प्रेम रावत: Difference between revisions

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प्रेम रावत का जन्म [[10 दिसम्बर]] [[1957]] में [[भारत]] के अध्यात्मिक नगर [[हरिद्वार]]  में हुआ था। अपने पिता और माननीय गुरु "श्रीहंस जी महाराज" के लिए आयोजित कार्यक्रमों में उन्होंने तीन साल की उम्र से ही [[प्रवचन]] शुरू कर दिया था। 4 [[वर्ष]] की उम्र में दिया गया उनका प्रवचन पहली बार प्रकाशित हुआ, [[जुलाई]] [[1966]] में जब वे 8 वर्ष के थे तो उन्होंने शान्ति के इस सन्देश को विश्व में जन-जन तक पहुँचाने की जिम्मेवारी संभाली।   


उन्होंने पूरे [[भारतवर्ष]] में जगह-जगह आयोजित कार्यक्रमों में लोगों को संबोधित किया।  लोग उनसे आकर्षित होने लगे और उन्हें "बाल योगेश्वर जी" के नाम से जानने लगे। 13 वर्ष की उम्र में उन्हें [[लन्दन]] और लॉस-एंजेलेस में प्रवचन के लिए आमंत्रित किया गया, और उनकी यात्राओं का सिलसिला शुरू हो गया। उसके बाद उन्हें लगभग हर देश से प्रवचन के आमंत्रण आने लगे। उन्होंने 'प्रेम रावत फाउंडेशन' की स्थापना की है, जो लोगों की मूल जरूरतों जैसे पौष्टिक भोजन, स्वच्छ पानी, आश्रय और मुफ़्त चिकित्सा उपलब्ध कराती है। रावत ने विश्व के 90 से अधिक देशों और 300 से अधिक शहरों में लोगों को संबोधित किया है। पूरी दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों और सामाजिक संगठनों द्वारा उन्हें नियमित रूप से आमंत्रित किया जाता है। उनके सन्देश का अनुवाद 70 भाषाओं में किया गया है जिसे 100  से भी ज्यादा देशों में उपलब्ध कराया जाता है।
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Latest revision as of 10:45, 2 January 2018

प्रेम रावत
पूरा नाम प्रेम पाल सिंह रावत
जन्म 10 दिसम्बर, 1957
जन्म भूमि हरिद्वार, उत्तर प्रदेश
अभिभावक हंसजी महाराज और राजेश्वरी देवी
पति/पत्नी मारोलिन रावत
संतान 4
कर्म-क्षेत्र आध्यात्मिक गुरु
पुरस्कार-उपाधि शांति के राजदूत
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 'प्रेम रावत फाउंडेशन' की स्थापना की है, जो लोगों की मूल ज़रूरतों जैसे पौष्टिक भोजन, स्वच्छ पानी, आश्रय और मुफ़्त चिकित्सा उपलब्ध कराती है।
अद्यतन‎

प्रेम पाल सिंह रावत (अंग्रेज़ी: Prem Pal Singh Rawat, जन्म: 10 दिसम्बर 1957) एक विश्वविख्यात आधुनिक आध्यात्मिक गुरु है। जिन्हें लोग 'बालयोगेश्वर' और 'महाराजजी' के नाम से भी जानते हैं।

जीवन परिचय

प्रेम रावत का जन्म 10 दिसम्बर 1957 में भारत के अध्यात्मिक नगर हरिद्वार में हुआ था। अपने पिता और माननीय गुरु "श्रीहंस जी महाराज" के लिए आयोजित कार्यक्रमों में उन्होंने तीन साल की उम्र से ही प्रवचन शुरू कर दिया था। 4 वर्ष की उम्र में दिया गया उनका प्रवचन पहली बार प्रकाशित हुआ, जुलाई 1966 में जब वे 8 वर्ष के थे तो उन्होंने शान्ति के इस सन्देश को विश्व में जन-जन तक पहुँचाने की जिम्मेवारी संभाली।

उन्होंने पूरे भारतवर्ष में जगह-जगह आयोजित कार्यक्रमों में लोगों को संबोधित किया। लोग उनसे आकर्षित होने लगे और उन्हें "बाल योगेश्वर जी" के नाम से जानने लगे। 13 वर्ष की उम्र में उन्हें लन्दन और लॉस-एंजेलेस में प्रवचन के लिए आमंत्रित किया गया, और उनकी यात्राओं का सिलसिला शुरू हो गया। उसके बाद उन्हें लगभग हर देश से प्रवचन के आमंत्रण आने लगे। उन्होंने 'प्रेम रावत फाउंडेशन' की स्थापना की है, जो लोगों की मूल ज़रूरतों जैसे पौष्टिक भोजन, स्वच्छ पानी, आश्रय और मुफ़्त चिकित्सा उपलब्ध कराती है। रावत ने विश्व के 90 से अधिक देशों और 300 से अधिक शहरों में लोगों को संबोधित किया है। पूरी दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों और सामाजिक संगठनों द्वारा उन्हें नियमित रूप से आमंत्रित किया जाता है। उनके सन्देश का अनुवाद 70 भाषाओं में किया गया है जिसे 100 से भी ज्यादा देशों में उपलब्ध कराया जाता है।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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