प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
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||राज्य की उत्पत्ति का सर्वाधिक मान्य सिद्धांत 'विकासवादी सिद्धांत है, | ||राज्य की उत्पत्ति का सर्वाधिक मान्य सिद्धांत 'विकासवादी सिद्धांत है, जिसके अनुसार राज्य की अचानक उत्पत्ति (जैसा दैवीय सिद्धांत और सामाजिक समझौता सिद्धांत मानते हैं) न होकर क्रमिक विकास का फल है इसमें रक्त संबंध ने भी अंशत: योगदान दिया है। रक्त संबंध एकता का प्रथम और दृढतम बंधन रहा है। मैकाइवर का कथन है कि "रक्त संबंध समाज को जन्म देता है और कालांतर में समाज राज्य को। "सर हेनरी मेन ने लिखा है कि "समाज के प्राचीनतम इतिहास की आधुनिकतम गवेषणाएं इस निष्कर्ष की ओर इंगित करती हैं कि समूहों को एकता के सूत्र में बांधने वाला प्रारंभिक बंधन रक्त बंधन ही था।" | ||
{वह अभिमत कि "प्रतिस्पर्धा संघर्ष और शोषण पर आधारित भौतिक प्रगति समाज को अमानवीयकरण की ओर ले जाती | {वह अभिमत कि "प्रतिस्पर्धा संघर्ष और शोषण पर आधारित भौतिक प्रगति समाज को अमानवीयकरण की ओर ले जाती है"। किस विचारक से संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-60 | ||
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-कांट | -कांट | ||
-रूसो | -रूसो | ||
+मार्क्स | +[[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] | ||
-एरिक फ्रॉम | -एरिक फ्रॉम | ||
||कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद की आलोचना सिर्फ आर्थिक आधार पर नहीं की है। मार्क्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धा पर आधारित पूंजीवादी समाज उस भौतिक प्रगति को बढ़ावा देता है जो संघर्ष एवं शोषण पर आधारित है तथा अमानवीयकरण की ओर ले जाती | ||[[कार्ल मार्क्स]] ने पूंजीवाद की आलोचना सिर्फ आर्थिक आधार पर नहीं की है। मार्क्स के अनुसार, प्रतिस्पर्धा पर आधारित पूंजीवादी समाज उस भौतिक प्रगति को बढ़ावा देता है जो संघर्ष एवं शोषण पर आधारित है तथा अमानवीयकरण की ओर ले जाती है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:'''[[कार्ल मार्क्स]] | ||
{समानता के उदारवादी विचार से निम्नलिखित में किस प्रकार की समानता अनुरूप नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-27 | {समानता के उदारवादी विचार से निम्नलिखित में किस प्रकार की समानता अनुरूप नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-27 | ||
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-राजनीतिक समानता | -राजनीतिक समानता | ||
+आर्थिक समानता | +आर्थिक समानता | ||
||समानता का उदारवादी विचार 'आर्थिक समानता' के ऊपर सामाजिक समानता, कानूनी समानता, | ||समानता का उदारवादी विचार 'आर्थिक समानता' के ऊपर सामाजिक समानता, कानूनी समानता, राजनीतिक समानता व नागरिक समानता को मान्यता देता है। 'आर्थिक समानता' समाजवादी समाज की मुख्य विशेषता है। इसके अभाव में राजनीतिक व नागरिक समानता का कोई मूल्य नहीं है। आर्थिक समानता धन के समान वितरण पर बल देती है। | ||
{इनमें से कौन राजनीतिक संस्कृति का संघटक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-71 | {इनमें से कौन राजनीतिक संस्कृति का संघटक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-71 | ||
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-प्रभावी अनुक्रियाएं | -प्रभावी अनुक्रियाएं | ||
||आमंड ने अपने एक निबंध 'कम्पेरेटिव पॉलिटिकल सिस्टम' में 'राजनीतिक संस्कृति' शब्द का उल्लेख किया था। राजनीतिक संस्कृति मोटे तौर पर तीन तत्त्वों का समूह होती हैं- | ||आमंड ने अपने एक निबंध 'कम्पेरेटिव पॉलिटिकल सिस्टम' में 'राजनीतिक संस्कृति' शब्द का उल्लेख किया था। राजनीतिक संस्कृति मोटे तौर पर तीन तत्त्वों का समूह होती हैं- | ||
.आनुभविक विश्वास, | .आनुभविक विश्वास, मूल्य अभिरुचियां, प्रभावी अनुक्रियाएं, | ||
{लोक सभा में किसी विधेयक पर आम | {लोक सभा में किसी विधेयक पर आम बहस किस स्तर पर होती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-146,प्रश्न-58 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-विधेयक की प्रस्तुति के समय | -विधेयक की प्रस्तुति के समय | ||
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-तृतीय वाचन के समय | -तृतीय वाचन के समय | ||
-प्रतिवेदन स्तर पर | -प्रतिवेदन स्तर पर | ||
||विधेयक को पुर:स्थापित करने का प्रक्रम उसका प्रथम वाचन होता है। द्वितीय वाचन में विधेयक पर विचार-दिमर्श होता है। सभा के सदस्य उसी स्तर पर आम बहस करते हैं। द्वितीय वाचन में ही सभा विधेयक को प्रवर समिति या दोनों सभाओं की संयुक्त समिति | ||विधेयक को पुर:स्थापित करने का प्रक्रम उसका प्रथम वाचन होता है। द्वितीय वाचन में विधेयक पर विचार-दिमर्श होता है। सभा के सदस्य उसी स्तर पर आम बहस करते हैं। द्वितीय वाचन में ही सभा विधेयक को प्रवर समिति या दोनों सभाओं की संयुक्त समिति को सौंप सकती है। द्वितीय वाचन में ही विधेयक पर खंडश: विचार भी होता है। प्रभारी सदस्य का यह प्रस्ताव कि विधेयक या यथासंशोधित विधेयक पारित किया जाए विधेयक का तृतीय वाचन कहलाता है। | ||
