प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {उत्कीर्ण छापाचित्र को क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-167,प्रश्न-12 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-इनले | |||
- | -इनटॅनको | ||
- | -इंट्यूशन | ||
+इंटैग्लियो | |||
|| | ||इंटैग्लियो का अर्थ है- उत्कीर्णन, नक्काशी या कमलकारी। इसे 'सील मुद्रण' भी कहा जाता है, जिसमें तांबा या जस्ता प्लेटों में आकृति को उभारी जाती है या निश्चित भाग को दबाकर आकृति उत्कीर्ण की जाती है। | ||
{[[ | {[[चंडीगढ़]] का वास्तुकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-12 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-चार्ल्स कोरिया | |||
- | +ली कार्बूजियर | ||
-फिलिप जॉन्सन | |||
- | -सतीश गुजराल | ||
||वर्ष [[1950]] में एक अमेरिकी फर्म मैसर्म मेयर, ह्विटलिसे एंड ग्लास को नए शहर के 'मास्टर प्लान' तैयार करने को अधिकृत किया गया। एल्बर्ट मेयर एवं मैथ्यू नोविकी ने 'मास्टर प्लान' को विकसित कर 'सुपर ब्लॉक' की संकल्पना खिचीं। 'सुपर ब्लॉक' में स्वनिर्भरता, मकानों, बाजार, मोड़दार सड़के और खुले स्थान पर डिजाइन तैयार किया गया। नोविकी एक हवाई दुर्घटना में मारे गए और मेयर ने इसे बंद करने का निर्णय लिया। इसके बाद यह कार्य चार्ल्स एडुवर्ड जीनेरेट के नेतृत्व वाली वास्तुकार टीम को सौंपा गया। उन्होंने वर्ष 1951 में ली कार्बूजियर को सौंपा जो अच्छे जानकार थे। राजधानी अहित संपूर्ण 'मास्टर प्लान' ली कार्बूजियर द्वारा विकसित किया गया। | |||
{'बद्रीनाथ आर्य' को [[कला]] का कौन-सा सर्वोच्च पुरस्कार मिला था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-43 | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]] | ||
- | -[[पद्म श्री]] | ||
- | +कला रत्न | ||
-कला श्री | |||
|| | ||[[सितंबर]], [[2007]] में [[ललित कला अकादमी]] द्वारा कला के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए सर्वोच्च सम्मान 'ललित कला रत्न' 13 व्यक्तियों को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार तात्कालीन लोक सभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने प्रदान किया। पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं- बाल चब्रा, बी.एन. (बद्रीनाथ) आर्य, देवी प्रसाद, दिनकर कौशिक, के. रजैह, केकू एम, पी.एन. चोयल, पिराजी सागरा तथा गोभा ब्रह्मा। | ||
{'[[गीतांजलि]]' के रचयिता कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-151 | |||
|type="()"} | |||
-[[दिनकर]] | |||
+[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] | |||
-[[राजेंद्र नाथ]] | |||
-[[कैलाश वाजपेयी]] | |||
||'[[गीतांजलि]]', [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] का [[काव्य संग्रह]] है। इस पर वर्ष [[1913]] में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। | |||
{ | {तंजावुर चित्रकला (तमिलनाडु) का मुख्य विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-234 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ग्रामीण जीवन का चित्रण | |||
- | -त्योहारों का चित्रण | ||
- | +हिंदू देवी-देवताओं का चित्रण | ||
- | -पशु-पक्षी चित्रण | ||
|| | ||तंजावुर चित्रकला का मुख्य विषय धार्मिक हिंदू देवी-देवताओं का चित्रण है। चोल शासनकाल में यह कला खूब प्रचलित थी। तंजावुर कला में [[कृष्ण|भगवान कृष्ण]] के अनेक चित्र मिलते हैं। | ||
{ | {विज्ञापन में शब्द 'कैंपेन' आया है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-169,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[खेल]] | ||
- | -[[संगीत]] | ||
-[[नृत्य]] | |||
+मिलेटरी | |||
||विज्ञापक में 'कैंपेन' शब्द मिलेटरी से आया है। मिलेटरी द्वारा किसी निश्चित समय अथवा भौगोलिक क्षेत्र में चलाए जाने वाले सैनिक अभियान को 'कैंपेन' कहा जाता है। 'कैंपेन' शब्द का प्रयोग सरकार द्वारा राजनीतिक, कूटनीतिक, सामाजिक एवं व्यावसायिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। | |||
{ | {यशोधर के चित्र-षडंग की पुनर्व्याख्या किस कलाकार ने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-178,प्रश्न-15 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[राजा रवि वर्मा]] | ||
-[[सतीश गुजराल]] | |||
+[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] | |||
-[[ | -[[नंदलाल बोस]] | ||
|| | ||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण काल के संस्थापक शिल्पाचार्य अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारतीय चित्रकला के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने 'इंडियन सोसायटी ऑफ़ ओरियंटल आर्ट' में 'षडंग' या 'द सिक्स लिम्बस ऑफ़ पेंटिंग' शीर्षक से वर्ष [[1921]] में प्रकाशित कराया। इसमें उन्होंने यशोधर पंडित के चित्र-षडांग की पुनर्व्याख्या प्रस्तुत की। | ||
{' | {भारतीय ग्रंथ 'वृहत् संहिता' का रचयिता कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[बाणभट्ट|बाण भट्ट]] | ||
-कल्हण | |||
-[[ | -[[कालिदास]] | ||
+वाराहमिहिर | |||
|| | ||वाराहमिहिर ने तीन महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। वे हैं- वृहज्जातक, वृहत्त् संहिता तथा पंचसिद्धांतिका। वाराहमिहित गणीतज्ञ, खगोलशास्त्री और ज्योतिषशास्त्री थे। | ||
{[[ | {चट्टान काटकर बनाया गया [[द्रोपदी]] रथ कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-69 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-एलोरा | |||
- | -पुरी | ||
- | -हम्पी | ||
+महाबलीपुरम | |||
|| | ||चट्टान काटकर बनाया गया द्रोपदी रथ मंदिर [[महाबलीपुरम]] में स्थित है। [[तमिलनाडु|तमिलनाडु राज्य]] के कांचीपुरम जनपद में पल्लव काल में पल्लव कला शैली में पहाड़ों को काटकर रथ मंदिर | ||
{ | {भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-161 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[दिल्ली]] | ||
- | -कोलकाता | ||
- | +पुणे | ||
-मुंबई | |||
|| | ||भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान (Film and Television Institute India-FTII) भारत के पुणे शहर में स्थित है। यह संस्थान भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वशासी संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष 1960 में पुणे के प्रभाव स्टूडियो परिसर में भारतीय फिल्म संस्थान (Film Institute of India-FII) के रूप में की गई। वर्ष 1971 में इसका पुनर्नामकरण 'भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान' कर दिया गया। | ||
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Revision as of 11:06, 8 November 2017
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