मिश्रित सामान्य ज्ञान 31: Difference between revisions
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||[[चित्र:Surdas.jpg|border|80px|right|सूरदास]]'सूरदास' [[हिन्दी साहित्य]] में [[भक्ति काल]] में [[कृष्ण]] [[भक्ति]] के भक्त कवियों में अग्रणी हैं। [[सूरदास|महाकवि सूरदास]] [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]] और [[शान्त रस|शान्त]] रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित रुनकता नामक गांव में हुआ था। कुछ लोगों का कहना है कि सूरदास का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ। बाद में वह आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। [[रामचन्द्र शुक्ल|आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के मतानुसार सूरदास का जन्म [[संवत]] 1540 विक्रमी के सन्निकट और मृत्यु संवत 1620 विक्रमी के आसपास मानी जाती है। सूरदास के [[पिता]] रामदास गायक थे। सूरदास जी के जन्मांध होने के विषय में भी मतभेद हैं। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट [[वल्लभाचार्य]] से हुई थी।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरदास]] | ||[[चित्र:Surdas.jpg|border|80px|right|सूरदास]]'सूरदास' [[हिन्दी साहित्य]] में [[भक्ति काल]] में [[कृष्ण]] [[भक्ति]] के भक्त कवियों में अग्रणी हैं। [[सूरदास|महाकवि सूरदास]] [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]] और [[शान्त रस|शान्त]] रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित रुनकता नामक गांव में हुआ था। कुछ लोगों का कहना है कि सूरदास का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ। बाद में वह आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। [[रामचन्द्र शुक्ल|आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के मतानुसार सूरदास का जन्म [[संवत]] 1540 विक्रमी के सन्निकट और मृत्यु संवत 1620 विक्रमी के आसपास मानी जाती है। सूरदास के [[पिता]] रामदास गायक थे। सूरदास जी के जन्मांध होने के विषय में भी मतभेद हैं। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट [[वल्लभाचार्य]] से हुई थी।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरदास]] | ||
{[[फल]] एवं [[सब्जियाँ|सब्जियों]] का संरक्षण करने हेतु निम्न में से कौन-सा स्थायी संरक्षक मिलाया जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-सोडियम क्लोराइड | |||
+पोटैशियम मेटाबाइसल्फेट | |||
-पोटैशियम सल्फेट | |||
-शर्करा | |||
{[[मलिक काफ़ूर]] को हज़ार दीनारी कहा गया था, क्योंकि- | {[[मलिक काफ़ूर]] को हज़ार दीनारी कहा गया था, क्योंकि- | ||
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-उसके पास 1000 गाँवों का स्वामित्व था। | -उसके पास 1000 गाँवों का स्वामित्व था। | ||
-वह 1000 [[दीनार]] प्रतिदिन दान करता था। | -वह 1000 [[दीनार]] प्रतिदिन दान करता था। | ||
||'मलिक काफ़ूर' मूलतः [[हिन्दू]] जाति का एक हिजड़ा था। उसे नुसरत ख़ाँ ने एक हज़ार दीनार में ख़रीदा था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'हज़ार दीनीरी' पड़ गया। नुसरत ख़ाँ ने उसे ख़रीदकर 1298 ई. में [[गुजरात]] विजय से वापस जाने पर [[अलाउद्दीन ख़िलजी|सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी]] के समक्ष तोहफ़े के रूप में प्रस्तुत किया था। शीघ्र ही वह सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना का मलिक नाइब बना दिया गया। 1316 ई. में अलाउद्दीन ख़िलजी की मृत्यु के बाद [[मलिक काफ़ूर]] ने सुल्तान के नाबालिग लड़के को सिंहासन पर बैठाकर राज्य की सम्पूर्ण शक्ति को अपने हाथ में केंद्रित कर लिया।अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मलिक काफ़ूर]] | |||
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