आहार्य: Difference between revisions
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|उदाहरण=रुपक में उपमेय या उपमान का आरोप जिनके विषय में वक्ता पूर्णं रुप से जानकार होता है। | |उदाहरण=रुपक में उपमेय या उपमान का आरोप जिनके विषय में वक्ता पूर्णं रुप से जानकार होता है। | ||
|विशेष=बाह्य-आहार्यशोभारहितैरमयैः-<ref>भट्टिकाव्य 2/14</ref>, अभिनय में आंगिक, वाचिक, सात्विक और '''आहार्य''' का नियमानुसार प्रयोग किया जाता है। <ref>{{cite web |url=http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/brij410.htm| title=ब्रजभाषा की नाट्य परंपरा |accessmonthday=17 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format=एच टी एम |publisher= गोपाल प्रसाद व्यास|language=हिन्दी}}</ref> अभिनव में '''आहार्य''' का अर्थ वेश रचना व श्रृंगार आदि के अनुकरण से होता है। | |विशेष=बाह्य-आहार्यशोभारहितैरमयैः-<ref>भट्टिकाव्य 2/14</ref>, अभिनय में आंगिक, वाचिक, सात्विक और '''आहार्य''' का नियमानुसार प्रयोग किया जाता है। <ref>{{cite web |url=http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/brij410.htm| title=ब्रजभाषा की नाट्य परंपरा |accessmonthday=17 जुलाई |accessyear=2010 |authorlink= |format=एच.टी.एम |publisher= गोपाल प्रसाद व्यास|language=हिन्दी}}</ref> अभिनव में '''आहार्य''' का अर्थ वेश रचना व श्रृंगार आदि के अनुकरण से होता है। | ||
|पर्यायवाची=अभोज्य, खाद्य, ग्राह्य, पथ्य, भोग्य, भोज्य, सुपथ्य, सेव्य, खाद्य आहार, आहार, अभ्रष्ट, अमनिया, पवित्र, पावन, शुद्ध | |पर्यायवाची=अभोज्य, खाद्य, ग्राह्य, पथ्य, भोग्य, भोज्य, सुपथ्य, सेव्य, खाद्य आहार, आहार, अभ्रष्ट, अमनिया, पवित्र, पावन, शुद्ध | ||
|संस्कृत=(संभाव्य कृदन्त तव्यत्) [आ+ह्र+ण्यत्], ग्रहण करने या पकड़ने के योग्य, लाने या ले आने के योग्य, कृत्रिम, नैमित्तिक, <ref>न रम्यमाहार्यमपेक्षते गुणम्-किरातार्जुनीय 4/23</ref>, <ref>कु. 7/23</ref> पर मल्लि. भी, साभिप्राय, अभिप्रेत, श्रृंगार या आभूषा से संप्रेषित या प्रभावित, अभिनय के चार प्रकारों में से एक | |संस्कृत=(संभाव्य कृदन्त तव्यत्) [आ+ह्र+ण्यत्], ग्रहण करने या पकड़ने के योग्य, लाने या ले आने के योग्य, कृत्रिम, नैमित्तिक, <ref>न रम्यमाहार्यमपेक्षते गुणम्-किरातार्जुनीय 4/23</ref>, <ref>कु. 7/23</ref> पर मल्लि. भी, साभिप्राय, अभिप्रेत, श्रृंगार या आभूषा से संप्रेषित या प्रभावित, अभिनय के चार प्रकारों में से एक |
Revision as of 09:57, 16 November 2010
हिन्दी | खाने योग्य, लेने, लाने या हरण करने योग्य, भक्ष्य, खाद्य जैसे- छह प्रकार के आहार्य पदार्थ, नाटयशास्त्र अभिनव का एक प्रकार |
-व्याकरण | [संस्कृतभाषा आ धातु ह्र+ण्यत्], विशेषण ग्रहण करने योग्य, पुल्लिंग- काव्यशास्त्र में अनुभाव का एक प्रकार |
-उदाहरण | रुपक में उपमेय या उपमान का आरोप जिनके विषय में वक्ता पूर्णं रुप से जानकार होता है। |
-विशेष | बाह्य-आहार्यशोभारहितैरमयैः-[1], अभिनय में आंगिक, वाचिक, सात्विक और आहार्य का नियमानुसार प्रयोग किया जाता है। [2] अभिनव में आहार्य का अर्थ वेश रचना व श्रृंगार आदि के अनुकरण से होता है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | अभोज्य, खाद्य, ग्राह्य, पथ्य, भोग्य, भोज्य, सुपथ्य, सेव्य, खाद्य आहार, आहार, अभ्रष्ट, अमनिया, पवित्र, पावन, शुद्ध |
संस्कृत | (संभाव्य कृदन्त तव्यत्) [आ+ह्र+ण्यत्], ग्रहण करने या पकड़ने के योग्य, लाने या ले आने के योग्य, कृत्रिम, नैमित्तिक, [3], [4] पर मल्लि. भी, साभिप्राय, अभिप्रेत, श्रृंगार या आभूषा से संप्रेषित या प्रभावित, अभिनय के चार प्रकारों में से एक |
अन्य ग्रंथ | श्रीमदभागवत महापुराण में अनेकों स्थानों पर नृत्त- नृत्य का विस्तृत विवरण पाया गया है, साथ ही संगीत वाद्यों का और आहार्य एवं अभिनय एवं नाट्य का भी उदाहरण मिलता है।[5] |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
टीका टिप्पणी व संदर्भ
- ↑ भट्टिकाव्य 2/14
- ↑ ब्रजभाषा की नाट्य परंपरा (हिन्दी) (एच.टी.एम) गोपाल प्रसाद व्यास। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2010।
- ↑ न रम्यमाहार्यमपेक्षते गुणम्-किरातार्जुनीय 4/23
- ↑ कु. 7/23
- ↑ भारतीय नृत्य का इतिहास (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2010।