एण्टियोकस तृतीय

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  • बैक्ट्रिया और पार्थिया की स्वतंत्रता के कारण सीरियन साम्राज्य की शक्ति बहुत क्षीण हो गई थी।
  • 223 ई. पू. में सीरिया के राजसिंहासन पर सम्राट एण्टियोकस तृतीय आरूढ़ हुआ।
  • एण्टियोकस तृतीय बड़ा ही महत्त्वाकांक्षी था, और उसने अपने वंश के लुप्त गौरव के पुनरुद्धार का प्रयत्न किया।
  • पार्थिया पर आक्रमण कर उसने उसे जीतने का प्रयत्न किया, पर वह सफल नहीं हो पाया।
  • पार्थियन राजा अरसक तृतीय को परास्त कर सकने में असफल होकर एण्टियोकस ने उसके साथ सन्धि कर ली, और फिर बैक्ट्रिया पर आक्रमण किया।
  • इस समय बैक्ट्रिया की राजगद्दी पर युथिडिमास विराजमान था, जो बड़ा वीर और शक्तिशाली राजा था।
  • दो वर्ष वह निरन्तर एण्टियोकस के साथ युद्ध करता रहा, और सीरियन सम्राट उसे परास्त करने में असफल रहा। अन्त में विवश होकर एण्टियोकस ने युथिडिमास के साथ भी सन्धि कर ली, और सन्धि को स्थिर करने के लिए अपनी पुत्री का विवाह बैक्ट्रियन राजा के पुत्र डेमेट्रियस (दिमित्र) के साथ कर दिया।
  • पार्थिया और बैक्ट्रिया के साथ सन्धि कर एण्टियोकस तृतीय ने भारत पर आक्रमण किया।
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