पी. एस. श्रीधरन पिल्लई: Difference between revisions
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पी. एस. श्रीधरन पिल्लई
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पूरा नाम | पी. एस. श्रीधरन पिल्लई |
जन्म | 1 दिसंबर, 1954केरल |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
कार्य काल | राज्यपाल, मिज़ोरम- 5 नवम्बर, 2019 से पदस्थ |
संबंधित लेख | राज्यपाल, भारत के राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची |
अद्यतन | 17:37, 14 सितम्बर 2020 (IST)
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पी. एस. श्रीधरन पिल्लई (अंग्रेज़ी: P. S. Sreedharan Pillai, जन्म- 1 दिसंबर, 1954, केरल) भारतीय राजनीतिज्ञ और वर्तमान में मिज़ोरम के राज्यपाल हैं। उन्होंने 5 नवंबर, 2019 से यह पद ग्रहण किया है। शपथ ग्रहण का संचालन गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय लांबा द्वारा राजभवन, मिज़ोरम में किया गया। पी. एस. श्रीधरन पिल्लई को लिखने में भी रुचि है। उनकी पहली किताब 1983 में प्रकाशित हुई थी। राज्यपाल बनने से पहले तक उनकी 105 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
- कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के समय को भी पी. एस. श्रीधरन पिल्लई ने व्यर्थ नहीं जाने दिया बल्कि किताबें और कविताएं लिखकर राजभवन में अपने खाली वक्त का सदुपयोग किया। उन्होंने मार्च से लेकर अब तक कम से कम 13 किताबें लिखीं, जिनमें अंग्रेज़ी और मलयालम भाषाओं में लिखीं कविताओं का संग्रह भी शामिल है।
- पी. एस. श्रीधरन पिल्लई ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि- "कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से उन्हें किताबें पढ़ने तथा लिखने के लिए और अधिक खाली वक्त मिला। राजभवन में किसी को आने की अनुमति नहीं थी। लोगों के साथ मेरा संवाद भी बंद था और मेरी सभी आगामी यात्राओं को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया। इसका मतलब पढ़ने और लिखने के लिए और अधिक वक्त मिला।" उन्होंने लॉकडाउन के दौरान आधिकारिक ड्यूटी के बाद अपना ज्यादातर समय पढ़ने और लिखने में बिताया। उन्होंने कहा, "मैं सुबह चार बजे उठ जाता और व्यायाम करने के बाद पढ़ना और लिखना शुरू कर देता।" उनका मानना है कि नेताओं और जन कार्यकर्ताओं को लोगों को शिक्षित करने के लिए किताबें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए।"
- अभी तक पी. एस. श्रीधरन पिल्लई ने अलग-अलग श्रेणी में कम से कम 121 किताबें लिखी हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | राज्य | राज्यपाल/उपराज्यपाल | चित्र | कार्यकाल प्रारम्भ |
- पुनर्प्रेषित साँचा:राज्यपाल, उपराज्यपाल व प्रशासक