गुंटर ग्रास: Difference between revisions

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सफलता के बावजूद गुंटर ग्रास अत्यंत रचनाशील और बहुत सारी कलाओं को समर्पित बहुविध क्षमता वाले कलाकार थे। लेकिन राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप के जरिए भी वे बहस पैदा करते रहे। लंबे समय तक उन्हें जर्मनी में नैतिकता का पैमाना माना जाता रहा। [[1961]] से वे सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए सक्रिय हुए, [[1969]] में चांसलर बने विली ब्रांट के लिए चुनाव प्रचार किया, कुछ साल बाद पार्टी के सदस्य बने लेकिन शरणार्थी कानून में संशोधन के मुद्दे पर पार्टी के रुख से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। लेकिन वे समाज पर आलोचक निगाह रखने वाले कार्यकर्ता बने रहे। एक स्वतंत्र वामपंथी जो अपनी ख्याति का इस्तेमाल मुद्दों को उठाने में करता, कुर्दों को वापस भेजने का विरोध हो या नाजीकाल के बंधुआ मजदूरों का समर्थन हो, सताए गए लेखकों का समर्थन या युद्ध का विरोध। फिर [[2006]] में उन्हें मानना पड़ा कि उन्होंने स्वयं युद्ध में हिस्सा लिया और वह भी नाजी एसएस के सदस्य के रूप में। जीवन कथा में 17 साल की उम्र में एसएस की सदस्यता के रहस्योद्घाटन पर देस विदेश में बड़ा हंगामा हुआ। नैतिक अखंडता की छवि छुपाए गए अपराध से धूमिल हो गई। अचानक उन्हें पाखंडी समझा जाने लगा।<ref name="DW"/>
सफलता के बावजूद गुंटर ग्रास अत्यंत रचनाशील और बहुत सारी कलाओं को समर्पित बहुविध क्षमता वाले कलाकार थे। लेकिन राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप के जरिए भी वे बहस पैदा करते रहे। लंबे समय तक उन्हें जर्मनी में नैतिकता का पैमाना माना जाता रहा। [[1961]] से वे सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए सक्रिय हुए, [[1969]] में चांसलर बने विली ब्रांट के लिए चुनाव प्रचार किया, कुछ साल बाद पार्टी के सदस्य बने लेकिन शरणार्थी कानून में संशोधन के मुद्दे पर पार्टी के रुख से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। लेकिन वे समाज पर आलोचक निगाह रखने वाले कार्यकर्ता बने रहे। एक स्वतंत्र वामपंथी जो अपनी ख्याति का इस्तेमाल मुद्दों को उठाने में करता, कुर्दों को वापस भेजने का विरोध हो या नाजीकाल के बंधुआ मजदूरों का समर्थन हो, सताए गए लेखकों का समर्थन या युद्ध का विरोध। फिर [[2006]] में उन्हें मानना पड़ा कि उन्होंने स्वयं युद्ध में हिस्सा लिया और वह भी नाजी एसएस के सदस्य के रूप में। जीवन कथा में 17 साल की उम्र में एसएस की सदस्यता के रहस्योद्घाटन पर देस विदेश में बड़ा हंगामा हुआ। नैतिक अखंडता की छवि छुपाए गए अपराध से धूमिल हो गई। अचानक उन्हें पाखंडी समझा जाने लगा।<ref name="DW"/>
==प्रसिद्धि==
==प्रसिद्धि==
