प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
| | | | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {राजकुमार प्रसिद्ध हैं अपने- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-40 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -मानव चित्रों के लिए | ||
+ | +प्रकृति चित्रण के लिए | ||
- | -स्थिर-वस्तु चित्रों के लिए | ||
- | -समुद्र चित्रण के लिए | ||
|| | ||राजकुमार अपने प्रकृति चित्रण के लिए प्रसिद्ध [[चित्रकार]] हैं। राजकुमार चित्रकार के साथ-साथ एक कहानीकार भी थे। इनके प्रमुख चित्र अलविदा, अतीत, उड़ान, धार, परिवार, नगर दृश्य, वाराणसी, स्नातक, खण्डहर, नदी, वर्षा, घाट आदि हैं। वाराणसी शृंखला में इन्होंने वहां के लोग, घाट, नाव, बालू, गंगा, रेत आदि चित्रों को चित्रित किया है। | ||
{ | {बोल्टिंग क्लोथ का उपयोग किस प्रिंटिंग प्रक्रिया में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-58 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -लिथोग्राफ़ी (शिलामुद्रण) | ||
- | -अम्लांकन (एचिंग) | ||
- | -वुड कट (काष्ठ ब्लॉक)/कुंदा | ||
+ | +सिल्क स्क्रीन छपाई | ||
|| | ||बोल्टिंग क्लोथ का उपयोग 'सिल्क स्क्रीन छपाई' की प्रक्रिया में किया जाता है यह स्क्रीन प्रिंट या सेरीग्राफ स्क्रीन के माध्यम से स्याही डालकर किया गया प्रिंट है। यह एक स्टेंसिल तकनीक है। 20 वीं शताब्दी में यूरोप में स्क्रीन तथा 'बोल्टिंग कलॉथ' को वाहक के रूप में उपयोग करके स्क्रीन प्रिंटिंग का काम किया जाता था। वर्तमान समय में नायलॉन और पॉलिएस्टर को स्क्रीन प्रिंटर्स के लिए मोनोफिलामेंट पदार्थ के रूप में सिल्क से ज्यादा महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है? | ||
{[[ | {[[ललित कला अकादमी]] के प्रथम अध्यक्ष थे- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-95 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[डी.पी. रायचौधरी]] | ||
- | -ई.वी. हैवेल | ||
- | -[[अमृता शेरगिल]] | ||
- | -बी.सी. सान्याल | ||
{'[[भारत कला भवन, वाराणसी|भारत कला भवन]]' किस शहर में है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-101 | |||
|type="()"} | |||
+[[वाराणसी]] | |||
-[[जयपुर]] | |||
-[[भोपाल]] | |||
-[[रांची]] | |||
{चित्रण के धरातल के कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-49 | |||
|type="()"} | |||
+2 | |||
-3 | |||
-4 | |||
-6 | |||
||किसी भी धरातल या भूमि पर चित्र अंकन की जाती है तो उसका विस्तार या अंतराल दो दिशाओं में होता है। सर्वप्रथम [[चित्रकार]] चित्र आकृति की लंबाई और चौड़ाई का विचार करने के बाद चित्र रचना करता है तो उसका विस्तार दो दिशाओं में होता है, इसलिए इसे हम 'द्विआयामी' भी कह सकते हैं जबकि द्विआयामी चित्र में गहराई का विचार करने पर त्रिआयामी अंतराल की सृष्टि हो जाती है। चित्र रचना के समय चित्रकार के सामने चित्र का धरातल उसके मन का दर्पण होता है। चित्रकार अपने मन में विभिन्न प्रकार की कल्पना करके संपूर्ण संसार को चित्र में स्थान देता है। इस प्रकार सृजन के लिए उसे अंतराल को अलग-अलग पक्षों में विभाजित करना पड़ता है। कला के तत्त्व, अंतराल से किसी न किसी प्रकार संबंधित होते हैं। अंतराल में सभी प्रकार के रूपों को संयोजित किया जा सकता है। | |||
