो | +मुनरो | ||
-मोरीजन | -मोरीजन | ||
- | -रैम्जे म्योर | ||
||मुनरो ने कहा था कि "हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है"। | ||मुनरो ने कहा था कि "हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है"। | ||
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+अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है | +अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है। थोरो ने वर्ष 1848 में लिखे एक निबंध 'Civil Disobedience' (सविनय अवज्ञा) में यह तर्क दिया था कि जब अपनी ही सरकार अन्याय करने लगे तो जनता को उसका विरोध अवश्य करना चाहिए। | ||हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है। थोरो ने वर्ष [[1848]] में लिखे एक निबंध 'Civil Disobedience' (सविनय अवज्ञा) में यह तर्क दिया था कि जब अपनी ही सरकार अन्याय करने लगे तो जनता को उसका विरोध अवश्य करना चाहिए। | ||
{यथार्थवादी विचार की शास्त्रीय पुस्तक मानी जाने वाली कृति, 'पालिटिक्स एमंग नेशन्स' के लेखक-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-64 | {यथार्थवादी विचार की शास्त्रीय पुस्तक मानी जाने वाली कृति, 'पालिटिक्स एमंग नेशन्स' के लेखक-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-64 | ||
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{हमारे देश में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-51 | {हमारे देश में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-51 | ||
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-मुख्यमंत्री | -[[मुख्यमंत्री]] | ||
-कैबिनेट मंत्री | -कैबिनेट मंत्री | ||
+राज्यपाल | +[[राज्यपाल]] | ||
-मुख्य सचिव | -मुख्य सचिव | ||
||संविधान के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। | ||संविधान के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा। | ||
{भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के कितने दिन पश्चात एवं उम्मीदवार को अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देने चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-110 | |||
|type="()"} | |||
-20 दिन | |||
+30 दिन | |||
-40 दिन | |||
-50 दिन | |||
||लोक प्रतिनिधित्व अधीनियम, 1951 की धारा 77 के अनुसार, भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के 30 दिन के अंदर उम्मीदवार को स्वयं अथवा अपने प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देना चाहिए। | |||
{"माजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-59 | |||
|type="()"} | |||
-सैलरस | |||
-रसेल | |||
-राबर्ट | |||
+बर्नार्ड शॉ | |||
||समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।" यह कथन जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का है। जॉर्ज बनार्ड शॉ ब्रिटेन के फेवियन सोसाइटी के प्रमुख विचारक थे। ये समाजवादी (फेबियन) विचारक के साथ-साथ मसहूर लेखक भी थे। 'मैन एण्ड सुपरमैन, तथा पिग्मेलियन इनकी प्रमुख रचनाएं है। इन्हें 1925 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। | |||
{"मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75 | |||
|type="()"} | |||
+रैम्ये म्योर का | |||
-हरमन फाइनर का | |||
-मैक्स वेबर का | |||
-लास्की का | |||
||रैम्ये म्योर के अनुसार "हमारी शासन प्रणाली में नौकरशाही की शाक्ति बहुत ज्यादा है चाहे वह प्रशासन हो, विधायन हो या वित्त हो। वह मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में फ्रेंकेन्सटीन के दैत्य की भांति पनपी और विकसित हुई है और अब वह अपने पैदा करने वाले को ही खा जाना चाहती है"। | |||
{"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33 | |||
|type="()"} | |||
-तिलक | |||
-लेनिन | |||
-भगत सिंह | |||
+माओत्से तुंग | |||
||"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन मओत्से तुंग का है। माओत्से-तुंग को मार्क्सवादी को यूरोपीय से एशियाई रूप देने के लिए जाना जाता है। | |||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
.माओ ने 'लंबी छलांग' (1958-1960), 'सैकड़ों फूलों का अभियान' (1957) और 'महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांन्ति' (1966-1967) जैसे क्रांन्तिकारी प्रयोग किए। | |||
.माओ की प्रमुख रचनाएं क्रमश: 'ऑन कंट्राडिक्शन', 'न्यू डेमीक्रेसी, 'ऑन कोलिजन गवर्नमेंट', 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक डिक्टेटरशिप' हैं। | |||
.माओ द्वारा दिए गए सिद्धांतों में प्रमुख अंतर्विरोध का नियम, 'समाजवादी पुनर्निर्माण की प्रक्रिया', 'सांस्कृतिक क्रांति की अवधारणा', 'असंगति का सिद्धांत', 'शक्ति का सिद्धांत', 'लोक युद्ध का सिद्धांत,' 'सशस्त्र क्रांन्ति का सिद्धांत', 'जनवादी लोकतंत्र का सिद्धांत' आदि हैं। | |||
{माओ ने चीन में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए किस विचारक के विचारों को उखाड़ फेंका? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-45 | |||
|type="()"} | |||
-लेनिन | |||
+कन्फ्यूशियस | |||
-स्टालिन | |||
-खुश्चेय | |||
||माओ ने चीन में मार्क्सवादी की स्थापना करने के लिए चीन के छठीं सदी ई. पू. के समाज सुधारक 'कन्फ्यूशियस' के चीनी समाज में व्याप्त विचारों व मान्यताओं को उखाड़ फेंका। माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति' के अपने आंदोलन के दौरान वर्ष 1973 में 'क्रिटिसाइज लिन बियाओ, क्रिटिसाइज कन्फ्यूशियम' (Critisize Lain Biao, Critisize Confucius) नामक आंदोलन चलाया जो वर्ष 1976 तक चला। इस आंदोलन में माओ ने चीनी इतिहास व संस्कृति की माओवादी व्याख्याएं की। | |||
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Revision as of 12:19, 31 October 2017
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