सत्यवती देवी: Difference between revisions
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आर्य समाज और कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता स्वामी श्रद्धानंद की नातिन( पोत्री) साम्यवादी सत्यवती देवी का जन्म [[26 जनवरी]], [[1906]] | [[आर्य समाज]] और [[कांग्रेस]] के प्रसिद्ध नेता स्वामी श्रद्धानंद की नातिन (पोत्री) साम्यवादी सत्यवती देवी का जन्म [[26 जनवरी]], [[1906]] को [[पंजाब]] के [[जालंधर ज़िला|जालंधर जिले]] में हुआ था। उनकी माँ वेद कुमारी समाजसेवी और [[गांधी जी]] की अनुयाई थीं। [[परिवार]] के इस वातावरण का सत्यवती पर प्रभाव पड़ा। [[1922]] में उनका [[विवाह]] हो गया और वे [[दिल्ली]] आ गईं। साम्यवादी सत्यवती [[ईश्वर]] की सत्ता में विश्वास नहीं करती थीं। लोग उन्हें "तूफानी बहन" के नाम से पुकारते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=888|url=}}</ref> | ||
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सत्यवती ने किसान और मजदूरों के शासन के लिये संघर्ष में जेल यात्रा तक की। सत्यवती देश में घूम-घूमकर साम्यवादी विचारों के लोगों को संगठित करने | सत्यवती ने किसान और मजदूरों के शासन के लिये संघर्ष में जेल यात्रा तक की। सत्यवती देश में घूम-घूमकर साम्यवादी विचारों के लोगों को संगठित करने लगीं, यह बात सरकार की नजरों में चुभने लगी और उन्हें जेल में डाल दिया। अंतिम बार लाहौर जेल में उनका स्वास्थ्य अधिक बिगड़ जाने के कारण सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया। | ||
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Revision as of 07:31, 21 August 2018
सत्यवती देवी (जन्म- 26 जनवरी, 1906, जालंधर, पंजाब; मृत्यु- अक्टूबर, 1945) साम्यवादी महिला एवं स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने किसान मजदूरों के हित में दिन-रात संघर्ष किया।
परिचय
आर्य समाज और कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता स्वामी श्रद्धानंद की नातिन (पोत्री) साम्यवादी सत्यवती देवी का जन्म 26 जनवरी, 1906 को पंजाब के जालंधर जिले में हुआ था। उनकी माँ वेद कुमारी समाजसेवी और गांधी जी की अनुयाई थीं। परिवार के इस वातावरण का सत्यवती पर प्रभाव पड़ा। 1922 में उनका विवाह हो गया और वे दिल्ली आ गईं। साम्यवादी सत्यवती ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करती थीं। लोग उन्हें "तूफानी बहन" के नाम से पुकारते थे।[1]
मार्क्सवाद का प्रभाव
सत्यवती देवी का दिल्ली में प्रमुख कांग्रेसी नेताओं से संपर्क हुआ और साथ ही वे मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित हुईं। अब उन्होंने अन्य साम्यवादी विचारों की महिलाओं यथा दुर्गा देवी, कौशल्या देवी आदि के साथ घूम-घूमकर लोगों को संगठित करने का काम हाथ में लिया। वे किसान मजदूरों के शासन की कल्पना में दिन रात मेहनत करती थीं।
जेल यात्रा
सत्यवती ने किसान और मजदूरों के शासन के लिये संघर्ष में जेल यात्रा तक की। सत्यवती देश में घूम-घूमकर साम्यवादी विचारों के लोगों को संगठित करने लगीं, यह बात सरकार की नजरों में चुभने लगी और उन्हें जेल में डाल दिया। अंतिम बार लाहौर जेल में उनका स्वास्थ्य अधिक बिगड़ जाने के कारण सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया।
मृत्यु
साम्यवादी सत्यवती देवी का अक्टूबर, 1945 में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 888 |
संबंधित लेख
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