{त्रिआयामी ठोस कृतियों को जो अपनी सतह से ऊपर उभरी है या नीचे धंसी है, क्या कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-43 | |||
|type="()"} | |||
-रियॉलिज्म | |||
+रिलीफ | |||
-रैम्पार्ट | |||
-रॉक | |||
||रिलीफ दोआयामी सचित्र कला एवं त्रिआयामी [[मूर्तिकला]] का एक संयोजन है। इस प्रकार रिलीफ एक पृष्ठभूमि की सतह पर निर्भर होती है। एक मूर्ति की तरह रिलीफ भी त्रिआयामी डिग्री होती है। | |||
{[[लियोनार्डो दा विंची]] के शिक्षक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-45 | |||
|type="()"} | |||
-लॉरेजो घिबर्टी | |||
-दोनातेल्लो | |||
+आंद्रिया देल वेराशियों | |||
-जॉर्ज वेसारी | |||
||आंद्रिया देल वेराशियोएक इटैलियन [[चित्रकार]], [[मूर्तिकार]] तथा स्वर्णकार थे। इनके तीन प्रमुख शिष्य थे- लियोनार्डो दा विंची, पेट्रो पेरूगीनो तथा लारेन्जों डी. क्रेडी। | |||
{'द स्टारी नाइट' का चित्रकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-61 | |||
|type="()"} | |||
-वेलोस्की | |||
-एलग्रेको | |||
-डेगा | |||
+विन्सेंट वॉन गॉग | |||
||वान गॉग का पूरा नाम विन्सेंट विलेम वान गॉग था किंतु इन्हें विन्सेंट वान गॉग या वान गॉग के नाम से ही पुकारते थे, इनका उपनाम 'कोयला खदानों के ईसा मसीह' भी था। डॉ. गैचेट, लाल अंगूरी उद्यान, सूरजमुखी, आलूभक्षी पक्षी, सनसेट एट मांटमेज्योर, आइरिसिस तथा स्टारी नाइट इनकी प्रसिद्ध चित्रकारी है। यह उत्तर प्रभाववादी आंदोलन से जुड़ा था। इसका जन्म [[30 मार्च]], 1853 को जुनर्डट (नीदरलैंड) में एवं मृत्यु [[29 जुलाई]], 1890 को [[फ्रांस]] के अवर्स- सर-ओइस में हुआ। | |||
{'द पोटैटो ईटर' किसका चित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-66 | |||
|type="()"} | |||
+विन्सेंट वान गॉग | |||
-पॉल गॉगिन | |||
-कैमिले पिसारो | |||
-क्लॉड मोने | |||
||'पोटैटो ईटर्स' (आलूभक्षी) नामक तैल चित्र विन्सेंट वान गॉग द्वारा 1885 में चित्रित किया गया। वर्तमान में यह चित्र एमर्स्टडम के वान गॉग म्यूजियम में सुरक्षित है। | |||
{'विज्ञापन के पितामह' किसे कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-168,प्रश्न-20 | |||
|type="()"} | |||
-प्रहलाद कक्कड़ | |||
+डेविड ओगिल्वी | |||
-प्रसून जोशी | |||
-एलेक्जेंडर रमेल | |||
||'विज्ञापन के पितामह' डेविड ओगिल्वी को कहा जाता है जबकि 'विज्ञापन के अधुनिक पितामह' एल्बर्ट डेविस लास्कर को कहा जाता है। | |||
{भारत की '[[अशोक चक्र]]' पाने वाली प्रथम महिला कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-184,प्रश्न-20 | |||
|type="()"} | |||
-रीता फारिया | |||
+[[नीरजा भनोट]] | |||
-विजय लक्ष्मी पंडिंत | |||
-आरती साहा | |||
||[[भारत]] की '[[अशोक चक्र]]' पाने वाली प्रथम महिला [[नीरजा भनोट]] हैं। वह वीरता के लिए भारत का सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार 'अशोक चक्र' राप्त करने वाली सबसे युवा महिला थीं। [[7 सितंबर]], 1963 को [[चंडीगढ़]] के ब्राह्मण परिवार में जन्मी नीरजा भनोट की 22 वर्ष की अवस्था में 5 (Pan Am Flight 73) का अपहरण कर लिया गया था और यात्रियों को बचाने का प्रयास कर रही थीं। | |||