बुजुर्ग लेखक और जनमत के बीच इस बीच खाई पैदा हो गई है। जर्मनी को आईना दिखाने वाले नैतिक पैमाने की जरूरत नहीं रह गई। ऐसे में [[2012]] में ग्रास की एक कविता "जो कहा जाना चाहिए" आई और फिर से हंगामा कर गई। यह कविता इजराइल की राजनीति पर कड़ी चोट थी। ग्रास ने [[ईरान]] पर इजराइली परमाणु हमले के खिलाफ चेतावनी दी और इजराइल की परमाणु क्षमता, और उसके कब्जे की नीति को विश्व शांति के लिए खतरा बताया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के नरसंहार के कारण इजराइल और जर्मनी के बीच विशेष संबंध हैं। गुंटर ग्रास को आलोचना के बाद इजराइल में अवांछित घोषित कर दिया गया। उनके खिलाफ यहूदी विरोध के आरोप भी लगे, लेकिन इसके बावजूद वे युवा लेखकों के लिए आदर्श बने रहे।<ref name="DW"/>
बुजुर्ग लेखक और जनमत के बीच इस बीच खाई पैदा हो गई है। जर्मनी को आईना दिखाने वाले नैतिक पैमाने की ज़रूरत नहीं रह गई। ऐसे में [[2012]] में ग्रास की एक कविता "जो कहा जाना चाहिए" आई और फिर से हंगामा कर गई। यह कविता इजराइल की राजनीति पर कड़ी चोट थी। ग्रास ने [[ईरान]] पर इजराइली परमाणु हमले के खिलाफ चेतावनी दी और इजराइल की परमाणु क्षमता, और उसके कब्जे की नीति को विश्व शांति के लिए खतरा बताया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के नरसंहार के कारण इजराइल और जर्मनी के बीच विशेष संबंध हैं। गुंटर ग्रास को आलोचना के बाद इजराइल में अवांछित घोषित कर दिया गया। उनके खिलाफ यहूदी विरोध के आरोप भी लगे, लेकिन इसके बावजूद वे युवा लेखकों के लिए आदर्श बने रहे।<ref name="DW"/>
==व्यक्तित्व==
==व्यक्तित्व==
एक विख्यात लेखक होने के अलावा गुंटर ग्रास एक मजाकिया, चुटकुलेबाज और संवेदनशील इंसान भी थे, यह बात उन्हीं को पता है जो उन्हें नजदीक से जानते थे या उनसे खास परिस्थितियों में मिले थे। मसलन 87 की उम्र में भी जैज संगीत उनकी रगों में बहता था। पांच साल पहले फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में उन्होंने अपने संगीतकार दोस्त गुंटर बेबी समर के साथ साहित्यिक संगीत प्रदर्शन किया था। उन्हें जानने वाले यह भी जानते हैं कि वे अच्छा खाना पकाते थे और रेड वाइन से उन्हें प्यार था। इसके अलावा 87 का हो जाने के बावजूद वे उन्होंने पाइप पीना नहीं छोड़ा था। उन्हें अपने बड़े भरे पूरे परिवार का मुखिया होना पसंद था और इसका वे प्रदर्शन भी करते थे। महान् जर्मन लेखक गोएथे के शब्दों में वे खुद को कुछ यूं प्रस्तुत करते थे, "यहां मैं इंसान हूं, यहां मैं हो सकता हूं।"<ref name="DW"/>
एक विख्यात लेखक होने के अलावा गुंटर ग्रास एक मजाकिया, चुटकुलेबाज और संवेदनशील इंसान भी थे, यह बात उन्हीं को पता है जो उन्हें नजदीक से जानते थे या उनसे खास परिस्थितियों में मिले थे। मसलन 87 की उम्र में भी जैज संगीत उनकी रगों में बहता था। पांच साल पहले फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में उन्होंने अपने संगीतकार दोस्त गुंटर बेबी समर के साथ साहित्यिक संगीत प्रदर्शन किया था। उन्हें जानने वाले यह भी जानते हैं कि वे अच्छा खाना पकाते थे और रेड वाइन से उन्हें प्यार था। इसके अलावा 87 का हो जाने के बावजूद वे उन्होंने पाइप पीना नहीं छोड़ा था। उन्हें अपने बड़े भरे पूरे परिवार का मुखिया होना पसंद था और इसका वे प्रदर्शन भी करते थे। महान् जर्मन लेखक गोएथे के शब्दों में वे खुद को कुछ यूं प्रस्तुत करते थे, "यहां मैं इंसान हूं, यहां मैं हो सकता हूं।"<ref name="DW"/>