{संघ लोक सेवा आयोग का प्रधान कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-156,प्रश्न-116 | {संघ लोक सेवा आयोग का प्रधान कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-156,प्रश्न-116 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-एक राष्ट्रपति | -एक [[राष्ट्रपति]] | ||
+एक अध्यक्ष | +एक अध्यक्ष | ||
-सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश | -[[सर्वोच्च न्यायालय]] का एक न्यायाधीश | ||
-मंत्रिमंडल का एक मंत्री | -मंत्रिमंडल का एक मंत्री | ||
||संघ लोक सेवा अयोग भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार की लोक सेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है। संघ लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष तथा दस सदस्य होते हैं। आयोग का प्रधान, अध्यक्ष होता है। 22 नवंबर, 2014 से दीपक गुप्ता संघ सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष हैं। | ||संघ लोक सेवा अयोग [[भारत]] के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार की लोक सेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है। संघ लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष तथा दस सदस्य होते हैं। आयोग का प्रधान, अध्यक्ष होता है। 22 नवंबर, 2014 से दीपक गुप्ता संघ सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष हैं। | ||
{समाजवादी विचार का संबंध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-63,प्रश्न-67 | {समाजवादी विचार का संबंध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-63,प्रश्न-67 | ||
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.गेडस्टन ने-लिखा है कि "यह एक सूर्यपिण्ड है जिसके चारों ओर अन्य पिण्ड घूमते हैं। | .गेडस्टन ने-लिखा है कि "यह एक सूर्यपिण्ड है जिसके चारों ओर अन्य पिण्ड घूमते हैं। | ||
.बेजहाट के अनुसार-"यह संयोजक समिति है, एक हाइफन है जो जोड़ता है, एक बकसुआ है जो कार्यपालिका और व्यवस्थापिका को एक साथ बोध देता है।" | .बेजहाट के अनुसार-"यह संयोजक समिति है, एक हाइफन है जो जोड़ता है, एक बकसुआ है जो कार्यपालिका और व्यवस्थापिका को एक साथ बोध देता है।" | ||
प्रधानमंत्री के बारे में कथन- | [[प्रधानमंत्री]] के बारे में कथन- | ||
.'यह संपूर्ण शासन व्यवस्था की चूल है'-लास्की | .'यह संपूर्ण शासन व्यवस्था की चूल है'-लास्की | ||
.'छोटे-छोटे नक्षत्रों के बीच में चंद्रमा'-वर्मन। | .'छोटे-छोटे नक्षत्रों के बीच में चंद्रमा'-वर्मन। | ||
{लाखों लोग मार्क्स को देवता के रूप में पूजते हैं और अन्य लाखों लोग एक दुष्ट के रूप में घृणा करते हैं", यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-41 | {लाखों लोग [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] को देवता के रूप में पूजते हैं और अन्य लाखों लोग एक दुष्ट के रूप में घृणा करते हैं", यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-41 | ||
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+मैक्सी | +मैक्सी | ||
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||मार्क्स वैज्ञानिक समाजवाद का जन्मदाता है यद्यपि मार्क्स से पहले अनेक ब्रिटिश तथा फ्रेंच विचारक थे जिनके द्वारा समाजवादी विचार व्यक्त किए गए। इनमें फ्रांस के नॉयल बाबेफ, सेण्ड साइमन, चार्ल्सफोरियर, और इग्लैण्ड में जॉन, डी. सिसमेण्डी, बिलियम थॉम्पसन तथा रावर्ट आवेन प्रमुख थे। लेकिन मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन करने वाली शक्तियों की व्याख्या कर उसे वैज्ञानिकता प्रदान की। मार्क्स के विचार इतने हुए मैक्सी ने लिखा है कि "निष्पक्ष रूप से उस व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहना बहुत कठिन हो जाता है जिसे लाखों लोग ईश्वर की भांति पूजते हो और लाखों पिशाच मानकर घृणा करते हों।" | ||मार्क्स वैज्ञानिक समाजवाद का जन्मदाता है यद्यपि मार्क्स से पहले अनेक ब्रिटिश तथा फ्रेंच विचारक थे जिनके द्वारा समाजवादी विचार व्यक्त किए गए। इनमें फ्रांस के नॉयल बाबेफ, सेण्ड साइमन, चार्ल्सफोरियर, और इग्लैण्ड में जॉन, डी. सिसमेण्डी, बिलियम थॉम्पसन तथा रावर्ट आवेन प्रमुख थे। लेकिन मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन करने वाली शक्तियों की व्याख्या कर उसे वैज्ञानिकता प्रदान की। मार्क्स के विचार इतने हुए मैक्सी ने लिखा है कि "निष्पक्ष रूप से उस व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहना बहुत कठिन हो जाता है जिसे लाखों लोग ईश्वर की भांति पूजते हो और लाखों पिशाच मानकर घृणा करते हों।" | ||
{ | {फ़ेबियन समाजवाद समर्थक नहीं था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-60,प्रश्न-52 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+उग्र परिवर्तनों का | +उग्र परिवर्तनों का | ||
Line 108: | Line 108: | ||
-अविलंब सामाजिक पुन: संरचना का | -अविलंब सामाजिक पुन: संरचना का | ||
-मजदूरों के आंदोलन का | -मजदूरों के आंदोलन का | ||
|| | ||फ़ेबियन समाजवद उग्र परिवर्तनों का समर्थक नहीं था। | ||
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Revision as of 12:13, 12 November 2017
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