प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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{निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-7
|type="()"}
-भारत-संघात्मक
-ऑस्ट्रेलिया-संघात्मक
-अमेरिका-संघात्मक
+ब्रिटेन-संघात्मक
{निम्न में से कौन-सा पद केवल संसदात्मक शासन प्रणाली में ही पाया जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-2
|type="()"}
-[[राष्ट्रपति]]
-[[उपराष्ट्रपति|उप-राष्ट्रपति]]
-साम्राज्ञी
+[[प्रधानमंत्री]]
||प्रधानमंत्री का पद संसदात्मक शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता है। वह सरकार का प्रधान होता है। वह विधायिका में बहुमत दल का नेता होता है तथा विधायिका के प्रति जवाबदेह होता है। यद्यपि राष्ट्र का औपचारिक प्रमुख राजा (संवैधानिक-राजतंत्र) या राष्ट्रपति (संसदीय गणतंत्र) होता है।
{[[चीन]] ने स्वीकार की हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-7
|type="()"}
-बहुदलीय पद्धति
-द्विदलीय पद्धति
+एक दलीय पद्धति
-दल रहित पद्धति
{थॉमस हेयर का नाम किस निर्वाचन पद्धति से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-4
|type="()"}
+आनुपातिक पद्धति से
-एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र, सामान्य बहुमत पद्धति से
-एक सदस्यी चुनाव क्षेत्र, विशिष्ट बहुमत पद्धति से
-दलविहीन सूची पद्धति से
||प्रतिनिधित्व की आनुपातिक पद्धति का प्रतिपादन 18 वीं सदी में थॉमस हेयर ने अपनी पुस्तक 'प्रतिनिधि का चुनाव में' किया था। इसीलिए प्रतिनिधित्व की आनुपातिक प्रणाली को हेयर प्रणाली भी कहा जाता है। इस पद्धति में एक बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होता है तथा निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक मतदाता को उम्मीदवारों की संख्या के बराबर मत देने का अधिकार होता है। इस पद्धति में वे उम्मीदवार विजयी होते है जो आवश्यक चुनाव कोटा प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रणाली को कार्यरूप में परिणित करने के लिए मुख्यत: पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है-1.एकल संक्रमणीय मत प्रणाली 2.सूची प्रणाली। इस प्रणाली का प्रयोग अल्पसंख्यकों की उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रयोग की जाती है।
{निम्न में से कौन-सी संस्था लोक शिकायतों से संबंधित नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-28
|type="()"}
+[[योजना आयोग]]
-लोकायुक्त
-[[उच्चतम न्यायालय]]
-उच्चतर न्यायालय
||योजना आयोग देश के विकास हेतु योजनाओं का निर्माण करने वाली संस्था हैं। यह लोक शिकायतों से संबंधित संस्था नहीं हैं।
{[[भारतीय संसद]] की समितियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-17
|type="()"}
+लोक लेखा समिति
-प्राक्कलन समिति
-सार्वजनिक उपक्रमों की समिति
-अधीनस्थ विधायन की समिति
||[[भारतीय संसद]] की समितियों में 'लोक लेखा समिति' सबसे महत्त्वपूर्ण समिति है। इसका उद्देश्य लोक व्यय के दुरुपयोग एवं अनियमितताओं को सदन के समक्ष उजागर करना होता है। यह उन लोक प्राधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की सिफारिश करते है जो व्यय के दुरुपयोग हेतु उत्तरदायी पाए जाते हैं। समिति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को आधार मानकर लोक व्ययों का प्रतिपरीक्षण करती है। सामान्यत: विपक्ष के [[लोक सभा]] सदस्य को इसका [[अध्यक्ष]] नियुक्त किए जाने की प्रथा (1967-1968 से) है। लोक लेखा समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट लोक सभा के स्पीकर की जाती है।
{निम्नलिखित में से कौन [[पंचायती राज]] की स्थानीय स्व सरकार की तीन स्तरीय संरचना का एक संघटक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-187,प्रश्न-7
|type="()"}
-[[ग्राम]]
+[[प्रखंड]]
-[[ज़िला]]
-[[क्षेत्र]]
||पंचायती राज की त्रि-स्तरीय प्रणाली में [[ग्राम पंचायत]], क्षेत्र पंचायत समिति तथा ज़िला परिषद आते हैं जबकि प्रखंड इसमें सम्मिलित नहीं है।
{[[भारत]] में क्षेत्रवाद के उदय का प्रमुख कारण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-7
|type="()"}
-पृथकतावाद
-अल्पसंख्यकों की स्थिति
-पृथक राज्यों की मांग
+[[भाषा]] के आधार पर राज्यों का गठन व निर्माण
||[[भारत]] में क्षेत्रवाद के उदय का प्रमुख कारण, [[भाषा]] के आधार पर राज्यों का गठन व निर्माण है। भाषावार प्रांतों के बनने के बाद भी इन प्रांतों के एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्र के लोगों से काफी भिन्न है। इसलिए विभिन्न प्रांतों में क्षेत्रीय भावनाओं की संतुष्टि एवं क्षेत्रीय हितों के लिए आंदोलन होते रहते है।
{निम्न में से कौन प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत के प्रतिपादक हैं: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-19
|type="()"}
-बेंथम
+थॉमस पेन
-बर्क
-हॉब्स
{भारतीय संघवाद के उदाहरण को सर्वोत्कृष्ट किस नाम से विश्लेषित किया जा सकता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-8
|type="()"}
-विशुद्ध संघवाद
-शास्त्रीय संघवाद
+अर्द्ध-संघवाद
-प्राचीनतम संघवाद
||भारतीय संघवाद को अर्द्धसंघवाद के रूप में विश्लेषित किया जाता है। के.सी. ह्वेयर ने अपनी पुस्तक 'माडर्न कांस्टिट्यूशंस' में भारतीय संघवाद को अर्द्धसंघीय प्रणाली कहा है। [[उच्चतम न्यायालय]] ने ऑटोमोबाइल ट्रांसपोर्ट में हमारे संविधान को परिसंघीय बताया है। केशवानन्द भारती वाद में परिसंघीय संरचना को आधारभूत लक्षण माना गया। 1983 में गठित सरकारिया आयोग (केंद्र-राज्य संबंधो पर) ने भी [[भारतीय संविधान]] को परिसंघीय माना है। अत: भारतीय संविधान परिसंघीय (अर्द्ध संघीय Quasi Federal) है। ज्ञातव्य है कि प्राचीनतम संघवाद का उदाहरण [[अमेरिका]] में मिलता है। वह संघवाद की जननी है।
{संसदात्मक शासन प्रणाली में वैधानिक संप्रभु कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-3
{संसदात्मक शासन प्रणाली में वैधानिक संप्रभु कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-3
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Revision as of 12:01, 2 December 2017

संसदात्मक शासन प्रणाली में वैधानिक संप्रभु कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-3

राष्ट्रपति
संसद
प्रधानमंत्री
न्यायपालिका