Revision as of 10:46, 2 January 2018

गुंटर ग्रास
पूरा नाम गुंटर ग्रास
जन्म 16 अक्टूबर, 1927
जन्म भूमि जर्मनी
मृत्यु 13 अप्रॅल, 2015
मृत्यु स्थान जर्मनी
मुख्य रचनाएँ ‘द टिन ड्रम’, 'कैट एंड माउस', 'डॉग इयर्स', 'द मीटिंग एट टेल्गटे', 'द रैट', 'माई सेंचुरी', 'क्रैबवॉक' आदि
भाषा जर्मनी भाषा
पुरस्कार-उपाधि नोबेल पुरस्कार
नागरिकता जर्मन
विधाएँ नाटक, काव्य, उपन्यास
अन्य जानकारी सफलता के बावजूद गुंटर ग्रास अत्यंत रचनाशील और बहुत सारी कलाओं को समर्पित बहुविध क्षमता वाले कलाकार थे। राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप के जरिए भी वे बहस पैदा करते रहे। लंबे समय तक उन्हें जर्मनी में नैतिकता का पैमाना माना जाता रहा।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

गुंटर ग्रास / गुण्टर ग्रास / ग्युंटर ग्रास (अंग्रेज़ी: Günter Grass, जन्म: 16 अक्टूबर 1927 – मृत्यु: 13 अप्रॅल 2015) साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जर्मनी के लेखक, कवि, नाटककार थे। ‘द टिन ड्रम’ उनका मशहूर उपन्यास है जिसके लिए 1999 में उन्हें नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। यह उपन्यास सन् 1959 में प्रकाशित हुआ था। इसमें उन्होंने नाजीवाद के उदय पर जर्मनीवासियों की प्रतिक्रिया, विश्वयुद्ध का खौफ और इसमें हार से उपजे अपराधबोध को दर्शाया है। बाद में इस किताब पर बनी फ़िल्म को ऑस्कर और कान में पाल्म डि ओर पुरस्कार मिले। गुंटर ग्रास 1990 में जर्मनी के एकीकरण के बहुत बड़े आलोचक रहे और कहते रहे कि यह बहुत जल्दबाज़ी में किया गया था।

जीवन परिचय

गुंटर ग्रास का जन्म 16 अक्टूबर, 1927 को हुआ, जिसमें बहुत जादुई पल थे तो ढेर सारी खलबलियां भी। गुंटर ग्रास सामान्य परिस्थितियों में पैदा हुए। उनके माता-पिता की ग्दांस्क शहर में उपनिवेशी सामानों की दुकान थी। ग्राहक ग़रीब थे, अक्सर खाते पर लिखवा जाते, मकान छोटा था, आसपास का माहौल कैथोलिक था। ग्रास की जीवनी लिखने वाले मिषाएल युर्ग्स कहते हैं, "पवित्र आत्मा और हिटलर के बीच बीता बचपन।" ग्रास ने 17 साल की उम्र तक विश्व युद्ध का आतंक देखा, 1944 में विमान रोधी टैंक दस्ते के सहायक के रूप में और बाद में कुख्यात नाजी संगठन एसएस के सदस्य के रूप में। लेकिन अपने इस अतीत को उन्होंने दशकों तक छुपाए रखा, जब बताया तो हंगामा मच गया। उस समय तो युद्ध के दिन काटने थे।[1]

लेखन की शुरुआत

1952 में संघीय जर्मनी युवा था और ग्रास भी जवान थे। उन्होंने कला में दिलचस्पी लेनी शुरू की, मूर्तिकला और ग्राफिक सीखा, एक जैज मंडली में काम किया, घूमे फिरे और 1956 में कुछ समय के लिए पेरिस चले गए। वहां वे अपनी पत्नी के साथ साधारण सी जिंदगी बिताने लगे, लेकिन यह लेखन के एक बड़े करियर की शुरुआत थी। ग्रास ने अपना उपन्यास 'द टिन ड्रम' लिखा जो 1959 में छपा। उन दिनों के जर्मनी में इसके छपते ही हंगामा मच गया, लेकिन बाद में उसे अंतरराष्ट्रीय सफलता मिली, कई भाषाओं में उसका अनुवाद हुआ और उस पर फिल्म भी बनी। चार दशक बाद उन्हें इस उपन्यास और उपलब्धियों के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला।

रचनाएँ

गुंटर ग्रास ने नाटक, काव्य और मुख्य रूप से उपन्यास लिखा। उनकी रचनाओं की सूची लंबी है। नामी उपन्यासों में कैट एंड माउस, डॉग इयर्स, द मीटिंग एट टेल्गटे, द रैट, माई सेंचुरी, क्रैबवॉक शामिल हैं। इन उपन्यासों में राजनीतिक परिस्थितियों और सामाजिक बदलाव का चित्रण है। मसलन जीडीआर में 1953 के विद्रोह में बुद्धिजीवियों का योगदान, 1968 का छात्र आंदोलन, संसदीय चुनाव प्रचार, भविष्य से जुड़े मुद्दे या बाल्टिक सागर में शरणार्थियों से भरे जहाज का डूबना। हालांकि ग्रास के बाद के उपन्यासों को टिन का ढोल बजाते ऑस्कर मात्सेराठ की कहानी जैसी सफलता नहीं मिली, हालांकि वे सब बहुत ही सफल रहे। और उन पर चर्चाएं भी होती रहीं, किसी को वे अच्छे लगे तो किसी ने शिकायत की कि उनमें बहुत ज्यादा राजनीति है और बहुत कम कला।

