पहेली 30 जून 2017: Difference between revisions
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||[[चित्र:Surdas.jpg|right|100px|border|सूरदास]]'सूरदास' [[हिन्दी साहित्य]] के [[भक्ति काल]] में [[कृष्ण]] के [[भक्त]] कवियों में अग्रणी हैं। महाकवि सूरदास [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने [[ | ||[[चित्र:Surdas.jpg|right|100px|border|सूरदास]]'सूरदास' [[हिन्दी साहित्य]] के [[भक्ति काल]] में [[कृष्ण]] के [[भक्त]] कवियों में अग्रणी हैं। महाकवि सूरदास [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]] और [[शान्त रस|शान्त रसों]] का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। [[सूरदास]] का जन्म [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक [[गांव]] में हुआ था। सूरदास [[वल्लभाचार्य]] के शिष्य थे। उनके काव्य में वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित कृष्ण स्वरूप की प्रतिष्ठा स्वाभाविक रूप से हुई है। सूरदास की भक्ति में अंतःकरण की प्रेरणा तथा अंतर की अनुभूति की प्रधानता है। उनका भक्त हृदय [[इतिहास]] और [[पुराण]] के अनेक उद्धरणों के माध्यम से भक्तों पर ईश्वरी कृपा के महत्त्व का प्रतिपादन करता है। [[अहिल्या]], गणिका, [[अजामिल]], गज, [[द्रौपदी]], [[प्रह्लाद]] आदि उदाहरणों के माध्यम से [[सूरदास]] यह स्थापित करते हैं कि कैसे ईश्वर अपने भक्तों पर कृपा की बौछार बरसाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरदास]] | ||
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