{शेक्सपियर का प्रसिद्ध नाटक कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-158 | |||
|type="()"} | |||
-होमर | |||
-नाइटिंगेल | |||
+मर्चेंट ऑफ़ वेनिस | |||
-मसनवी | |||
||'द मर्चेंट ऑफ़ वेनिस' एक हास्य नाटक है जो यहूदी और ईसाई व्यापारियों पर आधारित है। यह विलियम शेक्सपियर द्वारा 1597 ई. में लिखी गई। | |||
{'विष्णु-धर्मोंत्तर पुराण' लिखा है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-22 | |||
|type="()"} | |||
-[[बाणभट्ट]] ने | |||
+[[मार्कण्डेय]] ने | |||
-[[भरत मुनि]] ने | |||
-अभिनव गुप्त | |||
||[[भारतीय संस्कृति]] में [[नृत्य]] को 'परमचित्र' कहा गया है। [[मार्कण्डेय|मार्कण्डेय मुनि]] ने 'विष्णु-धर्मोत्तर पुराण' के चित्रसूत्र के प्रारंभ में ही चित्र-विद्या के सूक्ष्म स्वरूप की ओर इंगित करते हुए लिखा है- "बिना तू नृत्यशास्त्रेण चित्रसूत्र सुदुर्विदाम" अर्थात नृत्यशास्त्र के ज्ञान के बिना चित्रसूत समझना दुष्कर है। | |||
{प्रसिद्ध महाकाव्य [[कामायनी]] के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-29 | |||
|type="()"} | |||
-गोपाल सिंह नेपाली | |||
-[[आचार्य शिवपूजन सहाय]] | |||
-[[हरिवंश राय बच्चन]] | |||
+[[जयशंकर प्रसाद]] | |||
||प्रसिद्ध महाकाव्य '[[कामायनी]]' के लेखक [[जयशंकर प्रसाद]] हैं। इसका प्रकाशन वर्ष 1936 में हुआ। मनु एवं श्रद्धा करके मुख्य पात्र हैं। | |||
{मारियो मिरांडा है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-75 | |||
|type="()"} | |||
+कार्टूनिस्ट | |||
-फ़ोटोग्राफ़र | |||
-डिजाइनर | |||
-टाइपोग्राफिस्ट | |||
||मारियो मिरांडा एक प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट थे। इनका जन्म वर्ष 1926 में गोवा में तथा मृत्यु वर्ष 2011 में हुई। | |||
{प्रसिद्ध मूर्ति शिल्प 'अपोलो एण्ड डेफिनी' के [[मूर्तिकार]] कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-78 | |||
|type="()"} | |||
+बर्निनि | |||
-दोनाटेलो | |||
-मैसेचिया | |||
-पाओलो उचेल्ला | |||
||प्रसिद्ध मूर्ति शिल्प 'आपोलो एण्ड डेफिनी' के [[मूर्तिकार]] गियोवन्नी लोरेंजो बर्निनि हैं। इनका जन्म [[12 दिसंबर]], 1598 में नेपल्स, इटली में तथा मृत्यु [[28 नवंबर]], 1680 में हुई। वर्ष 1618 और 1625 में इन्होंने 'एपिअस और एनचिहसेस', 'प्लूटो और पेरसेफोने' तथा 'डेविड' की मूर्तियों को भी बनाया। | |||
{देवगढ़ का विष्णु मंदिर कब बनना शुरू हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-169 | |||
|type="()"} | |||
+पांचवीं शताब्दी | |||
-छठीं शताब्दी | |||
-सातवीं शताब्दी | |||
-नौवीं शताब्दी | |||
||प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर ललितपुर जिले में बेतना नदी के तट पर स्थित है। देवगढ़ स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां पर प्रमुख जैन मंदिर भी है। प्रसिद्ध देवगढ़ मंदिर गुप्त काल में बना जिसका निर्माण लगभग 470ई. (5वीं शताब्दी) में प्रारंभ हुआ माना जाता है। | |||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} |
Revision as of 11:59, 18 January 2018
|