नैतिकता और राजनीति

सफलता के बावजूद गुंटर ग्रास अत्यंत रचनाशील और बहुत सारी कलाओं को समर्पित बहुविध क्षमता वाले कलाकार थे। लेकिन राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप के जरिए भी वे बहस पैदा करते रहे। लंबे समय तक उन्हें जर्मनी में नैतिकता का पैमाना माना जाता रहा। 1961 से वे सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए सक्रिय हुए, 1969 में चांसलर बने विली ब्रांट के लिए चुनाव प्रचार किया, कुछ साल बाद पार्टी के सदस्य बने लेकिन शरणार्थी कानून में संशोधन के मुद्दे पर पार्टी के रुख से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। लेकिन वे समाज पर आलोचक निगाह रखने वाले कार्यकर्ता बने रहे। एक स्वतंत्र वामपंथी जो अपनी ख्याति का इस्तेमाल मुद्दों को उठाने में करता, कुर्दों को वापस भेजने का विरोध हो या नाजीकाल के बंधुआ मजदूरों का समर्थन हो, सताए गए लेखकों का समर्थन या युद्ध का विरोध। फिर 2006 में उन्हें मानना पड़ा कि उन्होंने स्वयं युद्ध में हिस्सा लिया और वह भी नाजी एसएस के सदस्य के रूप में। जीवन कथा में 17 साल की उम्र में एसएस की सदस्यता के रहस्योद्घाटन पर देस विदेश में बड़ा हंगामा हुआ। नैतिक अखंडता की छवि छुपाए गए अपराध से धूमिल हो गई। अचानक उन्हें पाखंडी समझा जाने लगा।[1]

प्रसिद्धि

बुजुर्ग लेखक और जनमत के बीच इस बीच खाई पैदा हो गई है। जर्मनी को आईना दिखाने वाले नैतिक पैमाने की ज़रूरत नहीं रह गई। ऐसे में 2012 में ग्रास की एक कविता "जो कहा जाना चाहिए" आई और फिर से हंगामा कर गई। यह कविता इजराइल की राजनीति पर कड़ी चोट थी। ग्रास ने ईरान पर इजराइली परमाणु हमले के खिलाफ चेतावनी दी और इजराइल की परमाणु क्षमता, और उसके कब्जे की नीति को विश्व शांति के लिए खतरा बताया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के नरसंहार के कारण इजराइल और जर्मनी के बीच विशेष संबंध हैं। गुंटर ग्रास को आलोचना के बाद इजराइल में अवांछित घोषित कर दिया गया। उनके खिलाफ यहूदी विरोध के आरोप भी लगे, लेकिन इसके बावजूद वे युवा लेखकों के लिए आदर्श बने रहे।[1]

व्यक्तित्व

एक विख्यात लेखक होने के अलावा गुंटर ग्रास एक मजाकिया, चुटकुलेबाज और संवेदनशील इंसान भी थे, यह बात उन्हीं को पता है जो उन्हें नजदीक से जानते थे या उनसे खास परिस्थितियों में मिले थे। मसलन 87 की उम्र में भी जैज संगीत उनकी रगों में बहता था। पांच साल पहले फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में उन्होंने अपने संगीतकार दोस्त गुंटर बेबी समर के साथ साहित्यिक संगीत प्रदर्शन किया था। उन्हें जानने वाले यह भी जानते हैं कि वे अच्छा खाना पकाते थे और रेड वाइन से उन्हें प्यार था। इसके अलावा 87 का हो जाने के बावजूद वे उन्होंने पाइप पीना नहीं छोड़ा था। उन्हें अपने बड़े भरे पूरे परिवार का मुखिया होना पसंद था और इसका वे प्रदर्शन भी करते थे। महान् जर्मन लेखक गोएथे के शब्दों में वे खुद को कुछ यूं प्रस्तुत करते थे, "यहां मैं इंसान हूं, यहां मैं हो सकता हूं।"[1]

निधन

नोबेल पुरस्कार विजेता और वर्जनाओं को तोड़ने वाले जर्मन लेखक गुंटर ग्रास लोगों को ध्रुवों में बांटते और उकसाते थे। 13 अप्रॅल, 2015 सोमवार को 87 वर्ष की आयु में गुंटर ग्रास का निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 राबिट्स, कॉर्नेलिया। नोबेल पुरस्कार विजेता गुंटर ग्रास का निधन (हिन्दी) DW। अभिगमन तिथि: 14 अप्रॅल, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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