किबूत: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:31, 25 July 2018
किबूत इस्रायल में एक प्रकार का संगठित ग्राम जीवन, जिसमें सैकड़ों नर-नारी एक साथ रहकर अन्नादि उपजाते हैं। उनके आहार विहार सामान और लेन-देन एकस्थ होते हैं। उनकी भूमि, जायदाद एकजाई होती है, बँटी नहीं होती। एक ही साथ सैकड़ों लोग जमीन का पट्टा लेकर कृषि आदि करते हैं और आवश्यकता के अनुसार अन्न आदि बाँट लिया करते हैं।[1]
- रुपया, पैसा या ज़रूरत से अधिक वस्त्रादि भी किबूत नहीं रखते, जिनके पास धन अथवा आधुनिक सभ्यता के उपकरण रेडियो आदि होते हैं, वे उनको सर्वार्थ अर्पण कर देते हैं।
- किबूत आदिम साम्यवाद की दिशा में संकेत करते हैं और आधुनिक सोवियत साम्यवाद से पर्याप्त मिलते हैं।
- किबूतों में पति-पत्नी तो साथ रहते और काम करते हैं, लेकिन उनके बच्चे नर्सरियों में रख दिए जाते हैं, जहाँ भली प्रकार से उनकी देखभाल की जाती है।
- आठ नौ वर्ष के हो जाने के बाद यदि बच्चे चाहें तो अपने माता-पिता के साथ रहकर उनके काम में हाथ बँटा सकते हैं या स्वयं अपनी मेहनत का लाभ अपने प्रिय किबूत को दे सकते हैं।
- इसी परंपरा पर आधारित इस्रायल में एक और संस्था है- 'मोशाब'। मोशाब में ऐसे लोग रहते हैं, जो कृषि आदि तो सामूहिक रूप से करते हैं, पर परिणाम में उपज या लाभ अन्नादि अपने पावने के अनुपात के अनुसार बाँट लेते हैं। उन्हें अपना धन आदि वैयक्तिक रूप से बढ़ाने का अधिकार और अवसर होता है।
- इस्रायल में इसी प्रकार का एक तीसरा संगठन और है, जिसे 'कुसा' कहा जाता है। यह किबूत और मोशाब के बीच का संगठन है।
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