लल्लू लालजी: Difference between revisions

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*1804 से 1810 के बीच लिखी गई कृति 'प्रेमसागर' [[कृष्ण]] की लीलाओं व [[भागवत पुराण]] के दसवें अध्याय पर आधारित थी।  
*1804 से 1810 के बीच लिखी गई कृति 'प्रेमसागर' [[कृष्ण]] की लीलाओं व [[भागवत पुराण]] के दसवें अध्याय पर आधारित थी।  
*डब्लू0 होलिंग्स ने सन 1848 में अंग्रेजी में 'प्रेमसागर' का अनुवाद किया।  
*डब्लू0 होलिंग्स ने सन 1848 में अंग्रेजी में 'प्रेमसागर' का अनुवाद किया।  
*47वीं रेजीमेंट लखनऊ में कैप्टन हाँलिंग्स ने प्रस्तावना में लिखा था, '[[हिन्दी भाषा]] का ज्ञान [[भारत|हिन्दुस्तान]](तत्कालीन भारत) में रहने वाले सभी सरकारी अफसरों के लिए जरूरी है, क्योंकि यह देश के ज्यादातर हिस्से में बोली जाती है।'  
*47वीं रेजीमेंट लखनऊ में कैप्टन हाँलिंग्स ने प्रस्तावना में लिखा था, '[[हिन्दी भाषा]] का ज्ञान [[भारत|हिन्दुस्तान]](तत्कालीन भारत) में रहने वाले सभी सरकारी अफसरों के लिए जरूरी है, क्योंकि यह देश के ज़्यादातर हिस्से में बोली जाती है।'  
*प्राइस ने 'प्रेमसागर' के कठिन शब्दों का हिन्दी-अंग्रेजी कोष तैयार किया था।   
*प्राइस ने 'प्रेमसागर' के कठिन शब्दों का हिन्दी-अंग्रेजी कोष तैयार किया था।   
*कहा जाता है कि [[आगरा]] के लल्लू जी लाल शहर की 'सुनार गली' में ही कहीं रहते थे।  
*कहा जाता है कि [[आगरा]] के लल्लू जी लाल शहर की 'सुनार गली' में ही कहीं रहते थे।  

Revision as of 12:23, 21 September 2010

  • लल्लू जी लाल भारत के उत्तर प्रदेश प्रदेश के आगरा ज़िले के रहने वाले थे।
  • लल्लूजी लाल को लालचंद, लल्लूजी या लाल कवि के नाम से भी जाना जाता है।
  • ब्रितानी शासन के दौरान लल्लू जी 'फोर्ट विलियम कॉलेज' कोलकाता में अध्यापक थे।
  • उनका काम ब्रिटिश राज के कर्मचारियों के लिए पाठय सामग्री तैयार करना था।
  • साहित्यकार के रूप में लल्लूजी किस पायदान पर हैं, इसका मूल्यांकन करना तो आलोचकों का काम है, लेकिन यह सब मानते हैं कि हिन्दी के विकास में उनका योगदान है।
  • 1804 से 1810 के बीच लिखी गई कृति 'प्रेमसागर' कृष्ण की लीलाओं व भागवत पुराण के दसवें अध्याय पर आधारित थी।
  • डब्लू0 होलिंग्स ने सन 1848 में अंग्रेजी में 'प्रेमसागर' का अनुवाद किया।
  • 47वीं रेजीमेंट लखनऊ में कैप्टन हाँलिंग्स ने प्रस्तावना में लिखा था, 'हिन्दी भाषा का ज्ञान हिन्दुस्तान(तत्कालीन भारत) में रहने वाले सभी सरकारी अफसरों के लिए जरूरी है, क्योंकि यह देश के ज़्यादातर हिस्से में बोली जाती है।'
  • प्राइस ने 'प्रेमसागर' के कठिन शब्दों का हिन्दी-अंग्रेजी कोष तैयार किया था।
  • कहा जाता है कि आगरा के लल्लू जी लाल शहर की 'सुनार गली' में ही कहीं रहते थे।
  • आगरा की 'नागरी प्रचारिणी सभा' में भी उनका विवरण नहीं है।


 


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टीका टिप्पणी और संदर्भ