अवाकीर्ण

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'जुहाव धृतराष्ट्रस्य राष्टं नरपते: पुरा,
अवाकीर्णे सरस्वत्यास्तीर्थें प्रज्वाल्य पावकम्।'[1]

इस उद्धरण से ज्ञात होता है कि अवाकीर्ण, सरस्वती नदी के तटवर्ती तीर्थों में गिना जाता था। इसकी यात्रा बलराम ने की थी। प्रसंग क्रम से जान पड़ता है कि अवाकीर्ण पंजाब में कहीं स्थित होगा।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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